Explainer : आपत्तिजनक कंटेंट मामलों को सोशल मीडिया से कैसे हटाती हैं पुलिस और एजेसियां

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में जिस तरह छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो का मामला सामने आया है, उसमें आमतौर पर पुलिस क्या करती है. कैसे इस कंटेंट को जो वीडियो, फोटो या वाइस के फार्मेट में हो सकता है, उसको कैसे मूल सोर्स से पूरी तरह डिलीट कराती है, और फैलने से रोकती है, क्या कदम उठाती है. जानिए इसके बारे में. ये भी जानते हैं कि ये कितना मुश्किल या आसान काम है

Explainer : आपत्तिजनक कंटेंट मामलों को सोशल मीडिया से कैसे हटाती हैं पुलिस और एजेसियां
हाइलाइट्सआपत्तिजनक कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए क्या होती है प्रक्रिया क्या पुलिस या एजेंसियां के कहने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स देनी होती है सारी जानकारियां किस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक वीडियो और पिक्चर हटाना सबसे मुश्किल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो बनाने के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है. बड़े पैमाने पर छात्र-छात्राएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी ने इस गुस्से को देखते हुए 24 सितंबर तक यूनिवर्सिटी बंद करने का फैसला किया है. अब इस मामले के सामने आने के बाद पंजाब पुलिस की चुनौती ये है कि वो इस मामले से कैसे निपटती है लेकिन हमें जानना चाहिए कि पुलिस और अन्य एजेंसियां इस तरह के कंटेंट को आनलाइन फैलने से कैसे रोकेंगी और कैसे इसकी जांच करेंगी. सवाल – जब भी कोई आपत्तिजनक सामग्री वायरल होती है तो सबसे पहले क्या किया जाता है? – जांच एजेंसियां सबसे पहले उस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देखती हैं, जिसके जरिए आपत्तिजनक सामग्री पिक्चर, वीडियो, वाइस मैसेज जैसे रूप में फैल रही है. हालांकि जांच एजेंसी सबसे पहले पकड़ में आए आरोपी की जानकारियों पर ही काम करती है. जो ये बताता है कि सबसे पहले इस कंटेंट को कहां और किस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाला गया, ताकि वो फैल सके. कई बार जटिल केसों में कंटेंट को एक साथ कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से प्रसारित किया जाता है, तब एजेंसियां सभी सोशल मीडिया से जुड़े या उन्हें नियंत्रित करने वाले लोगों से सीधे संपर्क करते हैं. मसलन तब फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर आदि के आफिसों पर संपर्क किया जाता है. जहां से उन कंटेंट के फैलने और अन्य जानकारियां ही नहीं ली जा सकें बल्कि उन्हें रोका जा सके. सवाल – जब इस तरह की सामग्री को सोशल मीडिया पर फैलाने वालों का पता लगाने के लिए क्या किया जाता है? – जब ये पता लग जाता है कि सोशल मीडिया पर इन्हें फैलाने वाले कौन हैं, तब जांच एजेंसी इनकी रेगुलेटिंग अधिकारियों या इनके मुख्यालय पर संपर्क करती हैं. उनसे बात करने के दो तरीके होते हैं. पहला ये कि तुरंत उस व्यक्ति की सारी जानकारी आदि वहां से पता की जा सके. जिसमें उसका आईपी एड्रेस और फोन नंबर होता है. जिसकी मदद से आपत्तिजनक सामग्री को सोशल मीडिया पर डाला गया. रुटीन मैटर्स यानि सामान्य मामलों में इसमें समय लग सकता है. आपात हालात में अगर मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हो और मानवीय जिंदगियां खतरे में हों ये काम तुरत फुरत कराए जाते हैं. उसमें बिल्कुल इंतजार नहीं किया जाता. तब सोशल मीडिया के लोग तुरंत और पुख्ता फैसले लेकर सारी जानकारियां तुरंत भेजते हैं. ये जांच एजेंसियों पर है कि वो सोशल मीडिया के मुख्यालयों से हासिल जानकारियों से कितने संतुष्ट हैं या नहीं. इस मामले में पंजाब पुलिस को इस वीडियो के मामले में सोशल मीडिया प्लेटफार्म के रेगुलेटर्स पर इमर्जेंसी रिस्पांस के तहत कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि इसमें कई लोगों की जान का खतरा है, कई इससे बुरी तरह अवसाद में आ सकते हैं. इस मामले में तेजी दिखाने पर ना केवल वो इस तरह के वीडियो को फैलने से रोक सकते हैं बल्कि उसको सोर्स से हटवा भी सकते हैं. सवाल – क्या इस मामले में सोशल मीडिया आफिसर से भारत में सीधे संपर्क भी कर सकता है? – सूचना प्रोद्यौगिकी नियम 2021 के तहत पीड़ित सीधे भी सोशल मीडिया के ग्रीवेंसेस अफसर से संपर्क कर सकता है या जांच एजेंसियों के जरिए उन तक अप्रोत कर सकता है. सभी बड़ी सोशल साइट्स फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर देश में अपने विवाद निपटान अधिकारी की नियुक्ति करने पर बाध्य हैं. उन्हें इस तरह की शिकायतों पर 24 घंटे के अंदर ना केवल देखना होगा बल्कि इस पर 15 दिनों के अंदर निपटारा भी करना होगा. संशोधित आईटी रुल्स 2021 का पार्ट 2 कहता है, अगर कंटेंट किसी व्यक्ति को लेकर सेक्सुअल एक्ट या आपत्तिजनक तरीके से उन्हें आंशिक या पूरी तरह दिखाते हुए निजी क्षेत्र का हनन कर रहा हो या इसी तरह का कुछ कर रहा हो, उस कंटेट को वीडियो, मार्फ पिक्चर या किसी रूप में होने पर तुरंत ना केवल हटाना होगा बल्कि उसका प्रचार प्रसार भी रोकना होगा. सवाल – क्या इस तरह के कंटेट को हटाना और संदिग्ध को चिन्हित करना और कंटेट को पहुंच से दूर करना मुश्किल काम है? – इस बारे में साइबर विशेषज्ञ कहते हैं, वाट्स एप पर कल्प्रिट को चिन्हित करना, मैटर को हटाना और पूरी तरह खत्म कर देना कहीं जटिल काम है बजाए फेसबुक और ट्विटर के. फेसबुक और ट्विटर जांच एजेंसियां आसानी संदिग्ध के अकाउंट तक पहुंचकर उसको चिन्हित कर सकती हैं. लेकिन वाट्सएप पर और जबकि वो वीडियो, पिक्चर या वाइस मैसेज हो, जो कि बहुत तेजी से फैलता है, हटाना, प्रसार से रोकना और मूल संदिग्ध को पहचान पाना कई बार मुश्किल हो जाता है. वैसे ये पक्का है जबकि एक बार आपत्तिजनक कंटेंट मूल तौर पर हटा दिया जाता है तो ये कंटेंट दूसरी जगहों से भी आने वाले दिनों में अपने आप खत्म हो जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Chandigarh, Chandigarh news, Chandigarh Police, IT Act, Punjab Police, Social media, Viral videosFIRST PUBLISHED : September 19, 2022, 12:40 IST