महाराष्ट्रः विधायकों की अयोग्यता को लेकर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई जानें किस पक्ष ने क्या कहा
महाराष्ट्रः विधायकों की अयोग्यता को लेकर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई जानें किस पक्ष ने क्या कहा
उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की एक तिहाई विधायक को जो मेन पार्टी से अलग होते है उनको किसी और पार्टी को ज्वाइन करना है या उसके साथ सम्मिलित होना है. यहा पर न बागी विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन किया है और न ही उसमें बागियों की पार्टी का विलय हुआ है.
हाइलाइट्सविधायकों की अयोग्यता को लेकर उद्धव ठाकरे की तरफ से मुन सिंघवी और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त को दी है.वहीं सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा कि इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ में भेजा जाना चाहिए
मुंबई. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार की संवैधानिकता का मामला 5 जजों की बेंच को भेजा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया की इस मामले में दलबदल कानून को गहराई से समझने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट में आज हुई तीखी बहस के बाद अदालत ने दोनो पक्षों को कहा की वो उन सभी मुद्दों को लिख कर दें, जिस पर वो बहस करना चाहते है. फिर एक अगस्त को सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमना ने कहा की इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ में भेजा जाना चाहिए. ताकि इस बहस को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके.
इस मामले के मूल में संविधान का दसवां शेड्यूल और दलबदल कानून है. इस नियम के तहत किसी भी पार्टी के एक तिहाई या उससे ज्यादा विधायक को अपनी मुख्य पार्टी से अलग होने की इजाजत है. एक तिहाई से काम संख्या में अगर विधायक पार्टी को छोड़ते हैं तो वो अयोग्य हो सकते है. साथ ही मुख्य पार्टी को छोड़ने के बाद उन्हें किसी और पार्टी को ज्वाइन करना होता है. महाराष्ट्र में जो हुआ उसे दोनों पक्ष अपनी अपनी नजर से देख रहे हैं. मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है की ये दलबदल कानून का मामला ही नहीं है. एक पार्टी के अंदर ज्यादातर विधायक अपने नेता से असंतुष्ट थे और उन्होंने अपनी सरकार बना ली.
वहीं उद्धव ठाकरे गुट की दलील है की ये पार्टी को तोड़ने और लोकतंत्र को खतम करने की कोशिश है. उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की एक तिहाई विधायक को जो मेन पार्टी से अलग होते है उनको किसी और पार्टी को ज्वाइन करना है या उसके साथ सम्मिलित होना है. यहा पर न बागी विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन किया है और न ही उसमें बागियों की पार्टी का विलय हुआ है. फिर गवर्नर ने कैसे नई सरकार का गठन कर दिया. ये तो सीधा सीधा अयोग्यता का मामला बनता है.
इसके अलावा मनु सिंघवी ने कहा कि ये मोरल, एथिकल और संवैधानिक मामला है जिसे कोर्ट को देखना चाहिए. वहीं ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि 40 शिव सेना के विधायकों ने पार्टी छोड़ दिया है. उनको अयोग्य होना चाहिए. 3.7.22 और 4.7.22 को इन लोगों ने शिव सेना के खिलाफ सदन में वोट दिया. इनको अयोग्य होना चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि गवर्नर को नए सी एम को शपथ नही दिलाना चाहिए था जब अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था.
कपिल सिब्बल ने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित था तो नए स्पीकर कैसे बन गए. उनको चुना जाना गैर कानूनी है. शिव सेना के व्हिप का उलंघन करना भी अयोग्यता है. स्पीकर ने दूसरे ही दिन ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया. ऐसा कैसे हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट को विधान सभा का रिकॉर्ड मंगवाना चाहिए और देखना चाहिए की शिव सेना (ठाकरे) से बगावत करने वाले विधायक अयोग्य हैं या नही. दलबदल कानून को बदल दिया गया है। 10 शेड्यूल का मजाक बन रहा है, जो कानून पार्टी को टूटने से रोकने के लिए बनाया गया था और अब उसी का इस्तेमाल पार्टी तोड़ने के लिए हो रहा है.
वहीं एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से दलील दे रहे हरीश साल्वे ने कहा कि यहां अयोग्यता का मामला नही बनता. अयोग्यता का नियम पार्टी के अंदर डेमोक्रेसी को खत्म करता है. दलबदल तब आता है जब आप किसी और पार्टी को ज्वाइन करते है. यहां क्या हुआ है की पार्टी की बड़ी संख्या के लोग उस वक्त के सीएम के साथ नही थे. वो सीएम को पसंद नही करते थे.
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Tags: Eknath Shinde, Supreme Court, Uddhav thackerayFIRST PUBLISHED : July 20, 2022, 13:19 IST