इंजीनियरिंग ग्रेजुएट SSB क्लियर करके बनें नेवी ऑफिसर अब मिला मेडल

Indian Navy Success Story: भारतीय नौसेना में ऑफिसर (Navy Officer) बनने की चाहत हर युवाओं के दिलों में होती है. अगर यह चाहत पूरी हो जाए और राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त हो, तो इससे खुशनुमा पल जीवन का कुछ नहीं हो सकता है. ऐसे ही कहानी एक नेवी ऑफिसर की है.

इंजीनियरिंग ग्रेजुएट SSB क्लियर करके बनें नेवी ऑफिसर अब मिला मेडल
भारतीय नौसेना में अधिकारी बनने का सपना हर युवाओं का होता है. अगर आप इस सपने को पूरा करने में कामयाब रहे और राष्ट्रपति से मेडल मिल जाएं, तो इससे गौरव की बात और कुछ भी नहीं हो सकती है. हम एक ऐसे ही नेवी ऑफिसर (Navy Officer) की बात कर रहे हैं, जिन्हें उनकी असाधारण साहस, वीरता और अपने कर्तव्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र प्रदान किया गया है. उन्हें यह सम्मान गोताखोर के रूप में साहसपूर्वक नेतृत्व करने के लिए मिला है. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद SSB को क्लियर करके नेवी में ऑफिसर बने हैं. इनका नाम लेफ्टिनेंट बिमल रंजन बेहरा (Lieutenant Bimal Ranjan Behera) है. लेफ्टिनेंट बिमल रंजन बेहरा को पिछले साल 6 मार्च को तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) द्वारा फ्यूल प्रोडक्शन स्टोरेज एंड ऑफ लोडिंग वाले जहाज में ऑपरेशन संबंधी आपात स्थिति की सूचना मिली. इसके बाद उन्होंने गोताखोर के रूप में साहसपूर्वक नेतृत्व किया. उन्होंने खुद की जान की परवाह किए बगैर एक खतरनाक और शत्रुतापूर्ण डाइविंग ऑपरेशन में गोता लगाया. मरीन इंजीनियरिंग में किया बीटेक नेवी ऑफिसर बिमल रंजन बेहरा (Lieutenant Bimal Ranjan Behera) ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के हदुआ गांव से ताल्लुक रखते हैं. टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिमल रंजन ने महाराष्ट्र के दिग्रास में टोलानी मैरीटाइम इंस्टीट्यूट से मरीन इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की हैं. उन्होंने अपना क्लीयरेंस डाइविंग कोर्स भी पूरा किया और भारतीय नौसेना के डाइविंग स्कूल से डाइविंग टेक्नोलॉजी में एमएससी की डिग्री प्राप्त की. उनके पिता भारतीय सेना के ऑर्डिनेंस कोर में एम्यूनेशन टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत थे. पूर्वी नौसेना कमान में हैं नेवी ऑफिसर वर्तमान में बिमल रंजन बेहरा विशाखापत्तनम के पूर्वी नौसेना कमान में डीएसवी निस्तार पर बचाव अधिकारी (डिजाइन) के रूप में कार्यरत हैं. ONGC ने काकीनाडा के पास अपने गहरे समुद्र में स्थित प्रोजेक्ट में ऑपरेशनल इमरजेंसी की सूचना दी, तो उन्होंने मुख्य गोताखोर के रूप में काम किया. देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण एक प्रमुख अपतटीय विकास परियोजना के लिए काकीनाडा में तैनात ONGC के फ्यूल प्रोडक्शन स्टोरेज एंड ऑफ-लोडिंग पोत आर्मडा स्टर्लिंग V को फ्यूल निष्कर्षण मैकेनिज्म में मछली पकड़ने के जाल के उलझने के कारण अचानक ऑपरेशन स्थगित करना पड़ा. इसके बाद  ONGC को भारतीय नौसेना से मदद मांगनी पड़ी. लेफ्टिनेंट बेहरा (Lieutenant Bimal Ranjan Behera) ने 440 मीटर गहरे पानी में खतरनाक और शत्रुतापूर्ण डाइविंग ऑपरेशन में जाल को निकालने के लिए वीरता दिखाई और खुद की जान की भी परवाह नहीं की. उन्होंने पानी की तेज़ धारा और जटिल अंडरवाटर फिटिंग के बावजूद जाल को साफ किया. ये भी पढ़ें… देश के टॉप लॉ कॉलेजों से करना चाहते हैं पढ़ाई, तो पास करनी होगी ये परीक्षा, जानें तमाम डिटेल Indian Army में बिना लिखित परीक्षा के ऑफिसर बनने का मौका, बस चाहिए ये योग्यता, 85000 होगी सैलरी Tags: Indian navy, Indian Navy officer, Success StoryFIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 15:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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