यहां सबकुछ जम गया माइनस में तापमान देसी जुगाड़ बचा पाएगा जान

पिछले 40 दिनों से जम्मू-कश्मीर में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है. तापमान जीरो से 8 डिग्री से नीचे जा पहुंचा है. हांड़ कंपाने वाली ठंडी में लोग जीने के लिए मजबूर हैं. आलम ये है कि राज्य में लगातार पावर कट हो रहा है. हाल के दिनों में बिजली में सुधार के बाद लोग पारंपरिक रूप से गर्मी करने वाले यंत्र को त्याग दिए हैं. लेकिन, इस बार बिजली कटने लोगों को फिर से बैक-टू-द-बेसिक लौटने पर मजबूर कर दिया है यानी कि लोग लकड़ियों से चलने वाले देशी यंत्र पर जीने को मजबूर हैं.

यहां सबकुछ जम गया माइनस में तापमान देसी जुगाड़ बचा पाएगा जान
श्रीनगर. भारत के पहाड़ी राज्य में अबकी बार दिसंबर में बर्फबारी होने लगी है. वहीं से देशभर में ठंड की शुरूआत हुई. पश्चिमी विक्षोभ ने जम्मू-कश्मीर में अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. दिसंबर की शुरुआत से ही यहां पर बारिश और बर्फबारी होनी शुरू हो गई थी. आलम ये है कि राज्य में पारा जीरो से नीचे जा चुका है, कंपकपाती ठंड के बाद यहां की जनता शीतलहर की भी मार झेल रही है. सब कुछ जम गया है. तापमान माइनस में है और राज्य में बिजली की भी लगातार कटौती हो रही है. लोग ठंड भगाने के लिए देशी जुगाड़ पर जीने को मजबूर हैं. जम्मू-कश्मीर में शीत लहर के बीच बार-बार अघोषित बिजली कटौती के कारण ठंड से बचाने वाले बिजली से चलने वाले आधुनिक उपकरण नाकाम साबित हो रहे हैं. इसको देखते हुए कश्मीर अब फिर से ठंड से बचाव के अपने पारंपरिक तरीकों की ओर लौट रहा है. कश्मीर में 40 दिनों की सबसे भीषण सर्दी चिल्ला-ए-कलां जारी है. श्रीनगर में शनिवार को 33 साल में सबसे अधिक ठंडी रात रही, यहां न्यूनतम तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. घाटी के अन्य स्थानों पर भी तापमान शून्य से नीचे रहा, जिसके कारण कई इलाकों में जलापूर्ति करने वाली पाइप लाइन में भी पानी जम गया. हमाम, बुखारी और कांगड़ी पर टिका जीवन बिजली आपूर्ति में साल दर साल हुए सुधार के बीच पिछले कुछ दशकों में कश्मीर के शहरी क्षेत्रों के लोगों ने ठंड से बचने के लिए पारंपरिक व्यवस्था- लकड़ी से बने ‘हमाम’, ‘बुखारी’ और ‘कांगड़ी’ को छोड़ दिया था. हालांकि, इन दिनों कश्मीर में भीषण सर्दियों के कारण यहां अधिकतर स्थानों पर बिजली की आपूर्ति अनियमित होने से बिजली संचालित उपकरण अनुपयोगी हो रहे हैं. लोग ने बताई दर्द श्रीनगर के गुलबहार कॉलोनी निवासी यासिर अहमद ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में हद सर्दी से बचने के लिए ‘इलेक्ट्रिक’ उपकरणों का इस्तेमाल करने के आदी हो गए थे. हर दिन 12 घंटे की बिजली कटौती के कारण अब हम कांगड़ी का सहारा ले रहे हैं.’ पुराने शहर के रैनावारी क्षेत्र निवासी अब्दुल अहद वानी ने बताया कि उन्होंने अपने लकड़ी जलाने से गर्म होने वाले हमाम को बिजली से संचालित हमाम में बदल दिया है. सत्ता में गलत लोग वानी ने कहा, ‘मैंने सोचा था कि लकड़ी का हमाम इस्तेमाल करना मुश्किल भरा है. बिजली द्वारा संचालित हमाम बेहतर होगा क्योंकि यह एक बटन दबाते ही चालू हो जाता है. सत्ता में बैठे लोगों को हमें गलत साबित करने की आदत होती है.’ लकड़ी की मांग बढ़ी बाजार में एलपीजी तथा केरोसिन की सीमित आपूर्ति और बिजली की कमी के कारण लकड़ी एवं चारकोल जैसे पारंपरिक ईंधन बेचने वालों का कारोबार अच्छा हो रहा है. जलाने में उपयोग होने वाली लकड़ियों का व्यापार करने वाले मोहम्मद अब्बास जरगर ने कहा, ‘इस सर्दी में लकड़ी की मांग अच्छी रही है. लोगों के ठंड से बचने के लिए लकड़ियों से बेहतर कुछ भी नहीं है.’ बिजली विभाग का रोना कश्मीर विद्युत विकास निगम (केपीडीसीएल) के एक अधिकारी ने कहा कि सर्दियों के दौरान मांग में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण लोड बढ़ा है, लेकिन 16 घंटे की कटौती का दावा गलत है. उन्होंने कहा कि सर्किट पर अधिक लोड पड़ने के कारण वितरण ट्रांसफार्मर और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को कभी-कभी नुकसान पहुंचता है, जिससे लंबे समय तक बिजली कटौती होती है. Tags: Jammu kashmir, Weather UdpateFIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 14:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed