गर्मी में खास हो जाते हैं ये दो इत्र लगाने के साथ खाने में भी आते हैं काम

कन्नौज में हजारों साल से इत्र बनाने का काम किया जा रहा है. लेकिन, इसमें कुछ महत्वपूर्ण इत्र हैं, तो कुछ बहुत महत्वपूर्ण. ऐसे में खस और केवड़े का इत्र बहुत महत्वपूर्ण इत्रों में से एक है. इन दोनों इत्रों की जोड़ी गर्मियों के मौसम में सबसे तेज या यू कहे सबसे आगे रहती है. लोग शरीर पर लगाने के साथ-साथ इन दोनों को खाद्य पदार्थों में भी बड़ी मात्रा में प्रयोग करते हैं.

गर्मी में खास हो जाते हैं ये दो इत्र लगाने के साथ खाने में भी आते हैं काम
कन्नौज /अंजली शर्मा: कन्नौज में बहुत वैरायटी के इत्र बनते हैं. लेकिन, इन दो महत्वपूर्ण इत्रों की बात सबसे अलग है. यह इत्र लगाने के साथ-साथ खाने में भी बहुत काम आते हैं. गर्मियों के मौसम में इनकी सबसे ज्यादा डिमांड बढ़ती है. क्योंकि, इसे लगाने से शरीर को ठंडक का एहसास मिलता है. वहीं अगर इसे खाद्य पदार्थ में प्रयोग किया जाए तो पेट को भी ठंडा बनाए रखता है. ऐसे में यह दो इत्र अपने आप में बहुत खास हो जाते हैं. इनको खस और केवड़ा का इतर कहा जाता है. कन्नौज में हजारों साल से इत्र बनाने का काम किया जा रहा है. लेकिन, इसमें कुछ महत्वपूर्ण इत्र हैं, तो कुछ बहुत महत्वपूर्ण. ऐसे में खस और केवड़े का इत्र बहुत महत्वपूर्ण इत्रों में से एक है. इन दोनों इत्रों की जोड़ी गर्मियों के मौसम में सबसे तेज या यू कहे सबसे आगे रहती है. लोग शरीर पर लगाने के साथ-साथ इन दोनों को खाद्य पदार्थों में भी बड़ी मात्रा में प्रयोग करते हैं. किन किन चीजों में होता प्रयोग? खस और केवड़े के इत्र की तासीर ठंडी होती है, जिस कारण गर्मियों में यह बड़े पैमाने पर प्रयोग में आता है. खस और केवड़ा दोनों ही लगाने के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग में होता है. कई तरह की मिठाइयां, पेयजल, शरबत, लस्सी सहित तमाम चीजों में इन दोनों का प्रयोग होता है. वहीं, आयुर्वेद में भी इन दोनों का खासा प्रयोग होता है. इन सभी खाद्य पदार्थों में इन दोनों की जोड़ी का असर होने के बाद यह दोनों उसके स्वाद और सुगंध को और बढ़ा देते हैं. क्या होता रेट? केवड़े के इत्र का रेट अलग-अलग होता है. केवड़ा रूह, जहां 12 लाख रुपये प्रति किलो पहुंचता है तो वहीं केवड़े का इत्र केवड़े के फूल पर निर्धारित रहता है. जैसे कि 200 केवड़ा फूल का इतर ₹5000 किलो से शुरू हो जाता है. वहीं खस का रेट 80 हजार रुपए किलो तक रहता है. क्या बोले इत्र व्यापारी? इत्र व्यापारी निशीष तिवारी बताते हैं कि गर्मियों के सीजन में खस और केवड़ा इत्र की जोड़ी लोगों को खूब पसंद आती है. इसकी डिमांड भी अच्छी खासी रहती है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है. इन दोनों इत्रों की तासीर ठंडी होना. इस कारण यह शरीर पर लगने के बाद ठंडक का हिसाब देते हैं. कई तरह की मिठाइयां पेयजल में भी इनका प्रयोग होता है, जिसे खाद्य पदार्थों में स्वाद आता है. साथ ही सुगंध और यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी साबित होता है. पेट में जाने के बाद यह ठंडक का एहसास देता है. Tags: Kannauj news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 11:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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