कांग्रेस अध्यक्ष को ही सीएम चुनने का अधिकार- सचिन पायलट गुट के विधायक ने याद दिलाया राजस्थान का इतिहास
कांग्रेस अध्यक्ष को ही सीएम चुनने का अधिकार- सचिन पायलट गुट के विधायक ने याद दिलाया राजस्थान का इतिहास
राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री चुनने को लेकर कांग्रेस विधायकों की खुली बगावत के बीच पायलट गुट के विधायकों ने बताया कि वर्ष 1998 के बाद से राजस्थान में तीन मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष को ही मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत किया जा चुका है और अब गहलोत गुट के विधायक उसी उपाय के खिलाफ खड़े हैं.
हाइलाइट्सपायलट गुट के विधायकों ने अशोक गहलोत के समर्थक कांग्रेस विधायकों के बगावती रुख पर सवाल उठाया.उन्होंने बताया कि वर्ष 1998 के बाद से कांग्रेस अध्यक्ष को सीएम चुनने के लिए अधिकृत किया जा चुका है.उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने ही अशोक गहलोत को पहली बार सीएम चुना था, तब वह विधायक भी नहीं थे.
जयपुर. राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री को लेकर अशोक गहलोत के समर्थक कांग्रेस विधायकों के बगावती रुख के बीच सचिन पायलट के करीबी माने जाने विधायक राज्य का सियासी इतिहास याद दिलाते हुए बागी विधायकों के व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं. पायलट गुट के विधायकों ने बताया कि वर्ष 1998 के बाद से राजस्थान में तीन मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष को मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत किया जा चुका है और अब गहलोत गुट के विधायक उसी उपाय के खिलाफ खड़े हैं.
दरअसल जयपुर में रविवार को प्रस्तावित कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में सोनिया गांधी को अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया जाना था, लेकिन सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं पर अडंगा लगाने के मकसद से गहलोत गुट के 92 सांसदों ने इस बैठक में शामिल न होते हुए स्पीकर सीपी जोशी के घर जा पहुंचे और उन्हें सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया.
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इस पूरे घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए राजस्थान के एक नेता याद दिलाते है कि जब अशोक गहलोत पहली बार वर्ष 1998 में मुख्यमंत्री बने थे, तब भी विधायक दल ने उनका नेता चुनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत करने वाले एक-पंक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले यह नेता बताते हैं, ‘गहलोत तब राजस्थान के प्रमुख नहीं थे … 1998 में जब वे मुख्यमंत्री बने थे तब तो वह विधायक भी नहीं थे. वह सांसद थे. फिर भी एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई और गहलोत को चुना गया.’
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वह राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बगावत को सचिन पायलट के खिलाफ षड्यंत्र न मानकर, कांग्रेस अध्यक्ष के अधिकार को कमतर करने का प्रयास करार देते हैं. वह बताते हैं, ‘इसी तरह एक-पंक्ति के प्रस्ताव 2008 और 2018 में पारित किए गए थे, तब किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं जताई. लेकिन अब गहलोत के वफादारों ने इस तरह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सशर्त समाधान की मांग की है…’
वहीं पालयट गुट के एक अन्य नेता कहते हैं कि ‘यह ‘नए’ गहलोत हैं. जो लोग उन्हें वर्षों से जानते हैं, उन्होंने ऐसा होने की उम्मीद नहीं की थी.’ इसके साथ ही वह कहते हैं कि मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर हुई समानांतर बैठक के लिए गहलोत को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. ‘वह मुख्यमंत्री हैं. अगर विधायक उनके प्रति वफादार हैं, तो उन्हें जवाब देना चाहिए कि वे [सीएलपी] की बैठक में क्यों नहीं आए.’
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Tags: Ashok gehlot, Rajasthan Congress, Rajasthan Crisis, Sachin pilotFIRST PUBLISHED : September 27, 2022, 22:06 IST