जम्मू में अचानक बढ़ा आतंकवाद क्या है आतंकी समूहों की रणनीति में बदलाव की वजह

Rise of Terrorist Attacks in Jammu: साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से कश्मीर घाटी पर सुरक्षाबल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. इसीलिए पिछले दो-तीन सालों से आतंकवादी जम्मू में थोड़े दिनों के अंतराल पर लगातार हमले कर रहे हैं.

जम्मू में अचानक बढ़ा आतंकवाद क्या है आतंकी समूहों की रणनीति में बदलाव की वजह
Rise of Terrorist Attacks in Jammu: दो दिन पहले यानी 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक अधिकारी और  तीन जवान शहीद हो गए. यह मुठभेड़ तब शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और जम्मू–कश्मीर पुलिस (J&K Police) के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के जवानों ने देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था. नौ जून को केंद्र में नई सरकार के शपथ लेने के बाद से जम्मू-कश्मीर में चार आतंकी हमले हुए हैं. ये सभी हमले जम्मू रीजन में हुए हैं, जो कश्मीर में आतंकवादियों के फोकस में बदलाव को उजागर करता है.   इन हमलों में रियासी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस को निशाना बनाना भी शामिल है. नौ जून की इस घटना में आतंकियों ने शिव खोड़ी से लौट रही बस पर 40 से 50 राउंड फायरिंग की, जिसमें एक गोली बस ड्राइवर के लगने से बस गहरी खाई में गिर गई. जिससे नौ लोगों की मौत हो गई और 41 घायल हो गए. जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जम्मू और कश्मीर दोनों जगहों पर तनाव बढ़ेगा. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) के अनुसार लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) के पार लॉन्च पैड पर करीब 60-70 आतंकवादी सक्रिय हैं. ये भी पढ़ें- दुनिया के इस शहर में नॉनवेज फूड खाना है गैरकानूनी, सरकार ने बनाया कानून, जानें वजह  बढ़ी है मरने वालों की संख्या जम्मू क्षेत्र में जनवरी 2023 के बाद से आतंकवादियों घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़ी है. सुरक्षा बल के जवानों के शहीद होने और नागरिकों की हत्या का आंकड़ा बढ़ा है. जनवरी 2023 से आतंकवाद की 29 घटनाओं में 42 नागरिक और सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस साल 13 जून, 2024 तक कश्मीर के अनंतनाग, श्रीनगर, बारामूला, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां जिलों में 24 नागरिक और सुरक्षाकर्मी आतंकी हमलों का शिकार हुए हैं.   जम्मू क्यों है निशाने पर साल 2019 में ऑर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के बाद से कश्मीर घाटी पर सुरक्षाबल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. इसीलिए पिछले दो-तीन सालों से आतंकवादी जम्मू में थोड़े दिनों के अंतराल पर लगातार हमले कर रहे हैं, जिससे इस रीजन में हिंसा में बढोतरी देखने को मिल रही है. अगर आंकड़ों को देखा जाए तो जम्मू रीजन में 2023 में 43 आतंकवादी हमले और 2024 में अब तक 20 हमले हुए हैं. जबकि अभी यह साल खत्म होने में करीब साढ़े पांच महीने बचे हैं. इन आतंकी हमलों को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से रोकने के कदम के रूप में भी देखा जा रहा है. इस केंद्रशासित राज्य को 2019 में ऑर्टिकल 370 निरस्त किए जाने के बाद से पहले चुनाव का इंतजार है.  ये भी पढ़ें- टेनिस से लेकर फुटबॉल तक में चैंपियन, यूपी से दोगुना बड़ा स्पेन खेल ही नहीं बाकी बातों में भी हमसे इतना आगे कैसे कठिन भौगोलिक हालात का मिलता है फायदा किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक परिस्थितियां काफी जटिल हैं. उसका जम्मू का इलाका काफी बड़ा बड़ा, घने जंगलों और ऊंची चोटियों वाली पहाड़ियों से घिरा है. वहीं, दूसरी ओर कश्मीर घाटी एक प्याले की तरह है. इन्हीं भौगोलिक परिस्थितियों का आतंकवादी फायदा उठाते हैं. ऊंची पहाड़ी पर बैठकर वो सेना के हर क्रियाकलाप को आसानी से देख लेता है. जम्मू क्षेत्र की जटिलता का फायदा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अपने हथियारबंद आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पार करा देते हैं. ड्रोन की पहरेदारी से बचने के लिए आतंकवादी सीमा पार करने के लिए सुरंगों का उपयोग करते हैं. स्थानीय समर्थन के कारण मुश्किल बढ़ी पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए जम्मू रीजन उनके लिए चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है. अरअसल आतंकवादी स्थानीय नागरिकों की मदद से अपने छिपने के स्थान पर हथियार इकट्ठा लेते हैं. लेकिन आतंकवादियों ने स्थानीय समर्थन पर अपनी निर्भरता काफी कम दी है और मोबाइल फोन से भी परहेज करने लगे हैं, जिससे उनको ट्रैक करना मुश्किल हो गया है. इसी वजह से सुरक्षा बलों ने अपने स्टैंडर्ज ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) में भी बदलाव करने का फैसला किया है. जंगलों में हो रही जवानों की तैनाती एसओपी में बदलाव के तहत जम्मू-कश्मीर पुलिस ने राजौरी पुंछ में अपनी चौकियां स्थापित की हैं. अब जंगलों में जहां कोई जाता नहीं है वहां पर भी जवानों को तैनात किया जा रहा है. अब विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस नाके बनाए जा रहे हैं. सुरक्षा बल जंगलों के अंदर कैंप लगाने पर विचार कर रहे हैं. स्थानीय सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयासों में प्रत्येक गांव में एक नेटवर्क स्थापित करना और ग्राम रक्षा समिति को पुनर्जीवित करना शामिल है. Tags: Jammu kashmir, Jammu News, Line of Actual Control, Terrorist attackFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 13:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed