महारानी ने जिस हैंडसम दीवान को दी नौकरी उसी के प्यार में हो गई पागल
महारानी ने जिस हैंडसम दीवान को दी नौकरी उसी के प्यार में हो गई पागल
Maharani Love Story: त्रावणकोर की धाकड़ महारानी का दबदबा ऐसा था कि हर कोई उससे थर्राता था. वही महारानी अपने उस मंत्री को दिल दे बैठी, जिसे राज्य की देखरेख के लिए उसने नौकरी पर रखा था.
हाइलाइट्स महारानी सेतु लक्ष्मी को बिल्कुल ये परवाह नहीं थी कि लोग क्या कहेंगे त्रावणकोर रियासत का राजा नाबालिग था, महारानी के हाथ में थी पॉवर दीवान रामास्वामी लंबे चौड़े सुदर्शन व्यक्तित्व के मालिक थे और रसिया भी
आज जिस केरल को आप देख रहे हैं, आजादी से पहले ये ताकतवर त्रावनकोर रियासत के बारे में जाना जाता था. अंग्रेजों के जमाने में भी यहां राजाओं का शासन चलता था लेकिन उन्हें अंग्रेजों की बात माननी होती थी. आजादी के कुछ समय पहले यहां की महारानी की प्रेमलीला हर किसी की जुबान पर थी. दरअसल राजा बालिग नहीं था और रानी के हाथों में सारी पॉवर थी. उसे अपने ही राज्य के दीवान से प्यार हो गया.
और ये प्यार इतना जबरदस्त हो गया कि महारानी इसका खुलेआम प्रदर्शन करने लगी. अगर बात उस दीवान की करें तो प्रेम की दुनिया में वो भी कोई छोटा खिलाड़ी नहीं था. पर्सनालिटी भी उसकी ऐसी थी कि महिलाएं उसकी दीवानी हो ही जाती थीं. यहां तक उसने ऊंचे पद वाले अंग्रेज अफसरों की बीवियों पर भी प्रेम के तीर चलाए थे.
वैसे अगर त्रावणकोर रियासत की बात करें तो ये समृद्ध भी थी और विकास के मामले में देश के दूसरे हिस्सों से कहीं आगे ही. आजादी के बाद यहां के राजा बहुत मजबूती से भारत में विलय से इनकार कर दिया था, तब सरदार पटेल की कड़ाई के बाद राजा को झुकना पड़ा लेकिन असल में जो शख्स इस मामले में टांग अड़ा आ रहा था, वो वही दीवान था, जिस पर महारानी फिदा थीं.
दीवान जर्मनीदास ने अपनी किताब “महारानी” में इसका विस्तार से जिक्र किया है. सर रामास्वामी के एक- दो फैसले बहुत विवादास्पद भी रहे थे, जिसे लेकर उनकी शिकायत ब्रिटेन तक पहुंची थी. बाद में ब्रिटिश राज के एतराज के बाद इसे खत्म किया गया.
जर्मनीदास लिखते हैं कि एक समय था जब त्रावणकोर रियासत का राजा नाबालिग था. तब महारानी सेथु लक्ष्मीबाई उनकी ओर से सत्ता संभालती थीं. जिसे उस जमाने में रिजेंट कहा जाता था.
राज्य के मंत्री सर सीपी रामास्वामी प्रभावशाली व्यक्ति थे. यहां तक कि ये भी चर्चाएं थीं कि वो फोन से वायसराय विलिंगटन की पत्नी से भी लंबी-लंबी प्रेम वार्ताएं करते हैं. रामास्वामी पेशे से वकील थे लेकिन उन्होंने कई असरदार स्थितियों में काम किया था. वो सुदर्शन शख्सियत के स्वामी थे.
महारानी की सुंदरता के चर्चे होते थे
महारानी सेथु लक्ष्मीबाई की सुंदरता के चर्चे थे. जब सीपी रामास्वामी पहली बार त्रावणकोर आए तो वो महारानी से मिले. वो महारानी पर मोहित हो गए. चूंकि अंग्रेज अधिकारियों से सीपी रामास्वामी के रिश्ते बहुत अच्छे थे, लिहाजा उन्होंने ऐसा प्रबंध कराया कि वो राज्य में दीवान बनकर आ गए. उन दिनों महत्वपूर्ण रियासतों में दीवान की नियुक्ति के लिए वायसराय से मंजूरी लेनी होती थी. महारानी लक्ष्मीबाई के प्यार के किस्से दिल्ली में वायसराय हाउस तक भी पहुंचे लेकिन उन्होंने उसकी कोई परवाह नहीं की. (file photo)
रानी थी विधवा और उसके दीवान से बन गए प्रेम संबंध
मंत्री बनकर आने के बाद रामास्वामी ने विधवा रानी से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कीं. महारानी ने भी प्यार का जवाब उसी अंदाज में दिया. दोनों के बीच बहुत जल्दी प्रगाढ़ प्रेम संबंध बन गए. यहां तक कि उनके प्रेम की कहानी रियासत में हर किसी की जुबां पर थी.
धीरे धीरे ये लव स्टोरी राजनीतिक क्षेत्रों में फैली. फिर वायसराय हाउस तक पहुंची. लेकिन रामास्वामी और सेथु लक्ष्मीबाई का असर काफी बड़े हलके में था. लिहाजा इन चर्चाओं से ना तो उनका कुछ बिगड़ा और ना ही उनके प्रेम संबंधों पर कोई आंच आई. हालांकि रामस्वामी के फैसले और कार्यशैली से त्रावणकोर की जनता बहुत खुश नहीं थी. त्रावणकोर के दीवान सर सीपी रामास्वामी ऊंची पहुंच वाले शख्स थे. अंग्रेज अफसरों से उनकी खूब बनती थी. (file photo)
दोनों जहाज के डेक पर बाहों में बाहें डाले दिखते थे
लंदन में हुई गोलमेज कांफ्रेंस में रामास्वामी और महारानी एकसाथ पानी के जहाज से वहां गए थे. जहाज का एक पूरा कोना दोनों के लिए आरक्षित था. किताब में लिखा है कि जहाज पर महारानी और रामस्वामी खुले तौर पर प्रेम का इजहार करते दिखते थे. जहाज पर वो दोनों बाहों में बाहें लिए खुलआम नजर आते थे. जहाज के मुसाफिर ये सब देखते रहे. रामास्वामी का महल में भी महारानी के पास अबाध आना-जाना होता था.
आजादी के दौरान जब सीपी रामास्वामी ने युवा महाराजा को अपने असर में लेकर त्रावणकोर को स्वतंत्र घोषित कर दिया तो वहां की जनता क्षुब्ध हो गई, क्योंकि वो भारत में विवय चाहती थी. इस दौरान रामास्वामी पर एक व्यक्ति ने चाकू से जानलेवा हमला किया. जिससे उन्हें गहरे घाव आए. इसके तुरंत बाद त्रावणकोर ने भारत में मिलना मान लिया.
महारानी बेंगलुरू में शिफ्ट हो गईं, वहीं रहने लगीं
त्रावणकोर के विलय के बाद महारानी मद्रास चली गईं. इसके बाद वो बेंगलुरु में शिफ्ट हो गईं. वहां उन्होंने अपना बंगला बनवाया. करीब 25 सालों तक महारानी वहीं रही. 1985 में वहीं उनका निधन हो गया. हालांकि ये भी कहा जाता है कि त्रावनकोर ने महारानी के राज के दौरान काफी तरक्की की, जिसमें रामास्वामी का भी हाथ था. हालांकि भारत की आजादी के बाद सीपी रामास्वामी लंदन चले गए. वहीं वो बस गए. कई देशों के राष्ट्रप्रमुखों से उनके अच्छे रिश्ते थे. लंदन में ही 1966 में उनका निधन हो गया.
Tags: Love, Love Story, Royal TraditionsFIRST PUBLISHED : June 28, 2024, 19:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed