क्या होता है अल्हम्दुलिल्लाह का मतलब क्यों बोला जाता है ये
क्या होता है अल्हम्दुलिल्लाह का मतलब क्यों बोला जाता है ये
हमने अक्सर पाकिस्तान के खिलाफ मैच के बाद टीम के खिलाड़ियों और कप्तान या उनके कोच को अल्हम्दुलिल्लाह शब्द का इस्तेमाल करते हुए खूब सुना है. बहुत से मुस्लिम लोग भी दिन में ना जाने कितनी ही बार इसे बोलते हुए सुनाई पड़ जाएंगे. आखिर क्या है ये शब्द, क्यों बोला जाता है और क्या है इसका मतलब
हाइलाइट्सकब और क्यों बोला जाता है ये ये तीन शब्दों से मिलकर बना हैदूसरी भाषाओं और संस्कृतियों में ये कैसे बोलते हैं
पाकिस्तान के ज्यादातर क्रिकेटरों और कप्तानों को आपने अक्सर प्रेस कांफ्रेंस से पहले आमतौर पर टीवी पर अल्हमदुल्लिलाह कहते हुए सुना होगा. कई पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान, कोच और कमेंटेटर बात बात में इस शब्द को दोहराते हुए मिलेंगे. आखिर इसका मतलब क्या है, वो इस शब्द का उच्चारण क्यों करते हैं.
हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति अपने धर्म व संस्कृति के अनुसार ही चलता है. लिहाजा मुस्लिमों के बीच इस शब्द का उच्चारण बहुत सामान्य है. यह एक अरबी शब्द है. जो तकरीबन सभी देशों के मुस्लिमों द्वारा बोला जाता है.
ये तीन शब्दों का मेल है
वैसे अल्हमदुल्लिलाह एक शब्द है भी नहीं. ये तीन शब्दों से मिलकर बना है. पहला शब्द है अल. ये भी अरबी शब्द है, इसका इस्तेमाल अरबी से लेकर उर्दू में उसी तरह होता है जैसे अंग्रेजी के शब्द दा यानि the. यानि किसी नाम, जगह या खास बात की विशेषता बताने के लिए. फिर आता है हमद. जिसका मतलब है सम्मान करना. तीसरी शब्द जो इसमें जुड़ा होता है, वो है लिल्लाह यानि अल्लाह के लिए. आप अब इसका अर्थ समझ गए होंगे कि अल्हमदुल्लिलाह का मतलब क्या है-अल्लाह का सम्मान करने के लिए. आमतौर मुस्लिम लोग अक्सर अल्लाह को धन्यवाद करने के लिए या उनके प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
कुरान शरीफ की पहली आयत में
दूसरी भाषाओं और संस्कृतियों में इससे मिलते जुलते शब्द क्या हैं. वैेसे सवाल ये उठता है कि ये पूरा शब्द आया कहां से. इसे इस्लामिक पवित्र किताब यानि कुरान शरीफ की पहली आयत (अल – फातिहा) से लिया गया है. जिसमें कहा गया है कि हर किसी को किसी भी हालत में अल्लाह में यकीन और भरोसा करना चाहिए.
अंग्रेजी और हिंदी इससे मिलता जुलता शब्द क्या है
अंग्रेजी में इस बात को अक्सर बाई द ग्रेस ऑफ गॉड (by the grace of god) कहते हैं तो हिंदी में ईश्वर की कृपा से. कभी कभी इसका ट्रांसलेशन ये भी होता है – भगवान को धन्यवाद. वैसे इस शब्द का इस्तेमाल जरूरी नहीं कि मुस्लिम ही करते हों बल्कि अरबी भाषा में गैर मुस्लिम भी ऐसा बोलते हैं. मतलब ये है कि अरबी बोलने वाले यहूदी और ईसाई भी इसका इस्तेमाल करते हुए मिल जाएंगे. इसका एक अर्थ ये भी है कि भगवान सबकुछ हमेशा अच्छा ही करता है, सबकुछ उस पर छोड़ दो तो अच्छा ही होगा.
बात-बात पर होता है इसका इस्तेमाल
इसका इस्तेमाल करने वाले आमतौर पर दिन में ना जाने कितनी ही बार हर काम के दौरान, शुक्रिया जाहिर करते हुए या प्रार्थना के समय इसे बोलते हैं. मसलन पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान आमतौर पर टीम के अच्छा प्रदर्शन के दौरान इस शब्द का इस्तेमाल मीडिया से बात करते हुए जरूर करते हैं.
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Tags: Islam religion, Muslim religion, ReligionFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 12:26 IST