आजादी के लिए वीर सपूतों ने कैसे लड़ी लड़ाई इस संग्रहालय में देखें पूरा वीडियो
आजादी के लिए वीर सपूतों ने कैसे लड़ी लड़ाई इस संग्रहालय में देखें पूरा वीडियो
Allahabad Museum: इलाहाबाद संग्रहालय में चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल आज लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. युवाओं में इसे देखने का अलग ही क्रेज बना हुआ है. यहां दिनभर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है.
रजनीश यादव/प्रयागराज: लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत को अपना उपनिवेश बनाकर रखा था. इस गुलामी की जंजीर से निकालने के लिए भारतीयों को इन 200 वर्षों तक कठिन संघर्ष करना पड़ा, जिसमें देश के हजारों वीर सपूतों को अपनी शहादत भी देनी पड़ी. जिसकी यादें आज भी कई संग्रहालय में सजों कर रखी गई है. वहीं, प्रयागराज स्थित इलाहाबाद संग्रहालय में भी इन्हीं महान क्रांतिकारी में से एक चंद्रशेखर आजाद एवं अन्य क्रांतिकारी की वीरता के साक्ष्य आज भी मौजूद हैं, जिसे देखने के लिए रोज सैकड़ों लोग पहुंचते हैं.
इलाहाबाद संग्रहालय में है आजाद वीथिका
इलाहाबाद संग्रहालय चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थित है, जिसमें चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, रोशन कुमार, राजेंद्र लाहिड़ी सहित अन्य क्रांतिकारी से जुड़ी कहानी मौजूद है. जहां आजादी की लड़ाई की शुरुआत से लेकर 15 अगस्त 1947 यानी कि देश की आजादी तक की कहानी ऑडियो एवं विजुअल माध्यम से उपलब्ध है.
यह देश की पहली आधुनिकतम डिजिटल गैलरी है जहां पर इस तरह की सुविधा उपलब्ध है. इस आजाद वीथिका में प्रवेश करते ही कदम कदम पर वीडियो में आजादी की लड़ाई और कान में उसकी गूंज होने लगती है.
आजाद के पिस्टल का है क्रेज
इलाहाबाद संग्रहालय की संजू शुक्ला बताती हैं कि जब से चंद्रशेखर आजाद के काल्ट पिस्टल को बाहर लगा दिया गया है, तब से यह देखने को मिल रहा है कि यहां आने वाले लोगों में युवा ज्यादातर समय इस पिस्तौल को देखने में देते हैं. युवाओं में इस पिस्तौल का क्रेज बहुत है, जिसके साथ सेल्फी लेते हैं और फोटो खिंचवाते हैं.
ऐसे मिलता है प्रवेश
इलाहाबाद संग्रहालय में प्रवेश करने के लिए चंद्रशेखर आजाद पार्क के गेट नंबर 2 से प्रवेश करना होता है. जहां पार्क में प्रवेश का 5 रुपए का टिकट लगता है, तो वहीं, इलाहाबाद संग्रहालय में प्रवेश करने के 50 रुपए टिकट लगाए गए हैं. जहां इस संग्रहालय में प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग यहां की प्राचीन एवं पुरातात्विक चीजों को देखते हैं तो वहीं, आजाद वीथिका को ज्यादा समय देते हैं.
यह है आजाद की कहानी
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भवर गांव में हुआ था. मात्र 24 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने अंग्रेजों को अपनी बहादुरी का लोहा मनवा दिया था. 27 फरवरी 1931 में अल्फ्रेड पार्क में एक खुफिया योजना के दौरान अंग्रेजों से मुखबिरी के बाद अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से चारों ओर से घिर जाते हैं ,जहां वह अपनी अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी. जब इनके पिस्तौल की गोली खत्म होने वाली थी तो उन्होंने आखिरी गोली से खुद को मारकर देश के लिए शहादत दे दी.
Tags: Allahabad news, Local18, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 14:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed