भारत में धान के लिए खतरा बना फिजी का ये वायरसUP और MP में भी दिखा था असर

डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि फिजी वायरस वैसे तो दक्षिणी भारत में धान की फसल में को चपेट में लेता है, लेकिन 2 साल पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी फिजी वायरस का कहर देखने को मिला था. यहां धान की किस्म पीआर 113 में फिजी वायरस के लक्षण देखने को मिले थे. जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ था.

भारत में धान के लिए खतरा बना फिजी का ये वायरसUP और MP में भी दिखा था असर
शाहजहांपुर : बरसात के मौसम में धान की फसल में रोग और कीट का खतरा बढ़ जाता है. बहुत से ऐसे रोग हैं, जिनका समय पर उपचार न हो तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है. ऐसा ही रोग है फिजी वायरस, फिजी वायरस से धान के उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. एक्सपर्ट का कहना है कि फिजी वायरस भूरे रंग के फुदके की वजह से फैलता है. फिजी वायरस को फैलने से रोकने के लिए हरे फुदके का समय पर उपचार करना जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि फिजी वायरस धान की फसल को प्रभावित करने वाला एक गंभीर वायरस है. यह वायरस धान के पौधे को बौना बना देता है, जिससे फसल की पैदावार में काफी कमी आ जाती है. . संक्रमित पौधे स्वस्थ पौधों की तुलना में बहुत छोटे रह जाते हैं. पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे सूख जाती हैं. संक्रमित पौधों में धान के दाने नहीं आते या बहुत कम आते हैं. यह वायरस मुख्य रूप से एक कीट, भूरे रंग के फुदके द्वारा फैलता है. भूरे फुदके को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है. दो साल पहले दिखा था कहर डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि फिजी वायरस वैसे तो दक्षिणी भारत में धान की फसल में को चपेट में लेता है, लेकिन 2 साल पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी फिजी वायरस का कहर देखने को मिला था. यहां धान की किस्म पीआर 113 में फिजी वायरस के लक्षण देखने को मिले थे. जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ था. ऐसे में जरूरी है कि किसान समय पर इस रोग को फैलने से रोक लें. रोपाई के 15 दिन बाद डालें ये दवा डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि फिजी वायरस फसल में ना आए, इसके लिए किसानों को धान की पौध डालते समय ही ध्यान देने की जरूरत है. पौध में अगर फिजी वायरस के लक्षण दिखाई दें तो 15 से 20 दिन की पौध में टोकन या ओशीन नाम की दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां किसान 60 से 80 ग्राम दवा को 250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव कर सकते हैं. जिससे धान की पौध काफी हद तक सुरक्षित होगी. ऐसे करें दवा का छिड़काव डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि रोपाई के बाद अगर धान की फसल में फिजी वायरस के लक्षण दिखाई दें तो किसान टोकन या फिर ओशीन नाम की 100 ग्राम दवा को 250 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ फसल में छिड़काव कर दें. खेत के किनारो की मेड़ों को साफ रखें, आसपास खरपतवार ना उगने दें. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 16:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed