गुजरात: मौत की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के 30 दोषी फैसले को दी चुनौती
गुजरात: मौत की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के 30 दोषी फैसले को दी चुनौती
2008 Ahmedabad Serial Blast Case: बम धमाकों के मामले में 30 दोषियों ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में दोषसिद्धि और मौत की सजा के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति वी एम पंचोली और न्यायमूर्ति ए पी ठाकर की पीठ ने शुक्रवार को इस अपील को स्वीकार कर लिया है. 2008 में अहमदाबाद और सूरत में हुए इन ब्लास्ट में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा घायल हुए थे.
हाइलाइट्स2008 में अहमदाबाद और सूरत में हुए सीरियल ब्लास्ट में हुई थी 56 लोगों की मौतइस मामले में मौत की सजा पाने वाले 38 दोषियों में से 30 ने हाईकोर्ट में दी याचिका बम धमाकों को लेकर निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा
अहमदाबाद: 2008 के सीरियल ब्लास्ट मामले में मौत की सजा पाने वाले 38 दोषियों में से 30 ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दोषियों ने याचिका में तर्क देते हुए कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर मामले में मौत की सजा नहीं दी जा सकती है. न्यायमूर्ति वी एम पंचोली और न्यायमूर्ति ए पी ठाकर की पीठ ने शुक्रवार को इस अपील को स्वीकार कर लिया है.
इस मामले में दोषियों ने वकील एम एम शेख और खालिद शेख के माध्यम से अपनी याचिका दायर की और हाईकोर्ट से दोषसिद्धि और मौत की सजा के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. हालांकि हाईकोर्ट ने इनके अनुरोध को खारिज करते हुए एक अलग आवेदन दायर करने को कहा है.
अहमदाबाद-सूरत में हुए बम धमाकों में हुई थी 56 लोगों की मौत
यह मामला अहमदाबाद और सूरत में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल बम धमाकों से जुड़ा है. जिसमें विशेष अदालत ने फरवरी में इन हमले को अंजाम देने के लिए 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इन ब्लास्ट में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा घायल हुए थे.
180 से ज्यादा पेज की अपनी याचिका में दोषियों ने कहा कि अभियोजन का पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था, जो स्वतंत्र रूप से और संयुक्त रूप से साबित नहीं हुआ था. याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत ने पंचनामे, सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक सरकारी गवाह द्वारा दर्ज बयान, बाद में वापस लिए गए इकबालिया बयान और एक साथी द्वारा दिए गए सबूतों पर भरोसा किया. जब मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था, तो निचली अदालत की ओर से मौत की सजा देना उचित नहीं था.
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Tags: Ahemdabad, Blast, Gujarat High CourtFIRST PUBLISHED : September 03, 2022, 08:24 IST