Nainital: कुमाऊं के हर मेले और महोत्सव में जरूरी होता है छोलिया नृत्य जानें इसके पीछे की वजह

छोलिया उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है. यह कुमाऊं का पारंपरिक नृत्य है जिस वजह से ये कुमाऊं के लगभग सभी मेलों में देखने को मिल जाएगा.

Nainital: कुमाऊं के हर मेले और महोत्सव में जरूरी होता है छोलिया नृत्य जानें इसके पीछे की वजह
हिमांशू जोशी नैनीताल. उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा काफी मशहूर है. दरअसल यहां का रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएं व अन्य बाकी राज्यों से काफी अलग हैं. यहां कई तरह के मेले भी लगते हैं जिनमें चंपावत का देवीधुरा और पूर्णागिरि मेला, अल्मोड़ा और नैनीताल का नंदा देवी मेला, बागेश्वर का उत्तरायणी मेला व अन्य काफी विख्यात हैं. इन मेलों में उत्तराखंड का प्रमुख नृत्य छोलिया देखने को मिलता है. छोलिया उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है. यह नृत्य कुमाऊं का पारंपरिक नृत्य है जिस वजह से ये कुमाऊं के लगभग सभी मेलों में देखने को मिल जाएगा. हाथों में तलवार और ढाल लेकर, रंग-बिरंगे कपड़ों में नृत्य कर रहे कलाकार मेले में चार चांद लगाते हैं. इन दिनों नैनीताल में मां नंदा सुनंदा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस महोत्सव में भी छोलिया नृत्य देखने को मिल रहा है. इस छोलिया दल के प्रमुख राजन राम ने न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए बताया कि वह साल 2017 से इस दल से जुड़े हैं. उन्होंने कई महोत्सव, मंदिरों में यह नृत्य दिखाया है. इससे दर्शकों का मनोरंजन भी होता है और साथ ही मेले की रौनक और ज्यादा बढ़ जाती है. यह नृत्य उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के सरौ, पौणा नृत्य की तरह है. यह नगराज, नरसिंह और पांडव लीलाओं पर आधारित नृत्य है. इसमें नृत्य के जरिए संगीत का आनंद भी लिया जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Nainital newsFIRST PUBLISHED : September 07, 2022, 14:03 IST