हल्द्वानी की इस चमत्कारी गुफा से सीधे हरिद्वार निकली थीं जिया रानी जानें न्याय की देवी का इतिहास
हल्द्वानी की इस चमत्कारी गुफा से सीधे हरिद्वार निकली थीं जिया रानी जानें न्याय की देवी का इतिहास
Jiya Rani Temple in Ranibagh Haldwani: जिया रानी मंदिर के पुजारी महेंद्र ललित गिरी गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि माता जिया रानी कत्यूरी वंश की रानी थीं. जबकि हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को रानीबाग में कत्यूरी वंश के लोग और सैकड़ों ग्रामवासी अपने परिवार के साथ आते हैं और ‘जागर’ लगाते हैं. इस दौरान सिर्फ ‘जय जिया’ का ही स्वर गूंजता है.
रिपोर्ट: पवन सिंह कुंवर
हल्द्वानी. उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के रानीबाग क्षेत्र में कई धार्मिक स्थल हैं. इन्हीं में से एक जिया रानी का मंदिर (Jiya Rani Temple in Ranibagh Haldwani) है. वह कत्यूरी वंश की रानी थीं. हर साल कत्यूरी वंश के लोग माता रानी की पूजा करने रानीबाग आते हैं. हल्द्वानी की रानीबाग में माता जिया रानी की वह गुफा आज भी मौजूद है, जिस गुफा से वह सीधे हरिद्वार निकली थीं. यहां एक विशाल शिला भी है, जिसे जिया रानी का घाघरा माना जाता है.
प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को रानीबाग में कत्यूरी वंश के लोग और सैकड़ों ग्रामवासी अपने परिवार के साथ आते हैं और ‘जागर’ लगाते हैं. इस दौरान यहां पर सिर्फ ‘जय जिया’ का ही स्वर गूंजता है. लोग जिया रानी को पूजते हैं और उन्हें ‘जनदेवी’ और न्याय की देवी मानते हैं.
जिया रानी मंदिर के पुजारी महेंद्र ललित गिरी गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि माता जिया रानी कत्यूरी वंश की रानी थीं. उत्तराखंड राज्य में जिया रानी की गुफा के बारे में एक किवदंती काफी प्रचलित है. कत्यूरी राजा पृथ्वीपाल उर्फ प्रीतमदेव की पत्नी रानी जिया रानीबाग में चित्रेश्वर महादेव के दर्शन करने आई थीं. वह बेहद सुंदर थीं. जैसे ही रानी नहाने के लिए गार्गी नदी में पहुंचीं, तो वैसे ही रुहेलों की सेना ने वहां घेरा डाल दिया. इसके साथ उन्होंने बताया कि जिया रानी महान शिवभक्त और पवित्र पतिभक्त महिला थीं. ऐसी परिस्थिति में उन्होंने अपने ईष्ट देवताओं का स्मरण किया और गार्गी नदी के पत्थरों में ही समा गईं. नदी के किनारे एक विचित्र रंग की शिला आज भी देखने को मिलती है, जिसे चित्रशिला कहा जाता है. स्थानीय उत्तराखंडी मान्यताओं में कुछ लोग इस शिला को जिया रानी का घाघरा कहकर पुकारते हैं.
जिया रानी का वास्तविक नाम क्या था?
जिया रानी का वास्तविक नाम मौला देवी था, जो हरिद्वार के राजा अमरदेव पुंडीर की पुत्री थीं. बताया जाता है कि 1192 में देश में तुर्कों का शासन स्थापित हो गया था, मगर उसके बाद भी किसी तरह दो शताब्दी तक हरिद्वार में पुंडीर राज्य बना रहा. मौला देवी, राजा प्रीतमपाल की दूसरी रानी थीं. मौला रानी से तीन पुत्र धामदेव, दुला, ब्रह्मदेव हुए, जिनमें ब्रह्मदेव को कुछ लोग प्रीतम देव की पहली पत्नी से जन्मा मानते हैं. मौला देवी को राजमाता का दर्जा मिला और उस क्षेत्र में माता को ‘जिया’ कहा जाता था, इसलिए उनका नाम जिया रानी पड़ गया.
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Tags: Haldwani news, Hindu Temples, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : November 17, 2022, 14:51 IST