उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां आंखों पर पट्टी बांधकर होती है पूजा मां नंदा देवी से खास रिश्‍ता

Latu Devta Temple in Chamoli: उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल विकास खंड के अंतिम गांव वाण में लाटू देवता का मंदिर है. इस मंदिर में पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं.

उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां आंखों पर पट्टी बांधकर होती है पूजा मां नंदा देवी से खास रिश्‍ता
रिपोर्ट- मनोज बिष्ट चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल विकास खंड के अंतिम गांव वाण में एक ऐसा मंदिर है, जहां पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं. यह लाटू देवता का मंदिर (Latu Devta Temple in Chamoli) है. मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में नागराज अद्भुत मणि के साथ रहते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर को भीतर से आम लोग नहीं देख सकते. स्थानीय लोगों का मानना है कि मणि की तेज रोशनी से इंसान अंधा भी हो सकता है. पुजारी के मुंह की गंध तक देवता तक और नागराज की विषैली गंध पुजारी की नाक तक नहीं पहुंचनी चाहिए. जबकि मंदिर के दरवाजे साल में एक बार वैशाख महीने की पूर्णिमा के मौके पर खुलते हैं. कपाट खुलने के वक्त भी मंदिर के पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधते हैं. कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु देवता के दर्शन दूर से ही करते हैं. वहीं, मार्गशीर्ष अमावस्या को कपाट बंद होते हैं. लाटू देवता का नंदा देवी से है यह रिश्‍ता पौराणिक कथाओं के अनुसार, लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी के धर्म भाई हैं. जब भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ, तो पार्वती जिन्हें नंदा देवी नाम से भी जाना जाता है, को विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े. इसमें उनके चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे. रास्ते में लाटू देवता को प्यास लगी. वह पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे. उन्हें एक कुटिया दिखी, तो लाटू वहां पानी पीने चले गए. कुटिया में एक साथ दो मटके रखे थे, एक में पानी था और दूसरे में मदिरा. लाटू देवता ने गलती से मदिरा पी ली और उत्पात मचाने लगे. इससे नंदा देवी को गुस्सा आ गया और उन्होंने लाटू देवता को श्राप दे दिया.मां नंदा देवी ने गुस्से में लाटू देवता को बांधकर कैद करने का आदेश दिया. लाटू के पश्चाताप करने की वजह से मां नंदा देवी ने कहा कि वाण गांव में उसका मंदिर होगा और वैशाख महीने की पूर्णिमा को उसकी पूजा होगी. यही नहीं, हर 12 साल में जब नंदा राजजात जाएंगी, तो लोग लाटू देवता की भी पूजा करेंगे. तभी से नंदा राजजात के वाण गांव में पड़ने वाले 12वें पड़ाव में लाटू देवता की पूजा की जाती है. लाटू देवता वाण गांव से हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा को भेजने के लिए उनके साथ जाते हैं. लाटू देवता की वर्ष में केवल एक ही बार पूजा की जाती है. वहीं, हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा भगवान लाटू देवता के कपाट खोले जाते हैं. हर साल स्थानीय मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आकर शामिल होते हैं. माना जाता है कि लाटू देवता इस मंदिर में नागराज के रूप में कैद हैं. ( नोट: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.) ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Chamoli News, Hindu Temples, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 15:08 IST