राजनीतिक रेवड़ियों से मुफ्तखोरी तक: क्या लोकतंत्र अपने होने का अहसास करा पाएगा
राजनीतिक रेवड़ियों से मुफ्तखोरी तक: क्या लोकतंत्र अपने होने का अहसास करा पाएगा
सुधीर जैन
कोई मुद्दा जरूरी हो या न हो लेकिन अक्सर दिलचस्प जरूर बन जाता है. ऐसा ही एक मुद्दा है राजनीतिक मुफ्तखोरी या राजनीतिक सौगात का. अचानक कुछ लोगों को चिंता होने लगी है कि भारतीय राजनीति (Indian politics) में जनता को थोड़ा सा लालच देकर उनका समर्थन हासिल करने ...