किडनी मरीजों के लिए भगवान से कम नहीं हैं डॉक्टर कालरा!
किडनी मरीजों के लिए भगवान से कम नहीं हैं डॉक्टर कालरा!
डॉ कालरा बताते हैं कि पहले देश में डायलिसिस सेंटर काफी कम हुआ करते थे. ऐसे में लास्ट स्टेज किडनी फेल्योर के मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ती थी. इसको देखते हुए जहां भी डॉक्टर कालरा तैनात रहे वहां उन्होंने डायलिसिस सेंटर के लिए कई बड़े योगदान दिए.
विशाल झा /गाज़ियाबाद: किडनी फेल होने की बीमारी अब काफी आम हो गई है. देश में आज भी बेहतर डायलिसिस सेंटर न होने के कारण कई मरीजों को काफी देरी से इलाज मिलता है. लेकिन ऐसे केस में डॉक्टर ओपी कालरा मरीजों के लिए भगवान से कम नहीं हैं. वो किडनी के मरीजों के लिए वर्षों से कार्य करते आ रहे हैं. डॉक्टर कालरा वर्तमान में संतोष अस्पताल में सीनियर प्रोफेसर एंड हेड ऑफ नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के पद पर कार्यरत है. उन्हें चिकित्सा के पेशे में 42 वर्ष से भी ज्यादा का समय हो गया है.
डॉक्टर कालरा ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई साल 1977 में जे. एन मेडिकल कॉलेज (एएम यू, अलीगढ़ ) से पूरी की. इसके बाद (एमडी इन मेडिसिन ) वर्ष 1981 में पीजीआई चंडीगढ़ से की. इसके बाद (डीएम इन नेफ्रोलॉजी ) भी पीजीआई चंडीगढ़ से वर्ष 1993 में पूरी की. डॉक्टर कालरा ने कई प्रकार की ट्रेनिंग हासिल की है. जिसमें पीटरीटॉनिअल डायलिसिस की ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसौरी ( कोलंबिया ) में वर्ष 1996 में हासिल की थी.
लंबा करियर
मरीजों के इलाज के अलावा किडनी के डॉक्टर को सही दिशा दिखाने में भी डॉक्टर कालरा ने एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है. प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन के तौर पर वर्ष 1994 से ही डॉक्टर कालरा अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस बीच डॉक्टर कालरा शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ एंड साइंस , रोहतक के वाइस चांसलर रहे. एसजीटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम में भी प्रोफेसर ऑफ नेफ्रोलॉजी और वाइस चांसलर का पद संभाल चुके हैं.
मिले कई अवॉर्ड
अपने बेहतरीन कार्यों के लिए डॉक्टर कालरा को कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. जिनमें राष्ट्रपति के द्वारा डॉ बी.सी रॉय नेशनल अवार्ड, स्टेट अवार्ड ऑफ दिल्ली गवर्नमेंट, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ पीटरीट्रोनियल डायलिसिस द्वारा बेस्ट रिसर्चर का अवार्ड, अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन और जापानी सोसाइटी ऑफ डायलिसिस द्वारा नेफ्रोलॉजी यंग इन्वेस्टिगेटर के साथ ही कई दर्जनों अवार्ड इस लिस्ट में शामिल है.
अस्पतालों में डायलिसिस सेंटर की शुरुआत
डॉ कालरा बताते हैं कि पहले देश में डायलिसिस सेंटर काफी कम हुआ करते थे. ऐसे में लास्ट स्टेज किडनी फेल्योर के मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ती थी. इसको देखते हुए जहां भी डॉक्टर कालरा तैनात रहे वहां उन्होंने डायलिसिस सेंटर के लिए कई बड़े योगदान दिए. दिल्ली के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंस ( जीटीबी हॉस्पिटल) में डॉक्टर कालरा ने 27 वर्षो से भी ज्यादा अपने कार्यकाल के दौरान अस्पताल में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट बनाने का काम किया. डॉ कालरा बताते हैं कि जब उन्होंने अस्पताल ज्वाइन किया था तब यहां पर कोई नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट नहीं था और ना ही किसी प्रकार की डायलिसिस की व्यवस्था थी. लेकिन उन्होंने इस सरकारी अस्पताल में हेमो -डायलिसिस और पीटरीटॉनियल डायलिसिस की शुरुआत की. इसके अलावा कई दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में टेक्निकल कमेटी के चेयरमैन पद के दौरान दिल्ली और हरियाणा की कई जगहों पर हीमोडायलिसिस केंद्र की शुरुआत करवाई. जिसमें गरीब तबके के मरीज को भी बेहतर डायलिसिस कम दामों में उपलब्ध हो रही है.
किडनी की बीमारी से युवाओं को बचाने के लिए लिखी किताब
डॉक्टर कालरा ने किडनी की बीमारी पर अपनी किताब (Renal Disease -Prevention and management ) भी लिखा जिसमें नेफ्रोलॉजी और मोनोग्राफ के बारे में बात की गई है. इसके अलावा डॉक्टर कालरा ने 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर्स को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिश किया है. जिसमें डॉक्टर कालरा की रिसर्च को किडनी इंटरनेशनल, अमेरिकन जर्नल ऑफ़ किडनी डिजीज, नेफ्रोलॉजी डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन, पीटरीटॉनिअल डायलिसिस इंटरनेशनल आदि कई प्रतिष्ठित जर्नल में डॉक्टर कालरा को जगह मिली है.
किडनी की बीमारी की जागरूकता के लिए करते है काम
डॉक्टर कालरा बताते है की किडनी डिजीज को रोकथाम के लिए कार्य करना बहुत जरुरी है. ताकि मरीज एडवांस्ड किडनी फेलियर स्टेज तक नहीं पहुंच सके, क्योंकि किसी भी मरीज के लिए डायलिसिस का पीरियड काफी ज्यादा समस्याओं के साथ आता है. इसके साथ ही भारत में कई बार देखा जाता है कि रोड एक्सीडेंट में व्यक्ति ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में एक व्यक्ति के द्वारा 8 व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है.
Tags: Local18, Medical18FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 15:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed