गोबर गोमूत्र मिट्टी और गुड़ से तैयार ये खाद है फसलों के लिए वरदान

यूं तो गाय पालने के अनेकों फायदे हैं लेकिन इसका सबसे अधिक फायदा किसान अपनी खेती में उठा सकते हैं. एक देसी गाय के गोबर से 30 एकड़ में मामूली खर्च मे खेती की जा सकती है. गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद बनाकर इसे खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ेगी साथ ही साथ उपज में भी वृद्धि होगी.

गोबर गोमूत्र मिट्टी और गुड़ से तैयार ये खाद है फसलों के लिए वरदान
आजमगढ़: आज के युग में किसान तरह-तरह के आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके खेती कर रहे हैं और अपनी उपज को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उपज को बढ़ाने के लिए खेतों में विभिन्न प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे मिट्टी के गुणवत्ता में समय दर समय कमी आती जा रही है. इसके साथ ही खेतों में हो रही पैदावार भी लोगों के लिए हानिकारक साबित हो रही है. ऐसे में आज हम आपको खेती का एक ऐसा तरीका बताएंगे जिससे कम लागत में ही खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ ही फसलों की पैदावार में भी बढ़ोतरी की जा सकती है. यूं तो गाय पालने के अनेकों फायदे हैं लेकिन इसका सबसे अधिक फायदा किसान अपनी खेती में उठा सकते हैं. एक देसी गाय के गोबर से 30 एकड़ में मामूली खर्च मे खेती की जा सकती है. गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद बनाकर इसे खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ेगी साथ ही साथ उपज में भी वृद्धि होगी. देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से बिजामृत, जीवामृत, घन जीवमृत बनाया जाता है. जिसका फसलों के लिए अमृत से कम नहीं है. इस तरह बनाएं खाद कृषि वैज्ञानिक अखिलेश कुमार ने बताया कि घन जीवामृत गोबर से निर्मित एक सूखी खाद होती है. घन जीवामृत बनाने के लिये 100 किलो देसी गाय के गोबर को, 2 किलो गुड़, 2 किलो दाल का आटा और 1 किलो मिट्टी डाल कर अच्छी तरह मिश्रण बना लें. इस मिश्रण में गोमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें. अब इस घन जीवामृत को छांव में अच्छी तरह फैला कर सुखा लें. सूखने के बाद इसे बारीक कर लें. इसे बुवाई के समय या पानी देने के 2 से 3 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं. यह फसल के लिए एक तरीके से टॉनिक का काम करता है. देसी गाय के 1 ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ जीवाणु उत्पन्न होते हैं. इन जीवाणुओं से मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की गुणवत्ता बढ़ जाती है जिससे पौधों को भोजन निर्माण में सहायता मिलती है. आजमगढ़ में 50 किसान कर रहे जैविक खेती अखिलेश कुमार ने बताया कि आजमगढ़ में छोटे-बड़े लगभग 50 किसान इस तरीके की जैविक खेती कर रहे हैं. जैविक खेती से पैदावार में भी बढ़ोतरी हो रही है, इसके साथ-साथ मिट्टी के गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है. इसके अलावा खेतों में केमिकल युक्त कीटनाशकों का प्रयोग न करने से जिन फसलों का उत्पादन हो रहा है वह बिल्कुल प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं. Tags: Agriculture, Azamgarh news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 08:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed