Explainer: क्या है रामकृष्ण मिशन जिस पर आरोप लगा रही हैं सीएम ममता बनर्जी
Explainer: क्या है रामकृष्ण मिशन जिस पर आरोप लगा रही हैं सीएम ममता बनर्जी
Ramakrishna Mission: इस मिशन की स्थापना के केंद्र में ऐसे साधुओं और संन्यासियों को संगठित करना था, जो रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में गहरी आस्था रखें, उनके उपदेशों को आम जनता तक पहुंचा सकें. इसका एक उद्देश्य वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार भी है. रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है, जो कि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है.
हाइलाइट्स रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है. रामकृष्ण मिशन की स्थापना एक मई 1897 को स्वामी विवेकानंद ने की थी. इस मिशन का लगभग 200 शाखा-केंद्रों का अपना विशाल नेटवर्क है
जिस तरह लोकसभा चुनाव (2024 Loksabha Election) आहिस्ता-आहिस्ता अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, इसका रंग सभी नेताओं के सिर चढ़कर बोल रहा है. आरोप- प्रत्यारोप के एक ऐसे ही दौर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) ने रामकृष्ण मिशन (Ram Krishna Mission) पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए काम करने का आरोप लगा दिया. इससे ना केवल राज्य बल्कि समूचे देश की राजनीति में उबाल आ गया. तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के एक प्रमुख मठ रामकृष्ण मिशन के कुछ संतों ने आसनसोल में अपने श्रद्धालुओं से भाजपा को वोट देने को कहा था. हालांकि इस मठ ने बयान जारी कर अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है. उसने कहा कि वे हमेशा ही राजनीति से दूर रहे हैं और उन्होंने कभी किसी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा. आइए जानते हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कैसे हुई और दुनियाभर में कैसे फैला और क्या करता है?
स्वामी विवेकानंद ने की थी स्थापना
रामकृष्ण मिशन की स्थापना एक मई 1897 को रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने की थी. इस मिशन की स्थापना के केंद्र में ऐसे साधुओं और संन्यासियों को संगठित करना था, जो रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में गहरी आस्था रखें, उनके उपदेशों को आम जनता तक पहुंचा सकें. इसका एक उद्देश्य वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार भी है. रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है, जो कि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है.
200 शाखा-केंद्रों का विशाल नेटवर्क
रामकृष्ण मिशन एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठन है. यह मिशन शिक्षा, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के क्षेत्र में लगभग 200 शाखा-केंद्रों के अपने विशाल नेटवर्क के जरिये जाति, रंग, पंथ, धर्म, राष्ट्रीयता, लिंग, क्षेत्रीय पूर्वाग्रह के बावजूद भारत और विदेशों में समाज की सेवा कर रहा है. इसके काम स्वास्थ्य, राहत और पुनर्वास, ग्रामीण और आदिवासी विकास, प्रकाशन, शिक्षण और उपदेश, और बड़ी संख्या में संबद्ध क्षेत्र, जो सभी व्यक्तियों और समग्र रूप से समाज के सर्वांगीण विकास के लिए है. स्वामी विवेकानंद द्वारा दी गई विचारधारा, अर्थात् ‘नि:स्वार्थ सेवा ही मनुष्य में ईश्वर की वास्तविक पूजा है’, ‘स्वयं की मुक्ति के लिए और विश्व के कल्याण के लिए’ के आधार पर, रामकृष्ण मिशन अपनी स्थापना के बाद से चुपचाप समाज की सेवा कर रहा है.
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जुड़वा संगठन हैं रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन
रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन जुड़वां संगठन हैं जो विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन का मूल बनाते हैं जिसे रामकृष्ण आंदोलन या वेदांत आंदोलन के नाम से जाना जाता है. पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के तट पर बेलूर मठ में मुख्यालय वाले इस आंदोलन का उद्देश्य पूर्व और पश्चिम, प्राचीन और आधुनिक, धर्मों का सामंजस्य और साथ ही मानव क्षमताओं, समाज का सर्वांगीण विकास करना है. रामकृष्ण मठ श्री रामकृष्ण (1836-1886) को आदर्श मानने वाले संन्यासियों का एक संघ है. रामकृष्ण मठ को 1901 में स्वयं स्वामी विवेकानन्द ने एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया था. हालांकि रामकृष्ण मिशन (मूल रूप से रामकृष्ण मिशन एसोसिएशन कहा जाता है) की शुरुआत 1897 में स्वामी विवेकानन्द द्वारा श्री रामकृष्ण के मठवासी और सामान्य शिष्यों के साथ की गई थी. मिशन को औपचारिक रूप से 1909 में पंजीकृत किया गया था.
बेलूर में है इसका मुख्यालय
बेलूर मठ पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पश्चिमी तट पर बेलूर में स्थित है. यह रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ का मुख्यालय है. इस मठ के भवनों की वास्तुकला में हिंदू, ईसाई तथा इस्लामी तत्वों का सम्मिश्रण है जो धर्मो की एकता का प्रतीक है. 40 एकड़ भूमि पर स्थित इस मठ के मुख्य प्रांगण में स्वामी रामकृष्ण परमहंस, शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और स्वामी ब्रह्मानंद की समाधियाां व मंदिर बने हैं. बाद में यहां एक संग्रहालय भी बनाया गया.
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कई शैलियों का मिश्रण है मुख्य मंदिर
बेलूर मठ का मुख्य मंदिर चुनार के पत्थर से बना हुआ है. मंदिर का ऊंचा प्रवेश द्वार दक्षिण भारतीय गोपुरम की तरह है. दोनों तरफ के स्तंभ बौद्ध स्थापत्य शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं. राजपूत-मुगल शैली में बने शीर्ष पर तीन गुंबद गांव में बने घरों की छत की तरह लगते हैं. इस मठ का जो प्रवेश द्वार है, वह हिंदूओं की वास्तुकला और अजंता मंदिर की शैली के अनुसार बनाया गया है. इस द्वार की सुंदरता और भव्यता बहुत ही सुंदर लगती है. मठ ऊपर की तरफ से भगवान शिव के लिंग जैसा दिखता है.
Tags: 2024 Loksabha Election, CM Mamata Banerjee, Ramakrishna Paramahamsa, West bengalFIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 10:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed