जिस तरह 08 नवंबर को पूर्ण चंद्रग्रहण था और उसी रात उत्तर भारत को एक भूकंप ने हिलाया, उससे इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया कि दोनों के बीच गहरा लिंक होता है. क्या वास्तव में ऐसा है. साइंस तो इसको नहीं मानता तो कौन मानता है.
हाइलाइट्सप्राचीन भारतीय गणितज्ञ वराह मिहिर ने साफतौर पर लिखा था कि भूकंप और ग्रहण के बीच संबंध होता हैमाना जाता है कि ग्रहण पृथ्वी के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर व्यापक असर डालता हैदुनियाभर के वैज्ञानिक इस थ्योरी को नकारते हैं उनका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होता
08 नवंबर को पूर्ण चंद्रग्रहण था. चांद लाल हो गया. इसी रात उत्तर भारत में रात करीब दो बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. नेपाल में इससे काफी नुकसान की खबरें हैं. इसके बाद ये चर्चाएं जोर पकड़ने लगीं कि ग्रहण और भूकंप के बीच एक खास रिश्ता होता है. जब खास चंद्रग्रहण होता है तब पृथ्वी पर भूकंप जरूर आता है. हालांकि ये बात भी सही है कि भूकंप उन दिनों में भी आए हैं जब चंद्रग्रहण दूर दूर तक नहीं था.
भूकंप और चंद्रग्रहण के संबंधों को भारतीय ग्रंथ और पुराण भी मानते हैं. ज्योतिषी इन दोनों के बीच संबंधों को मानने की जोरदार दलीलें देते हैं लेकिन विज्ञान क्या कहता है. दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में साइंटिस्ट इस संबंध को जानने में जुटे और बाद में उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि दोनों में कोई रिश्ता नहीं होता.
नेपाल के भूकंप केंद्र ने भूकंप की तीव्रता 6.6 बताई है। वहीं यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने भूकंप की तीव्रता 5.6 बताई. ईएमएससी ने कहा कि भूकंप पड़ोसी भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के एक आबादी वाले शहर पीलीभीत से लगभग 158 किमी (100 मील) उत्तर पूर्व में केंद्रित था. 10 किमी की गहराई पर आया था. भूकंप के कारण लगभग सभी कच्चे घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं.
सोशल साइट्स और कई जगहों पर ये दावा करने वाली पोस्ट लगातार पब्लिश हो रही हैं कि विज्ञान माने या ना माने लेकिन संबंध तो है. आइए हम भी जानने की कोशिश करते हैं कि पूरा मामला दरअसल क्या है.
वराह मिहिर ने पहली बार ग्रहण और भूकंप के बीच संबंध बताए थे
प्राचीन भारत के विद्वान वराह मिहिर ने अपने ग्रंथ बृहत्संहिता में भूकंप और ग्रहण के रिश्तों को लेकर विस्तार से लिखा है. वराहमिहिर ईसा की पांचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. वाराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेंड के बराबर है. वह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में एक थे.
उज्जैन में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल 700 वर्षों तक अद्वितीय रहा. 550 ई. के लगभग इन्होंने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें बृहज्जातक, बृहत्संहिता और पंचसिद्धांतिका लिखीं. इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिए हैं.
क्या संबंध बताया
अब जानते हैं कि वराहमिहिर ने क्या लिखा है
– जब भी ग्रहण पड़ता है या पड़ने वाला होता है तो उसके 40 दिन पहले या 40 दिन बाद तक 80 दिनों के अंतराल में भूकंप आ सकता है
– कभी कभी ये ग्रहण के 15 दिन पहले या 15 दिन बाद में आ सकता है
– ग्रहण के दौरान पृथ्वी और चंद्रमा पर एक दूसरे की छाया पड़ती है, इसका बहुत असर दोनों की अंदरूनी और बाहरी स्थितियों पर पड़ता है
– जब ग्रहण के दौरान पृथ्वी और चांद पर छाया पड़ती है तो प्राकृतिक हालात बदलते हैं, वायुवेग बदलता है, तूफान और आंधी आ सकती हैं
– ग्रहण के असर से पृथ्वी की अंदरूनी प्लेटों पर दबाव पड़ता है और वो आपस में टकरा सकती हैं, जिससे भूकंप आ सकता है
– कोई भी भूकंप हमेशा दोपहर से लेकर सूर्यास्त और मध्य रात्रि से लेकर सूर्योदय के बीच आता है.
वराहमिहिर पहले शख्स थे जिन्होंने ग्रहण और भूंकप के संबंधों पर विस्तार से लिखा है. विज्ञान के इतिहास में वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बताया कि सभी वस्तुओं का पृथ्वी की ओर आकर्षित होना किसी अज्ञात बल का आभारी है। सदियों बाद ‘न्यूटन’ ने इस अज्ञात बल को ‘गुरुत्वाकर्षण बल’ नाम दिया(file photo)
वैज्ञानिक इसे नहीं मानते
हालांकि दुनिया में कहीं भी वैज्ञानिक इसके स्वीकार नहीं करते. भारतीय वैज्ञानिकों ने भी हमेशा चंद्रग्रहण और भूकंप के बीच किसी रिश्ते को खारिज किया है. वैसे अफगानिस्तान, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चंद्रग्रहण के पहले या बाद में आए भूकंप की टाइमिंग को लोग इसी से जोड़ते हैं.
हवाई यूनिवर्सिटी से वैज्ञानिकों से कुछ साल पहले यही सवाल पूछा गया और उन्होंने साफतौर पर इन दोनों के संबंधों से इनकार कर दिया. हालांकि विदेश में भी कई ऐसे भविष्यवक्ता रहे हैं जो मानते थे कि चंद्रग्रहण आने के 16 दिनों के बाद भूकंप आने की गुंजाइश काफी रहती है.
आस्ट्रेलिया शोधकर्ता ने कहा – संबंध होता है
कुछ साल पहले आस्ट्रेलिया के शोधकर्ता राबर्ट बास्ट ने कहा था कि ग्रहण और भूकंप के बीच संबंध हो सकता है. क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर बहुत असर डालता है.
इसका असर पानी और नदियों के बहाव में साफतौर पर दिखने लगता है. इसी तरह पृथ्वी के अंदर भी उसका असर होता है.बल्कि बास्ट तो ये भी कहते हैं कि उनकी शोध ये बताती है कि चंद्रग्रहण के दिन ही दुनिया में कई जगहों पर भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. उनकी तीव्रता भी अच्छी खासी रही है. बास्ट ने इसे लेकर एक किताब भी लिखी.
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Tags: Earthquake, Lunar eclipse, Solar eclipse, TremorsFIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 12:10 IST