पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सादगी और विनम्रता के तमाम किस्से आपने सुने होंगे. जब देश में अकाल पड़ा तो लाल बहादुर शास्त्री ने सप्ताह में एक दिन व्रत रखना शुरू कर दिया. अपने परिवार को भी एक दिन व्रत रखने को कहा. झक सफेद धोती और कुर्ता पहनने वाल शास्त्री जी अपव्यय के खिलाफ थे. जब उनका कुर्ता पुराना हो जाता और जगह-जगह से फट जाता, तो उसे फेंकते नहीं बल्कि उससे रूमाल बनवा लिया करते थे. शास्त्री जी जितने सादगी पसंद थे, उतनी ही सरल उनकी पत्नी ललिता शास्त्री थीं.
खुद बनाती थीं परिवार का खाना
ललिता शास्त्री के पति भले ही भारत के प्रधानमंत्री बन गए, पर उन्होंने अपना स्वभाव नहीं बदला. खुद अपने परिवार के लिए खाना पकाया करती थीं और परोसकर खिलाती थीं. एक दफा वह दाल में नमक डालना भूल गईं. लाल बहादुर शास्त्री भोजन करने बैठे. पहला निवाला मुंह में जाते ही पता लग गया कि दाल में नमक है ही नहीं, पर शास्त्री जी ने एक शब्द नहीं बोला. मुस्कुराते हुए भोजन करते रहे. फिर चुपचाप उठे और हाथ धोकर तैयार हुए.
क्यों छोड़ दिया नमक खाना
लाल बहादुर शास्त्री जब घर से जाने लगे तो पत्नी ललिता शास्त्री से कहा, ‘दाल में नमक नहीं है, आप डाल लीजिएगा…’ ललिता शास्त्री को इस बात का इतना मलाल हुआ कि उस दिन के बाद उन्होंने दाल में नमक खाना ही छोड़ दिया. जब तक जिंदा रहीं, कभी दाल में नमक नहीं खाया.
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) के बेटे सुनील शास्त्री खुद एक इंटरव्यू में इस घटना का जिक्र करते हैं और कहते हैं कि मेरी मां भी पिताजी की तरह ही तपस्वी थीं. उन्होंने शास्त्री जी को बिना नमक वाली दाल परोस दी, इस बात का इतना मलाल किया कि साल 1993 में अपने निधन तक, करीब 27 साल उन्होंने दाल में नमक नहीं खाया.
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पति की मौत के बाद क्यों गईं 10 जनपथ
लाल बहादुर शास्त्री ने जिस समय प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, उस समय देश चीन के हमले और पंडित नेहरू की मौत के सदमे से उबर रहा था. इसके बाद जब 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया. इसी दौरान शास्त्री ने जय जवान और जय किसान का नारा दिया. उस वक्त देश में खाद्यान्न की कमी बहुत बड़ी समस्या थी. भारत, विदेशों से गेहूं जैसी चीजें आयात करता था. इसी दौरान हरित क्रांति की नींव रखी गई और किसानों को अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा. April 1966 :: Smt. Lalita Shastri Cutting The Crop Planted at 10 Janpath by PM Lal Bahadur Shastri
This Crop Was Planted by PM Lal Bahadur Shastri as a Symbol of Fighting Food Scarcity .
Mrs Shastri Was Cutting This Crop After 3 Months of PM Shastri Ji’s Demise pic.twitter.com/SYjbxg4zX9
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) June 20, 2020
ऐसे में लाल बहादुर शास्त्री ने खुद अपने निवास 10 जनपथ के लॉन में प्रतीकात्मक तौर पर गेहूं की फसल बोई. हालांकि दुर्भाग्यवश शास्त्री, इस फसल को पकते हुए खुद नहीं देख सके. 10 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) पाकिस्तानी राष्ट्रपति से मिलने ताशकंद पहुंचे. मुलाकात के बाद वह अपने कमरे में गए और फिर जिंदा नहीं निकले. 10-11 जनवरी की दरम्यानी रात भारतीय प्रधानमंत्री की विदेशी धरती पर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. लाल बहादुर शास्त्री के निधन के करीब 3 महीने बाद जब 10 जनपथ में उनकी बोई फसल पककर तैयार हुई, तो ललिता शास्त्री (Lalita Shastri) खुद उसे काटने गईं.
कार का लोन भी चुकाया था
ललिता शास्त्री की सादगी को एक और उदाहरण से समझ सकते हैं. जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो उनके घरवालों ने उनसे आग्रह किया कि उन्हें अब खुद की कार ले लेनी चाहिए. गांधीवादी शास्त्री को यह बात पसंद नहीं आई, फिर भी शास्त्री ने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपए लोन लेकर कार खरीद ली. एक साल बाद लोन चुकाने से पहले ही उनका निधन हो गया.
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शास्त्री के निधन के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गांधी ने सरकार की तरफ़ से लोन माफ करने का प्रस्ताव दिया पर ललिता शास्त्री ने इसे फौरन खारिज कर दिया. पति की मौत के चार साल बाद तक अपनी पेंशन से उस लोन को चुकाया.
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Tags: Freedom Movement, Lal Bahadur ShastriFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 15:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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