कैसे तैयार होता है लाखों की कीमत वाला इत्र सस्ते से कितना होता है अलग
कैसे तैयार होता है लाखों की कीमत वाला इत्र सस्ते से कितना होता है अलग
Kannauj News: ग्राहकों को जिस तरह का इत्र चाहिए होता है, उनकी डिमांड पर ही इत्र बनाते समय उसके रेट तय हो जाता है. इत्र व्यापारी कई तरह के इत्र तैयार करते हैं, जिसमें सबसे हाई नोट का इत्र उसके बाद मध्य क्वालिटी का इत्र और तीसरे में सबसे सामान्य क्वालिटी का इत्र रहता है.
कन्नौज /अंजली शर्मा: कन्नौज जिले में इत्र की बहुत सारी खुशबू मिल जाती हैं. लेकिन, इसमें सस्ती और महंगी क्वालिटी के बीच में क्या अंतर होता है. इसको जानना और समझना बहुत जरूरी है. सस्ती क्वालिटी का इत्र उसके बेस पर आधारित रहता है, तो वहीं महंगी क्वालिटी का इत्र चंदन के बेस पर बनने पर अधिक खुशबूदार और शुद्ध होता है. हालांकि, इतर दोनों ही तरह से शुद्ध होते हैं बस उसमें क्वालिटी का थोड़ा फर्क हो जाता है.
ग्राहकों को जिस तरह का इत्र चाहिए होता है, उनकी डिमांड पर ही इत्र बनाते समय उसके रेट तय हो जाता है. इत्र व्यापारी कई तरह के इत्र तैयार करते हैं, जिसमें सबसे हाई नोट का इत्र उसके बाद मध्य क्वालिटी का इत्र और तीसरे में सबसे सामान्य क्वालिटी का इत्र रहता है. इन सभी में फर्क सिर्फ क्वालिटी का होता है. सबसे हाई क्वालिटी का इत्र बनाते समय फूलों की मात्रा अधिक होती है और उसका बेस नोट सैंडल तेल रहता है. वहीं, सामान्य में फूलों की मात्रा कम हो जाती है और उसका बेस भी बदल जाता है. वह माध्यम में इन दोनों के बीच का इत्र तैयार हो जाता है.
ग्राहक की कैसी रहती डिमांड?
इत्र की खुशबू के साथ-साथ एक ऐसी औषधि है, जो बहुत सारे रोगों में कारगर साबित होती है. आयुर्वेद में इसका अच्छा खासा प्रयोग होता है. ऐसे में ग्राहकों को किस क्षेत्र में इत्र का प्रयोग करना है. इस पर भी डिपेंड करता है कि इत्र महंगा होगा या सस्ता होगा. अगर ग्राहक को फूड ग्रेड में इत्र चाहिए तो उसके अलग रेट होते हैं. अगर ग्राहक को किसी आयुर्वेदिक मेडिसिन या अन्य किसी चीज में प्रयोग करना है, तो उसके रेट अलग होते हैं. वहीं, इसको अगर खुशबू के तौर पर शरीर पर प्रयोग करना है तो उसका रेट अलग रहता है.
इत्र होता शुद्ध, किस रेट से होती शुरुआत?
रेट कम और ज्यादा होने पर शुद्धता कम नहीं होती बस उसकी क्वालिटी पर असर पड़ जाता है. इत्र तो शुद्ध बनता है, लेकिन ग्राहक कितना अच्छा इतर चाहता है यह उसके फूलों पर डिपेंड करता है. किस बेस पर इतरा बनता है उस पर सबसे ज्यादा डिपेंड रहता है. अगर गुलाब का इत्र बनेगा तो, उसकी रूह की कीमत 20 से 22 लाख रुपए रहती है. सामान्यतः इसकी कीमत 8 से 10 लाख रुपए रहती है. वहीं, सबसे लोअर क्वालिटी गुलाब क्षेत्र की कीमत ₹50,000 से लेकर ₹1 लाख किलो तक ही रहती है. लेकिन इन सभी में एक चीज खास रहती है कि किसी भी कीमत में इत्र क्यों न हो यह रहता शुद्ध है. क्योंकि, फूलों से ही नेचुरल तरीके का इत्र बनता है. बस फूलों की मात्रा कम ज्यादा होती है और इसका बेस संदल नहीं होता है.
क्या बोले इत्र व्यापारी
इत्र व्यापारी निशीष तिवारी बताते हैं कि कन्नौज में हजारों वर्षों से इतर का काम चल रहा है. वह खुद अपनी चौथी पीढ़ी में इत्र का काम कर रहे हैं. सस्ता और महंगे इत्र में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता है. सस्ता इत्र बस कम क्वालिटी वाला होता है, जिसमें कम फूलों का प्रयोग होता है. साथ ही इसका बेस सैंडल नहीं होता है. वहीं अच्छी क्वालिटी का इत्र इसका सबसे पहले बेस संदल तेल पर तैयार होता है. इसमें फूलों की मात्रा अधिक होती है, जिससे वह महंगा हो जाता है. वहीं ग्राहकों की डिमांड पर भी इत्र के रेट निर्धारित होते हैं कि उनको किस ग्रेड में इत्र चाहिए. फूड ग्रेड वाला इत्र या मेडिसिन वाला इत्र या फिर बॉडी पर यूज करने वाला इत्र, लेकिन इन सब में एक बात प्रमुख रहती है कि इत्र शुद्ध रहता है. क्योंकि, इत्र का निर्माण फूलों से ही होता है जिसमें किसी तरह का कोई केमिकल प्रयोग नहीं होता है कन्नौज में आज भी प्राचीन पद्धति से इतर बनाया जाता है. सबसे शुद्ध और सबसे अच्छी क्वालिटी का इत्र कन्नौज में ही मिल सकता है.
Tags: Kannauj news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed