Mahabharat:दुर्योधन ने भी देखे द्रौपदी को बीवी बनाने के सपनेक्यों टूटी हसरत
Mahabharat:दुर्योधन ने भी देखे द्रौपदी को बीवी बनाने के सपनेक्यों टूटी हसरत
Mahabharat Katha: द्रौपदी अपने जमाने की सबसे आकर्षक महिलाओं में एक थीं. दुर्योधन खुद उसे अपनी बीवी बनाने की हसरत पाले हुआ था. हालांकि उसे निराशा हाथ लगी. क्यों ऐसा नहीं कर पाया वह
हाइलाइट्स दुर्योधन आखिर क्यों द्रौपदी को बनाना चाहता था अपनी रानी द्रौपदी को पाने के लिए उसने क्या क्या किया था जब वह स्वयंवर में गया तो उसके साथ वहां क्या हुआ
द्रौपदी महाभारत दौर में राजा द्रुपद की बेटी थी. उसका जन्म यज्ञ के जरिए अग्नि की ज्वालाओं से हुआ था. जब वह युवा हुईं तो इतनी सुंदर और आकर्षक थीं कि तमाम रियासतों के राजा-महाराजा चाहते थे कि वह उन्हीं की रानी बने. ये उनके लिए गर्व की बात होती. इसी वजह से दुर्योधन भी ये चाहता था. उसे लगता था कि वह खुद इतना ताकतवर है लिहाजा द्रौपदी उसके अलावा किसका वरण कर सकती है. लेकिन जब उसका ये घमंड टूटा तो वह द्रौपदी को नीचा दिखाने का मौका ढूंढने लगा. जानते हैं कि आखिर क्यों दुर्योधन अपनी पूरी कोशिश के बाद भी द्रौपदी को स्वयंबर में जीत नहीं सका.
चूंकि द्रौपदी से विवाह के लिए तमाम राजा और महाराजाओं के रिश्ते राजा द्रुपद के पास आ रहे थे कि उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया कि वो आखिर किसको चुनें. दुर्योधन खुद उनकी बेटी से विवाह का रिश्ता उनके पास पहुंचवा चुका था. वैसे द्रुपद मन ही मन पांडवों से रिश्ता बनाना चाहते थे. उन्हें अर्जुन बहुत पसंद था.
लेकिन जिस तरह हर ओर से ताकतवर राजा-महाराजा और राजकुमार उनकी बेटी के लिए शादी का प्रस्ताव भेज रहे थे, उसे देखते हुए वह किसी को नाराज नहीं करना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने अपने राज्य के मंत्री और विश्वस्त सलाहकारों के साथ बेटे दृष्टद्युम्न से बातचीत करके स्वयंवर करने का फैसला किया. जिसमें सभी राजाओं को बुलाया भेजा गया. वैसे आपको बता दें कि स्वयंवर तो बेशक बुला लिया गया, तब भी वर चुनने का आखिरी अधिकार द्रौपदी के ही पास था कि वो किसे पति के रूप में वरण करती है.
तब प्राचीन भारत में शादी के लिए स्वयंवर का भी प्रचलन था. जिसमें शादी के लिए तमाम योग्य उम्मीदवारों को आमंत्रित किया जाता था. विवाह करने वाली युवती फिर उसमें से अपना वर चुनती थी.
द्रौपदी के स्वयंवर में क्या था
द्रौपदी के लिए जो स्वयंवर रखा गया, उसे एक कठिन प्रतियोगिता से जोड़ दिया गया, ताकि अर्जुन जैसा कोई योग्य धनुर्धर ही इस स्वयंवर को जीत पाए. इसमें नीचे एक पात्र रखा गया, जिसमें पानी था और उसके ऊपर छत पर एक घूमती हुई मछली लगाई गई. नीचे पानी में मछली का प्रतिबिंब देखते हुए मछली की आंख में तीर से निशाना लगाना था.
दुर्योधन क्या सोचकर स्वयंवर में गया था
दुर्योधन भी इस स्वयंवर में हिस्सा लेने गया. दूसरे राज्यों के राजा भी वहां पहुंचे हुए थे.दुर्योधन इसलिए खुश था, क्योंकि उसे लग रहा था लाक्षागृह में पांचों पांडवों की मृत्यु हो चुकी है, लिहाजा उसे इस प्रतियोगिता में चुनौती देने वाला कोई नहीं होगा. वह यहां से द्रौपदी को पत्नी बनाकर ले ही जाएगा. हालांकि उसके साथ कर्ण जैसा धनुर्धर भी शामिल हुआ था.
द्रौपदी ने कर्ण पर क्या कटाक्ष किया
द्रौपदी जब स्वयंबर स्थल पर आईं तो उन्होंने कर्ण को देखते हुए उन पर कटाक्ष किया कि वह एक सूतपुत्र से कभी शादी नहीं करेंगी, उसे इस स्वयंबर में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं. द्रौपदी की ये बात सुनकर कर्ण खून का घूंट पीकर रह गया. ये उसका अपमान था. लेकिन अब भी दुर्योधन को लग रहा था कि वह स्वयंबर को जितेगा.
क्यों नाकाम हो गया दुर्योधन
बेशक दुर्योधन युद्ध और राजनीति में कुशल था, लेकिन धनुर्विद्या में अर्जुन जैसा निपुण नहीं था. स्वयंवर की शर्त पूरी करने के लिए उसके पास वह असाधारण धनुर्विद्या कौशल नहीं था, जिसकी यहां जरूरत थी. जब वह मछली की आंख भेदने के लिए पहुंचा तो बुरी तरह नाकाम हो गया, ये देखकर द्रौपदी हंस पड़ी, लिहाजा दुर्योधन को भी अपमान सहना पड़ा. उसी दिन से उसने द्रौपदी से बैरभाव पाल लिया. हालांकि इससे भी बड़ा झटका उसको अभी और लगना था. द्रौपदी अपने जमाने की सबसे आकर्षक और सुंदर महिला थीं. दुर्योधन की दिली इच्छा उनको अपनी पत्नी बनाने की थी. (image generated by leonardo ai)
वैसे हम आपको बता दें कि द्रौपदी के पिता खुद नहीं चाहते थे कि उनकी पुत्री का विवाह कौरवों और दुर्योधन से हो. जब दुर्योधन मछली की आंख पर निशाना नहीं लगा सका तो उन्होंने राहत की सांस ली.
दुर्योधन को पसंद नहीं करती थी द्रौपदी
द्रौपदी खुद कौरवों, विशेष रूप से दुर्योधन को पसंद नहीं करती थीं. ऐसे संकेत मिलते हैं कि द्रौपदी का मन पांडवों की ओर झुका हुआ था. बाद में पांडवों ने नई राजधानी और महल बनवाया और उसमें शीशे के फर्श के भ्रम में दुर्योधन पानी में गिर पड़े तो फिर हंसती हुई द्रौपदी ने उसे “अंधे का बेटा अंधा” कहकर फिर अपमान किया था. इससे दुर्योधन के तन बदन में आग लग गई थी.
तब दुर्योधन क्यों कुपित हो गया
बाद में ब्राह्मण के वेश में वहां पहुंचे अर्जुन ने स्वयंबर की शर्त को पूरा किया. तब द्रौपदी ने वर की माला उनके गले में डाल दी. तब दुर्योधन सबसे ज्यादा कुपित हुआ. क्योंकि उसने यहां आने से पहले दिन रात यही सपना देखा था कि द्रौपदी जैसी अपूर्व सुंदरी का विवाह तो उसी के साथ होना चाहिए. जब दुर्योधन स्वयंवर में मछली की आंख पर निशाना लगाने में बिल्कुल नाकाम हो गया और उसने ये देखा कि एक ब्राह्मण वेशधारी युवक ने आराम से ये काम कर लिया तो वह कुपित हो उठा. (image generated by leonardo ai)
राजाओं के साथ मिलकर राजा द्रुपद को चुनौती दी
नाराज दुर्योधन ने स्वयंबर स्थल पर सभी राजाओं को साथ लेकर द्रुपद को चुनौती दी कि वह उनसे लड़कर दिखाएं. तब वह जबरदस्ती द्रौपदी को उठाकर वहां से ले जाना चाहते थे लेकिन दृष्टद्युम्न के साथ पांचों पांडवों ने मिलकर सारे राजाओं को पस्त कर दिया. वहां से दुर्योधन अपमानित होकर लौटा.
प्रतिशोध की आग में जला
इसी वजह से वह प्रतिशोध की आग में जलने लगा. इसी के चलते उसने द्रौपदी को अपमानित करने के लिए शकुनि के साथ मिलकर द्युत क्रीड़ा खेलने की साजिश रची. इसके पीछे उसकी इच्छा द्रौपदी को पाने की थी. वैसे कई और वजहें भी थीं जिस वजह से दुर्योधन ने द्रौपदी के साथ शादी के सपने देखे थे.
राजनीतिक गठबंधन के लिए
द्रौपदी राजा द्रुपद की बेटी थी, जो उस समय असरदार और शक्तिशाली शासक थे. द्रौपदी से विवाह करने से दुर्योधन की राजनीतिक स्थिति मजबूत होती वह पांडवों के खिलाफ ज्यादा ताकतवर हो जाता.
व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा
दुर्योधन के चरित्र में महत्वाकांक्षा और वर्चस्व की चाहत झलकती है. द्रौपदी को पाने के पीछे उसकी हसरत लोगों को ये दिखाने की थी कि उसने उस दौर की सबसे सुंदर और आकर्षक महिला को पा लिया. इससे उसकी धाक जम जाती. क्योंकि तब द्रौपदी को अत्यधिक सुंदरता और गुणों वाली शख्सियत के रूप में पेश किया जाता था, जिसने उसे अत्यधिक वांछित दुल्हन बना दिया.
ये लोग भी बनाना चाहते थे द्रौपदी को पत्नी लेकिन हुए नाकाम
कर्ण –कर्ण ने स्वयंवर में द्रौपदी से विवाह करने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन द्रौपदी ने उन्हें यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वह एक सूतपुत्र हैं. यह घटना कर्ण के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. उनके मन में पांडवों के प्रति द्वेष पैदा हुआ.
शल्य –मद्रदेश के राजा शल्य कौरवों के समर्थक थे, वह भी द्रौपदी के स्वयंवर में आए थे. उनसे विवाह करना चाहते थे.
जयद्रथ -सिंधु देश के राजा जयद्रथ भी द्रौपदी से विवाह करने के इच्छुक थे. वह स्वयंवर में उपस्थित थे, लेकिन स्वयंबर की शर्त पूरी नहीं कर पाए.
शिशुपाल- चेदि देश के राजा शिशुपाल, जो भगवान श्रीकृष्ण के विरोधी थे, वह भी द्रौपदी से विवाह करने की इच्छा रखते थे.
Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 12:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed