जब आधी रात को भारत को आजादी मिली कैसी थी तब की जन्मपत्रीक्या थे ग्रह-नक्षत्र

Horoscope of 15 August 1947: जब भारत आधी रात के समय आजाद हुआ, उस समय की जन्मपत्री भी बनाई गई, जो भारत में ज्योतिषी बनाते हैं, इससे गणना करते हैं कि उस समय के हिसाब से ग्रह-नक्षत्र कहां पर हैं और इसका क्या फल निकलेगा

जब आधी रात को भारत को आजादी मिली कैसी थी तब की जन्मपत्रीक्या थे ग्रह-नक्षत्र
हाइलाइट्स दिल्ली के प्रमुख ज्योतिषियों का कहना था कि 14 अगस्त अधिक शुभ दिन था काशी और दक्षिण के ज्योतिषियों ने पंचांग खोलकर देखने के बाद क्या किया था ऐलान क्यों ज्योतिषी चाहते थे कि आजादी 15 अगस्त के दिन नहीं मिले हम सभी को मालूम है कि भारत 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी मिली थी. माना जाता है कि हमने 14 अगस्त बीतने के बाद ठीक आधी रात यानि 12.00 बजे का वक्त इसलिए चुना था, क्योंकि माना जाता है कि ऐसी देश के ज्योतिषियों की राय थी कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देखते हुए देश के बेहतर भाग्य के लिए इसी समय आजादी लेनी चाहिए. ऐसा ही हुआ. 14 अगस्त 1947 को दोपहर 12 बजे से संविधान सभा की बैठक शुरू हुई और जैसे ही घड़ियों ने आधी रात के 12 बजे बजाए, सत्ता ब्रिटेन के हाथों से भारत को हस्तगत हो गई. जाने-माने पत्रकार और हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक रहे दुर्गादास ने अपनी किताब “इंडिया – फ्राम कर्जन टू नेहरू एंड आफ्टर” में इस बारे में लिखा है, ” सत्ता अंतरण की तारीख तय करने को लेकर एक दिलचस्प किस्सा हुआ, माउंटबेटन के इस प्रस्ताव को एटली ने स्वीकार कर लिया था कि 15 अगस्त को सत्ता अंतरण किया जाए. लेकिन दिल्ली के प्रमुख ज्योतिषियों का कहना था कि 14 अगस्त अधिक शुभ दिन था.” वो आगे लिखते हैं,” नेहरू ने तरकीब निकाली, उन्होंने संविधान सभा की बैठक 14 अगस्त की दोपहर में की. ये बैठक रात को ठीक को 12 बजे तक चलती रही. जब अंग्रेजी प्रथा के अनुसार 15 अगस्त की तारीख शुरू हुई. तब का मुहुर्त हिंदू पंचांग के हिसाब से शुभ था. इस समय संविधान सभा की अंतरिम संसद के रूप में सत्ता ग्रहण की गई.” दक्षिण के ज्योतिषियों द्वारा आधी रात के समय आजादी की बनाई गई कुंडली यानि जन्मपत्री. (news18) पहले जून 1947 में भारत को आजादी देने की बात थी दरअसल मई 1947 को भारत के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबेटन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली से मिलने लंदन गए. ताकि भारत के बंटवारे के बारे चर्चा की जा सके. शुरू में भारत को जून 1948 में आजाद करने की बात थी. लेकिन इसी दौरान सांप्रदायिक भड़के और फैलने लगे तो ब्रिटेन ने एक साल पहले भारत को आजाद करने का फैसला कर लिया. एटली ने भी लगा दी आजादी की योजना पर मुहर माउंटबेटन 10, डाउनिंग स्ट्रीट अपनी योजना के साथ पहुंचे और प्रधानमंत्री और कैबिनेट के सामने इसको पेश किया. भारत और पाकिस्तान दोनों को आजादी के बाद ब्रिटिश कामनवेल्थ में रखना तय किया गया. एटली ने माउंटबेटन की नई योजना पर मुहर लगा दी. अब उनके सामने दो मुल्कों को आजाद करने को लेकर एक बड़ी बाधा अब भी रास्ते में थी. लार्ड माउंटबेटन मई 1947 में योजना के साथ लंदन पहुंचे. प्रधानमंत्री एटली और उनकी कैबिनेट ने उनकी योजना को हरी झंडी दे दी क्योंकि विंस्टन चर्चिल हाउस ऑफ लार्ड्स में विपक्ष के नेता थे. उनको भी इस पर मुहर लगानी थी, उनकी मंजूरी आसान नही थी. हाउस ऑफ लार्ड्स में कंजर्वेटिव पार्टी बहुमत में भी थी. वो अगर चाहते थे तो भारत की आजादी से संबंधित बिल को दो साल और आगे खिसका सकते थे. ये हर कोई महसूस कर रहे थे कि चर्चिल भारत को आजादी देने के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन चर्चिल के साथ मीटिंग के बाद माउंटबेटन ने उन्हें मना लिया. हालांकि ये आसान नहीं था. फिर हुई देश के बंटवारे की घोषणा 02 जून 1947 जब लार्ड माउंटबेटन जब वायसराय हाउस की स्टडी में बैठे हुए थे, तब जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और आचार्य कृपलानी उनसे मिलने आए. ये सभी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता थे. वहीं मुस्लिम लीग से मोहम्मद अली जिन्ना, लियाकत अली खान और रब निस्तार से भी मिलने आए. सिखों की ओर से बलदेव सिंह मौजूद थे. महात्मा गांधी ने इसमें मौजूद रहने से इनकार कर दिया. माउंटबेटन ने घोषणा की कब है आजादी की तारीख इस मीटिंग के बाद अगले दिन आल इंडिया रेडियो से देश के बंटवारे की घोषणा हो गई. माउंटबेटन ने प्रेस कांफ्रेस के जरिए बताया कि बंटवारा किस तरह होगा. इस कांफ्रेंस में दुनियाभर के पत्रकार मौजूद थे. उनके पास ढेरों सवाल थे. इसी कांफ्रेंस में माउंटबेटन ने बताया कि भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त तय की गई है. जब माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त घोषित की तो भारतीय ज्योतिषियों ने तुरंत अपने पंचांग खोलकर देखा और कहा आजादी का ये समय उचित नहीं. इसीलिए इसे बदला गया. आजादी 15 अगस्त में दिन में मिलने की बजाए आधी रात में ली गई भारतीय नेताओं को भी नहीं मालूम था कि क्या होगा ये वही दिन था जबकि जापान ने दूसरे विश्व युद्ध में सरेंडर करने की घोषणा की थी. तब माउंटबेटन दक्षिण एशिया की एलाइज सेनाओं के सुप्रीम कमांडर थे. जब उन्होंने तारीख की घोषणा की तो भारत के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई. हाउस ऑफ कामंस में, प्रधानमत्री के निवास स्थान डाउनिंग स्ट्रीट, बकिंघम पैलेस में किसी ने सोचा तक नहीं था कि माउंटबेटन भारत में ब्रिटेन के घटनामय इतिहास पर इस तरह अचानक पर्दा गिरा देंगे. दिल्ली में वायसराय के निकटतम सहयोगियों तक को इस बारे में कुछ पता नहीं था कि माउंटबेटन क्या करने वाले हैं. भारतीय नेताओं को भी नहीं जिन्होंने हाल ही में उनके साथ घंटों बिताए थे. ज्योतिषियों ने जब चार्ट खोले तो क्यों चिंतित हो गए इस पर भारत के ज्योतिषियों के कान खड़े हुए. उन्होंने अपने चार्ट खोले. 15 अगस्त 1947 के दिन शुक्रवार था. ज्योतिथिषों के अनुसार ये दिन अमंगलकारी था. लेपियर एंड कोलिंग ने अपनी किताब “फ्रीडम एट मिडनाइट” के अनुसार, जैसे ही माउंटबेटन ने 15 अगस्त को आजादी देने की घोषणा की, भारतीय ज्योतिषी अपने पंचांग खोलकर बैठ गए. क्यों ज्योतिषियों ने कहा कि 15 अगस्त का दिन ठीक नहीं काशी के ज्योतिषियों और दक्षिण के ज्योतिषियों ने फौरन ऐलान कर दिया कि 15 अगस्त का दिन इतना अशुभ है कि भारत के लिए अच्छा यही होगा कि हमेशा के लिए नरक की यातनाएं भोगने की बजाए एक दिन के लिए अंग्रेजों के शासन को और आगे बढ़ा दे. क्या थे उस समय के ग्रह-नक्षत्र कलकत्ता में स्वामी मदनानंद ने इस तारीख की घोषणा सुनते ही अपना नवांश निकाला और ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की स्थिति देखते ही वो चीख पड़े, क्या अनर्थ किया है इन लोगों ने. उन्होंने फौरन लार्ड माउंटबेटन को एक पत्र लिखा, भगवान के लिए भारत को 15 अगस्त के दिन स्वतंत्र मत करिए, इसके बाद बाढ़, अकाल का प्रकोप और नरसंहार हुआ तो इसका कारण केवल ये होगा कि स्वतंत्र भारत का जन्म एक अशुभ दिन हुआ था. 15 अगस्त 1947 की स्थिति पर पंचांग में जो दिखा रहा था, उसके अनुसार भारत की राशि मकर है. उस पर इस दिन पर शनि का गहरा असर नजर आ रहा था. वृषभ राशि का राहु लगन में ही था, जो बहुत चिंताजनक था. इससे स्वतंत्र होते देश में लगातार अस्थिरता और उतार-चढ़ाव रहने वाला था. तब आधी रात को ली गई आजादी  इसके चलते भारत को आजादी 14 अगस्त की आधी रात को मिली, जब 15 अगस्त की शुरुआत हो रही थी.कैलेंडर के अनुसार अगला दिन आधी रात के बाद शुरू हो जाता है जबकि भारत मान्यताओं और शास्त्र अगले दिन की शुरुआत सूरज के उदय के साथ मानते हैं. आजादी के समय की जन्मपत्री का विश्लेषण भारत को जिस समय आजादी मिली, उसके अनुसार देश की जन्मपत्री का विश्लेषण इस तरह है- भारत की आजादी की इस जन्मपत्री के अनुसार ये कुंडली वृषभ लगन की है, राहु और केतु एक्सिस पर हैं. लगन का स्वामी शुक्र तृतीय भाव में पांच ग्रह हैं- सूर्य, शनि, चंद्र, बुध और शुक्र हैं. हालांकि तृतीय भाव में इतने ग्रहों का होना उतार-चढ़ाव दिखाता है. ये हाउस पराक्रम भाव भी दिखाता है इसलिए भारत हर परेशानी का साहस से सामना आगे बढ़ रहा है और तरक्की कर रहा है. गुरु छठे भाव में विपरीत राजयोग बना रहा है यानि हमेशा प्रतिकूल स्थितियां रहती है लेकिन इसके बाद साहस इनसे पार पाता है. Tags: 15 August, August 15, Freedom Movement, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 09:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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