क्या है जगन्नाथ पुरी के खजाने का रहस्य 46 साल से क्यों बंद था रत्न भंडार

Jagannath Puri Temple Treasure News: जगन्नाथ पुरी का खजाना आखिरी बार साल 1978 में गिना गया था. कोई कहता है कि खजाने की रखवाली जहरीले सांप करते हैं, तो कोई कुछ और दावा करता है. आखिर क्या है रहस्य, जानिये...

क्या है जगन्नाथ पुरी के खजाने का रहस्य 46 साल से क्यों बंद था रत्न भंडार
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद गणना के लिए खोला गया. साल 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार में रखे गए खजाने और आभूषणों की गिनती हुई थी. उसके बाद से भंडार के खजाने की गिनती नहीं हुई. हालांकि 1982 और 1985 में रत्न भंडार दो बार खुला, लेकिन तब सिर्फ भगवान जगन्नाथ के लिए कुछ जरूरी आभूषणों को निकाला गया था, सामान की गणना नहीं हुई थी. कौन कर रहा है खजाने की गणना? जगन्नाथ पुरी के खजाने (Jagannath Puri Temple Treasure) की गणना के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय एक कमेटी बनी है. इस कमेटी में मंदिर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. रत्न भंडार खोलने के लिए बाकायदे 1:28 मिनट का शुभ मुहूर्त तय किया गया था. मुहूर्त के मुताबिक ही टीम रत्न भंडार खोलने पहुंची. कैसा है पुरी का रत्न भंडार? जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार या कोषागार मंदिर के उत्तरी तरफ बना है. भंडार की लंबाई 8.79 मीटर, चौड़ाई 6.74 मीटर और ऊंचाई 11.78 मीटर है. रत्न भंडार के अंदर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के बेशकीमती कपड़े और आभूषण रखे गए हैं. भंडार में सालों से जगन्नाथ मंदिर को मिलने वाला चढ़ावा- जिसमें सोना, चांदी, हीरे-मोती और जेवरात जैसी चीजें भी रखी गई हैं. क्या हैं खजाने के दो चैंबर? जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा हुआ है. पहला है बाहरी चैंबर और दूसरा भीतरी चैंबर. दोनों चेंबर के अंदर मंदिर के खजाने रखे हुए हैं, लेकिन इसमें थोड़ा फर्क है. भीतरी चेंबर के अंदर भगवान के पुराने वस्त्र, आभूषण और बेशकीमती चीजें रखी हुई हैं. जबकि बाहरी चेंबर के अंदर ऐसी चीजें रखी गई हैं, जिन्हें समय-समय पर बाहर निकाला निकालना पड़ता है. उदाहरण के तौर पर भगवान जगन्नाथ का सोने का वस्त्र, जो रथयात्रा के मौके बाहर निकाला जाता है. किसके पास रहती है खजाने की चाबी? जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के दोनों चेंबर की अलग-अलग चाबियां हैं. बाहरी चेंबर की चाबियां मंदिर प्रशासन के पास रहती हैं, क्योंकि इसमें ऐसी चीजें हैं, जिन्हें बार-बार निकालना पड़ता है. ये चीजें मंदिर प्रशासन की निगरानी में ही निकाल जाती हैं. तो वहीं, अंदरूनी चेंबर की चाबी राज्य सरकार के पास जमा रहती है. हालांकि सोमवार को जब कमेटी भीतरी रत्न भंडार खोलने के लिए पहुंची, तो राज्य सरकार के कोषागार में रखी चाबी से ताला नहीं खुल पाया. इसके बाद ताला तोड़ना पड़ गया. क्यों 46 साल तक नहीं खुला रत्न भंडार? जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Puri Temple) के संचालन के लिए साल 1960 में ‘श्री मंदिर एक्ट’ बना. इस कानून में साफ-साफ लिखा है कि प्रत्येक 3 साल में मंदिर के खजाने की गणना होगी और इन्वेंट्री बनेगी. एक-एक चीज का हिसाब-किताब रखा जाएगा, पर 46 साल से रत्न भंडार क्यों नहीं खोला गया इसका कोई साफ जवाब नहीं है. साल 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन नवीन पटनायक सरकार ने रत्न भंडार के सामानों की गणना करवाने री कोशिश की थी, पर तब भी चाबियां नहीं मिली थीं. इसलिये गणना नहीं हो पाई थी. क्या है जहरीले सांप वाली कहानी? जगन्नाथ मंदिर के खजाने से तमाम अंधविश्वास भी जुड़े हैं. कुछ लोग दावा करते हैं कि तक भंडार के अंदर जहरीले सांप हैं, जो रखवाली करते हैं. इस वजह से खजाना नहीं खोला गया. तो कुछ लोग कहते हैं कि 1978 में जब आखिरी बार भंडार खुला था, तब जनता पार्टी की सरकार कुछ दिनों में गिर गई. इसके बाद से खासकर, ओडिशा में जो भी सत्ता में आया, वह भंडार खुलवाने से डरता रहा. चुनाव में BJP ने बनाया मुद्दा हालिया ओडिशा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जगन्नाथ पुरी के रत्न भंडार को बड़ा मुद्दा बनाया. बीजेपी ने दावा किया कि रत्न भंडार से तमाम आभूषण और बेशकीमती गहने गायब कर दिये गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के करीबी रहे बीके पांडियन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कह दिया कि ‘खजाने की चाबी कहीं तमिलनाडु तो नहीं चली गई…’ पांडियन, तमिलनाडु के ही रहने वाले हैं. 46 साल पहले खजाने में क्या मिला था? साल 1978 में जब जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का खजाना आखिरी बार गिना गया था, तब इसमें 70 दिन लग गए थे. खजाने की गिनती 13 मई 1978 को शुरू हुई थी और 23 जुलाई 1978 तक चली. उस वक्त खजाने के अंदर 747 तरह के आभूषण मिले थे. कुल 12,883 तोला सोने के गहने और 22,153 तोला चांदी के गहनों के अलावा हीरे, जवाहरात के तमाम बहुमूल्य आभूषण मिले थे. उसे वक्त खजाना गिनने के लिए तिरुपति मंदिर समेत और कई मंदिरों के विशेषज्ञ भी बुलाए गए थे. हालांकि इसके बावजूद कई आभूषणों की सही कीमत नहीं लग पाई थी. मंदिर को किसने दिया खजाना, किसने लूटा? जगन्नाथ मंदिर के पास जो खजाना है, उसमें से ज्यादातर ओडिशा के राज परिवारों ने दान दिया. कुछ खजाना ओडिशा के राजाओं ने दुश्मन राजाओं को हराने के बाद हासिल किया और फिर मंदिर को सौंप दिया. पुरी के खजाने पर आक्रमणकारियों की निगाहें भी टिकी रहीं. जगन्नाथ मंदिर के खजाना को लूटने के लिए 15 से 18वीं शताब्दी के बीच कम से कम 15 बार आक्रमणकारियों ने हमला किया. साल 1721 में बंगाल के सेनापति मोहम्मद तकी खान ने आखिरी बार हमला किया था. Tags: Gold, Odisha news, Odisha politicsFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 13:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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