दलाई के उत्तराधिकारी की बात सुन भड़का चीन तिब्बत पर जबरन थोप रहा अपना कानून
दलाई के उत्तराधिकारी की बात सुन भड़का चीन तिब्बत पर जबरन थोप रहा अपना कानून
Dalai Lama News: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन ने साफ-साफ कह दिया कि इसमें चीनी कानूनों का पालन होना चाहिए. एक ओर दलाई लामा तिब्बत की स्वायतता की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं चीन उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति में दखल देना चाहता है.
नई दिल्ली: आखिर दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसे लेकर काफी समय से कयास लगाए जा रहे हैं. अब इस पर खुद तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 88 वर्षीय दलाई लामा का जवाब आया है. दलाई लामा ने कहा कि वह अभी पुनर्जन्म यानी अगले दलाई लामा की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में नहीं सोच रहे हैं. हालांकि, दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव की बात सुनते ही चीन को मिर्ची लगी है. तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन ने साफ-साफ कह दिया कि इसमें चीनी कानूनों का पालन होना चाहिए. एक ओर दलाई लामा तिब्बत की स्वायतता की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं चीन उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति में दखल देना चाहता है.
जैसे ही एक अखबार में दलाई लामा का इंटरव्यू छपा, चीन भड़क उठा. उसने अखबार और रिपोर्टर को टैग करके साफ तौर पर कह दिया कि दलाई लामा के पुनर्जन्म प्रक्रिया में चीनी कानून का पालन करना होगा. धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाहने वाला चीन अब धार्मिक स्वतंत्रता की बात कर रहा है. उसने दो टूक शब्दों में कहा है कि मौजूदा दलाई लामा के चयन को भी चीनी सरकार ने ही मान्यता दी थी और अब अगर नया उत्तराधिकारी भी होता है तो उसे चीनी कानूनों का पालन करना होगा और जिनपिंग सरकार से मंजूरी लेनी होगी. बता दें कि चीन का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब तिब्बत के लोग चाहते हैं कि उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया में चीन का दखल न हो.
आखिर चीन ने क्या कहा?
भारत में चीन एंबेसी के प्रवक्ता ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘द ट्रिब्यून दलाई लामा के पुनर्जन्म में रुचि रखते हैं, इसलिए मैं यह स्पष्ट कर दूं. तिब्बती बौद्ध धर्म में विरासत की एक अनूठी संस्था के रूप में जीवित बुद्धों का पुनर्जन्म अनुष्ठानों और परंपराओं की एक निश्चित श्रृंखला के साथ होता है. चीनी सरकार धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति को लागू करती है. पुनर्जन्म प्रक्रिया को चीनी कानूनी साधनों द्वारा सम्मानित और संरक्षित किया जाता है. दलाई लामा के पुनर्जन्म की संस्था कई सौ वर्षों से अस्तित्व में है. 14वें दलाई लामा को धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करके पाया गया और मान्यता दी गई थी. और उनके उत्तराधिकार को उस वक्त के चीनी सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी. इसलिए दलाई लामा सहित जीवित बुद्धों के पुनर्जन्म को चीनी कानूनों और विनियमों का पालन करना चाहिए. साथ ही धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करना चाहिए.’
आखिर दलाई लामा ने क्या कहा?
तिब्बती समुदाय पुनर्जन्म की पवित्रता को कैसे बनाए रखेगा, इस प्रश्न के जवाब में दलाई लामा ने कहा कि मैं पुनर्जन्म के बारे में नहीं सोच रहा हूं. अहम बात यह है कि जब तक मैं जिंदा हूं, मुझे अपनी ऊर्जा का उपयोग अधिक से अधिक लोगों की मदद करने के लिए करना चाहिए. बता दें कि दलाई लामा निर्वासित तिब्बती सरकार के आध्यात्मिक चीफ हैं. इसका मुख्यालय धर्मशाला में है. अखबार ने एक केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता के हवाले से लिखा, ‘चीनियों ने कभी तिब्बत के बारे में नहीं सोचा, बल्कि केवल अपने बारे में सोचा. बीजिंग के पास कोई वैध अधिकार नहीं है और अगले दलाई लामा की नियुक्ति पर उनसे परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है.’
चीन क्या क्या है स्टैंड
दरअसल, चीन का कहना है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की प्रक्रिया में चीनी कानून का पालन करना होगा. चीन शुरू से कहता आया है कि दलाई लामा का कोई भी उत्तराधिकारी देश के अंदर से होना चाहिए और उसे इसकी अनुमति लेनी होगी. पिछले साल नवंबर 2023 में चीन सरकार ने एक श्वेत पत्र में कहा था कि दलाई लामा और पंचेन रिनपोचे सहित तिब्बत में रह रहे सभी अवतरित बुद्ध को देश के अंदर से ही उत्तराधिकारी ढूंढना होगा. उसे सोने के कलश से लॉटरी निकालने की परंपरा के जरिये निर्णय लेना होगा. और केंद्र सरकार यानी चीनी सरकार की मंजूरी लेनी होगी.
अमेरिका क्या चाहता है?
चीन से तनातनी का अब अमेरिका फायदा उठा रहा है. वह तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा दिख रहा है. यही वजह है कि अमेरिका भी चाहता है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया से बीजिंग को दूर रखा जाए. यही वजह है कि अमेरिका ने ‘तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020’ पारित कर दिया है. तिब्बत पर यह अमेरिका की आधिकारिक नीति है कि दलाई लामा का उत्तराधिकार एक पूर्णतः धार्मिक मुद्दा है, जिस पर केवल दलाई लामा और उनके फॉलोअर्स ही फैसला ले सकते हैं. भारत का भी स्टैंड भी कुछ ऐसा ही है. भारत भी चाहता है कि तिब्बतियों की इच्छा का पालन किया जाए.
Tags: China, Dalai LamaFIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 06:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed