भारत लगाना चाहता है तेजस में US इंजन की धार लेकिन US की GE ने कर दिया खेल

Indian Air Force News: भारत का स्‍वीदेशी तेजस लड़ाकू विमान पूरी तरह से भारत में ही बनकर तैयार हुआ है. तेजस मार्क-1ए जेट के तहत इस विमान में अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक के आधुनिक इंजन को लगाने की तैयारी है. हालांकि कंपनी ने समय पर इस प्रोजेक्‍ट को पूरा करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

भारत लगाना चाहता है तेजस में US इंजन की धार लेकिन US की GE ने कर दिया खेल
हाइलाइट्स स्‍वदेशी तेजस लड़ाकू विमान भारतीय सेना का हिस्‍सा है. तेजस में अमेरिकी जनरल इलेक्‍ट्रिक का अधुनिक इंजन लगाने की तैयारी है. अमेरिकी कंपनी ने समय पर प्रोजेक्‍ट पूरा करने से हाथ खड़े कर दिए हैं. Indian Air Force News: भारतीय वायुसेना को अधुनिक बनाने में लगी सरकार को अमेरिका से झटका लगा है. नए स्वदेशी तेजस मार्क-1ए जेट की निर्माण प्रक्रिया में लगातार देरी होती नजर आ रही है. अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) द्वारा इंजनों की आपूर्ति में लगातार हो रही देरी के कारण ऐसा हो रहा है. भारत की योजना अमेरिका के सहयोग से 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की है. रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) के साथ फरवरी 2021 में यह सौदा हुआ था. जिसके तहत 83 ऐसे सिंगल-इंजन जेट बनाने की योजना थी. 46,898 करोड़ रुपये के इस सौदे के तहत 2024-25 तक भारतीय वायुसेना को 16 नए तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान मिलने थे. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अब कंपनी की तरफ से बताया गया है कि इस समय सीमा तक केवल दो से तीन लड़ाकू विमान ही मिल पाएंगे. बता दें कि पीएम मोदी पिछले महीने क्‍वाड और यूनाइटेड नेशन बैठक के लिए अमेरिका गए थे. तब उन्‍होंने 99 जीई-एफ404 टर्बोफैन जेट इंजनों की डिलीवरी में देरी को उठाया था. जिसके बाद जीई ने तय समय से लगभग दो साल पीछे, मार्च 2025 तक आपूर्ति शुरू करने का वादा किया है. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि 716 मिलियन डॉलर के अनुबंध की शर्तों के अनुसार, एचएएल इस मामले में दंडात्मक प्रावधान लागू कर सकता है. हालांकि यह एक लॉजिस्टिक का मुद्दा है, जिसे जीई और एचएएल के बीच सुलझाया जा सकता है. जीई का कहना है कि उसे अपने दक्षिण कोरियाई आपूर्तिकर्ताओं में से एक से आपूर्ति सीरीज संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.” 80 प्रतिशत टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर इसके अलावा एचएएल और जीई अब योजनाबद्ध तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमानों के लिए भारत में ज्‍यादा शक्तिशाली जीई-एफ414 एयरो-इंजन के साथ मिलकर प्रोडक्‍टशन के लिए टैक्‍नो-कमर्शियल नेगोसिएशन भी कर रहा है. अगर यह डील हुई तो लगभग 1 बिलियन डॉलर की लागत से 80% टेक्‍नोलॉजी भारत को ट्रांसफर की जाएगा. यह डील इसी वित्तीय वर्ष में फाइनल हो सकती है. इंजन की देरी के साथ-साथ, तेजस मार्क-1ए पर हथियारों के साथ-साथ इजरायली रडार का इंटीग्रेशन भी मौजूदा वक्‍त में चल रहा है. बेहद ताकतवर हो जाएगी वायुसेना अगर यह डील समयबद्ध तरीके से अमल में लाई जाती हैं तो वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. भारतीय वायुसेना अगले 15 सालों में 180 तेजस मार्क-1ए और कम से कम 108 मार्क-2 जेट विमानों को शामिल करने पर विचार कर रही है. मौजूदा वक्‍त में धीरे-धीरे ही सही लेकिन भारत के लड़ाकू विमानों की संख्‍या में गिरावट होती नजर आ रही है. इन डील के जरिए भारत अपने लड़ाकू विमानों की संख्या में गिरावट को रोका सकता है. सेना फिलहाल सिर्फ 30 लड़ाकू विमानों के साथ काम चला रही है जबकि चीन और पाकिस्तान से खतरे से निपटने के लिए 42.5 स्क्वाड्रन अधिकृत हैं. भारतीय वायुसेना की 114 नए 4.5-पीढ़ी के मल्‍टी-रोल वाले लड़ाकू विमानों (MRFA) की लंबे समय से चली आ रही तलाश भी अभी पूरी होने से बहुत दूर है. Tags: America News, Indian air force, World newsFIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 09:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed