किससे प्रेरित होकर चुना लॉ करियर अगले CJI के माता-पिता बनाना चाहते थे सीए

Justice Sanjeev Khanna: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना लेंगे. वह 11 नवंबर को पद की शपथ लेंगे. संजीव खन्ना के माता-पिता चाहते थे कि वह सीए बनें. लेकिन संजीव खन्ना अपने चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने लॉ को अपना करियर बनाने का फैसला किया.

किससे प्रेरित होकर चुना लॉ करियर अगले CJI के माता-पिता बनाना चाहते थे सीए
Justice Sanjeev Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. जस्टिस संजीव खन्ना के कानूनी करियर का यह सबसे बड़ा मुकाम होगा. लेकिन हकीकत यह है कि यह वो पेशा नहीं है जो माता-पिता उनके लिए चुना था. जस्टिस संजीव खन्ना को शुरू में चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए अपने माता-पिता की अपेक्षाओं का सामना करना पड़ा था. जस्टिस संजीव खन्ना की मां सरोज खन्ना लेडी श्रीराम कॉलेज में लेक्चरर थीं, जबकि उनके पिता देवराज खन्ना एक वकील थे जो बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश बने. संजीव खन्ना के माता-पिता का मानना ​​था कि उनके लिए कानूनी करियर चुनौतीपूर्ण होगा. वे अपने बेटे को इसलिए सीए बनाना चाहते थे कि इस पेशे में आर्थिक स्थिरता है और उतार-चढ़ाव कम आते हैं. इसके विपरीत कानून का पेशा चुनौतियों से भरा है. लेकिन संजीव खन्ना अपने चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना से प्रभावित थे, जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश थे. उन्होंने अपने चाचा से प्रेरित होकर कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया और कानून के पेशे को अपनाया. ये भी पढ़ें- कितनी पढ़ी-लिखी टाटा फैमिली, जिन्होंने खड़ा किया 33 लाख करोड़ रुपये का बिजनेस एंपायर चाचा को मानते थे आदर्श एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “उन्होंने (जस्टिस संजीव खन्ना) हमेशा अपने चाचा को एक आदर्श माना और उनके काम का बारीकी से अनुसरण किया. संजीव खन्ना ने जस्टिस एचआर खन्ना के सभी फैसले, नोट्स और रजिस्टर अपने पास सुरक्षित रखे हैं और रिटायर होने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी को उपहार में देने की योजना है. ताकि यह कानूनी धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके.” जस्टिस एचआर खन्ना निजी जिंदगी में ईमानदारी, समर्पण और विनम्रता की मूर्ति थे. वह इतनी सादगी से रहते थे कि न केवल अपने बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के जूते भी पॉलिश करते थे और अपने कपड़े भी खुद ही धोते थे.  उसी कोर्ट रूम में बैठे साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनने के बाद अपने पहले दिन जस्टिस संजीव खन्ना उसी अदालत कक्ष में थे, जहां कभी उनके चाचा बैठते थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वहां पर न्यायमूर्ति एचआर खन्ना की तस्वीर लगी हुई है, लेकिन संजीव खन्ना ने अभी तक उस जगह पर एक भी तस्वीर नहीं ली है. हालांकि वह अपने रिटायरमेंट से पहले ऐसा करने का इरादा रखते हैं. वह अगले साल 13 मई को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. उनका कार्यकाल सिर्फ छह महीने का रहेगा. ये भी पढ़ें- Explainer: नेपाल के नए करेंसी नोट में ऐसा क्या, जिससे बिगड़ सकते हैं उसके भारत के साथ रिश्ते वो फैसला जो बना यादगार न्यायमूर्ति एचआर खन्ना उस पीठ में शामिल थे जिसने 1976 में एडीएम, जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के ऐतिहासिक ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले’ में सर्वसम्मत फैसला सुनाया था. यह फैसला आपातकाल के दौरान दिया गया था, जब इंदिरा गांधी की सरकार ने नागरिक स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए थे. न्यायमूर्ति एचआर खन्ना का यह फैसला भारत के न्यायिक इतिहास का यादगार फैसला बना. उन्होंने अपने फैसले में नागरिक स्वतंत्रता को राज्य की शक्ति के ऊपर रखा था.  वरिष्ठता की अनदेखी पर दिया था इस्तीफा जनवरी 1977 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एमएच बेग की नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति एचआर खन्ना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे को व्यापक रूप से भारत की न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण माना जाता है, जो न्यायिक स्वतंत्रता और कानून के सिद्धांतों के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करता है. न्यायमूर्ति एचआर खन्ना का इस्तीफा विरोधस्वरूप था, क्योंकि उनकी वरिष्ठता की अनेदखी कर न्यायमूर्ति एमएच बेग को सीजेआई बनाया गया था. ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप की ‘लव लाइफ’, मेलानिया को तो जानते हैं आप, कौन थीं बाकी बीवियां और प्रेमिकाएं डीयू से की लॉ की पढ़ाई जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री ली. उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया. यहीं से उनके कानूनी सफर की शुरुआत हुई. पहले उन्होंने दिल्ली की तीस हजारी अदालत में प्रैक्टिस की. उसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट के वकील बने.  14 साल रहे दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस खन्ना 14 साल तक दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे. 2005 में एडिशनल जज और 2006 में स्थायी जज बने. जस्टिस संजीव खन्ना 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में प्रमोट हुए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष पद का कार्यभार 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक संभाला. इस समय वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं. Tags: Chief Justice, Chief Justice of India, Delhi University, DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 11:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed