Explainer: क्या है वो धारा जो PM-CM के खिलाफ अभद्र पोस्ट करने वाले युवक पर लगी
Explainer: क्या है वो धारा जो PM-CM के खिलाफ अभद्र पोस्ट करने वाले युवक पर लगी
Section 153 of IPC: यूपी के गाजियाबाद में बिजली कटौती से झुंझलाए एक युवक ने सोशल मीडिया पर पीएम और सीएम के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी. उसके लिए यह मंहगा पड़ा. पुलिस ने उस पर धारा 153 लगा दी और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
Section 153 of IPC: इन दिनों पड़ रही प्रचंड गर्मी ने एक तो लोगों को वैसे ही परेशान किया हुआ है. उस पर अगर बिजली भी न आए तो समझिए यह ‘कोढ़ में खाज’ वाली हालत है. उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे जिला गाजियाबाद में बिजली कटौती से झुंझलाए एक युवक ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी. गर्मी से परेशान युवक का एक्स पर टिप्पणी करना उसके लिए मंहगा साबित हुआ. गाजियाबाद पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट का संज्ञान लेते हुए युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक युवक पेशे से वकील है और वसुंधरा के सेक्टर-13 का रहने वाला है. युवक ने 19 जून को हिमांशु कौशिक नाम के एक्स अकाउंट से यह पोस्ट की थी.
इंदिरापुरम के एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि थाना इंदिरापुरम के वसुंधरा चौकी क्षेत्र में एक एक्स पोस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था. एक्स हैंडलकर्ता के खिलाफ तत्काल उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज करायी गई. उसके खिलाफ IPC की धारा 153 और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस ने युवक को हिरासत में ले लिया है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है. IPC की धारा 153 दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.
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क्या है आईपीसी की धारा 153
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A ‘धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने’ के मामले में लगाई जाती है. इसमें 3 साल तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है. अगर किसी तरह के उकसावे पर दंगा या उपद्रव होता है तब तो एक साल से ज्यादा का कारावास या जुर्माना दोनों में से कोई भी सजा मिल सकती है. या जेल या जुर्माना दोनों एक साथ भी हो सकते हैं. अगर दंगा या उपद्रव नहीं होता है तो अधिकतम छह माह की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.
धारा 153 के तहत अपराध की प्रकृति
hindi.ipleaders.in के मुताबिक आईपीसी की धारा 163 में कहा गया है कि जो कोई व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अवैध तरीकों से किसी दंगे को कारण बनता है या किसी को उकसाता है. और वह जानता है कि इस तरह के उकसावे से दंगा भड़क सकता है. तो इस प्रावधान के तहत उसे दंडित किया जा सकता है. इस प्रावधान का सबसे रोचक पहलू यह है कि कोई भी सजा से बच नहीं सकता है, भले ही दंगा हुआ हो या नहीं हुआ हो. इसका मतलब यह है कि यह धारा आरोपी को दोषी ठहराती है, भले ही इस तरह के उकसावे का परिणाम सीधे दंगा या उपद्रव न हो. आईपीसी, 1973 की धारा 1 के मुताबिक अपराध को संज्ञेय और गैर संज्ञेय के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है.
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बिना वारंट के किया जा सकता है गिरफ्तार
जहां एक संज्ञेय अपराध पुलिस को बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देता है. वहीं एक गैर संज्ञेय अपराध, पुलिस अधिकारी को अदालत से आवश्यक अनुमति लेने के बाद ही ऐसा करने की अनुमति देता है. इसके अलावा, संज्ञेय अपराध मुख्य रूप से गंभीर प्रकृति के अपराधों से संबंधित होते हैं. गैर-संज्ञेय अपराधों में आमतौर पर निजी गलतियां होती हैं जो प्रकृति में कम गंभीर होती हैं. हालांकि धारा 153 के तहत किया गया अपराध एक गंभीर प्रकृति का है, इसे एक संज्ञेय अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. इसके तहत आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.
Tags: CM Yogi Aditya Nath, Electricity problem, Ghaziabad News, Pm narendra modiFIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 17:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed