Explainer: राख से हाथ धोना कितना ठीक क्या इससे भी खत्म हो जाते हैं बैक्टीरिया
Explainer: राख से हाथ धोना कितना ठीक क्या इससे भी खत्म हो जाते हैं बैक्टीरिया
भारत में आज भी गांवों में हाथ की सफाई राख से करना आम प्रचलन है. 70 और 80 के दशकों तक बर्तन को मांजने का काम राख से ही होता था. फिर माना जाने लगा कि राख से हाथ धोना हाइजीन के लिहाज से ठीक नहीं है. क्या है असलियत
हाइलाइट्स भारत के बहुत से गांवों में अब भी हाथ धोने और बर्तन की सफाई के लिए राख का इस्तेमाल राख में कौन से वो तत्व होते हैं जो गंदगी को साफ करने में मदद करते हैं जहां साबुन नहीं है वहां कैसी राख से हाथ साफ करने संबंधी कार्यक्रम चलाए जाते हैं
अगर अमेरिका की ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन’ की रिसर्च पर गौर करें. आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस पर जाकर राख से हाथ की सफाई के बारे में जानें तो जो जानकारियां मिलती हैं, वो ये कहती हैं कि अगर साबुन नहीं है तो राख से हाथ की सफाई भी सुरक्षित है. हालांकि साबुन की तुलना में इसका असर सीमित है. जानते हैं कि नए शोध और अध्ययन इसे लेकर क्या कहते हैं.
हालांकि राख से हाथ सफाई का काम सैकड़ों साल से हमारी पुरानी परंपराओं में चलता आ रहा है. अब भी एशिया से लेकर अफ्रीका में जहां साबुन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता वहां लोग राख का इस्तेमाल ही सफाई के लिए करते हैं.
हम आप तक ये जानकारी ‘परप्लेक्सिटी आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस’ और ‘अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ पर मिले तथ्यों और शोध के जरिए पहुंचा रहे हैं.
सवाल – क्या राख गंदगी और बैक्टीरिया की सफाई करने के लिए ठीक रहती है?
– राख अपने घर्षण गुणों और पोटेशियम कार्बोनेट और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसे क्षारीय पदार्थों की मौजूदगी के कारण गंदगी और कुछ बैक्टीरिया को हटाने में मदद कर सकती है. अध्ययनों से संकेत मिलता है कि राख कुछ हद तक हाथों को साफ कर सकती है. ग्रामीण बांग्लादेश में कुछ लोगों का दावा है कि यह साबुन की तरह ही प्रभावी रूप से काम करती है. ये गंदगी और ग्रीस को हटा सकती है लेकिन ये जरूरी नहीं कि साबुन की तरह सभी रोगाणुओं को असरदार तरीके से खत्म कर दे.
सवाल – राख हाथों को साफ करने में बेहतर है या साबुन?
– शोध से संकेत मिलता है कि राख हाथों को प्रभावी ढंग से साफ कर सकती है, लेकिन यह साबुन की प्रभावशीलता से मेल नहीं खाती है. हालांकि अध्ययन ये भी कहते हैं कि जो परिवार राख से हाथ साफ करते हैं और जो लोग साबुन से सफाई करते हैं, दोनों में दस्त के मामलों में अस्पताल जाने की दर बराबर ही थी. मतलब ये भी है कि राख साबुन की तुलना में संक्रमण दर को महत्वपूर्ण रूप से कम नहीं कर सकती. दुनियाभर के शोध ने माना है कि राख से सफाई पर 90 फीसदी तक बैक्टीरिया मर जाते हैं या हटाए जा सकते हैं. जहां साबुन उपलब्ध नहीं हो, वहां राख से सफाई ठीक है. (Image generated by Meta AI)
सवाल – राख से हाथ धोने पर कितने फीसदी बैक्टीरिया हट जाते हैं?
– अध्ययन कहते हैं राख से धोने से 90% तक बैक्टीरिया हट सकते हैं लेकिन ये साबुन की तुलना में कम प्रभावी है, खासकर SARS-CoV-2 जैसे वायरस के मामलों में. साबुन और पानी मिलकर अपने सर्फेक्टेंट गुणों के कारण ऐसे वायरस को मारने और हटाने के लिए विशेष रूप से प्रभावी होते हैं.
सवाल – किस तरह की राख को हाथ धोने के लिए सुरक्षित माना जाता है?
– नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन कहती है कि सफ़ेद लकड़ी की राख से हाथ धोना सुरक्षित माना जाता है. इसमें पोटेशियम कार्बोनेट और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड होता है, जो पानी के साथ मिश्रित होने पर क्षारीय घोल बना सकता है. यह क्षारीय प्रकृति की त्वचा को अत्यधिक कास्टिक किए बगैर प्रभावी रूप से तेल और गंदगी को हटाने में मदद करती है. लेकिन पेंटिग की हुई या माइका लगी लकड़ियों की जली राख स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं. एशिया और अफ्रीका में पारंपरिक तौर पर अब भी गांवों में राख से हाथ की सफाई और बर्तनों की सफाई का प्रचलन है. ये आज से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से प्रचलित है. (Image generated by Leonardo AI)
सवाल – राख से हाथ धोना कब बिल्कुल सुरक्षित नहीं रहता?
– जब राख पुरानी हो और मिट्टी और उसमें मौजूद सूक्ष्मजीवों से दूषित है तो ये बीमारियों का वाहक होती है. इससे बिल्कुल हाथ नहीं धोना चाहिए.
सवाल – किन देशों या महाद्वीपों में अब भी राख से हाथ धोने का चलन जारी है, जहां ये साबुन का विकल्प बनी हुई है?
– विशेष रूप से अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में राख का इस्तेमाल आमतौर पर हाथ धोने के लिए किया जाता है. यह साबुन के विकल्प के रूप में काम करता है. यहां बहुत सी जगहों पर अब भी साबुन आसानी से उपलब्ध नहीं होता. यहां राख को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाते हैं और फिर उससे हाथ साफ करते हैं.
सवाल – क्या बर्तन और सतहों की सफाई के लिए राख का इस्तेमाल ठीक है?
– हाथ धोने के अलावा, राख का इस्तेमाल खाना पकाने के बर्तनों और सतहों को साफ करने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि राख की घर्षण प्रकृति तेल और खाद्य अवशेषों को हटाने में मदद करती है. वो घर जहां अब भी पुराने तौरतरीकों से चूल्हों पर खाना बनता है, वहां बर्तनों की सफाई चूल्हे की लकड़ी से निकली राख से ही की जाती है.
सवाल – लंबे समय तक राख से हाथ धोने पर साइड रिएक्शन हो सकते हैं?
– त्वचा में जलन – राख के लंबे समय तक संपर्क में रहने से त्वचा में जलन हो सकती है, खासकर संवेदनशील त्वचा वाले व्यक्तियों के लिए. राख की घर्षण प्रकृति बार-बार उपयोग के बाद दर्द या दाने का कारण बन सकती है.खासकर अगर राख में तीखे कण या जलन पैदा करने वाले तत्व हों.
रासायनिक प्रदूषण- राख के स्रोत में हानिकारक रसायन या भारी धातुएं हो सकती हैं, जैसे आर्सेनिक, सीसा या क्रोमियम, खासकर अगर ये पेंट या दूषित लकड़ी से प्राप्त की गई हो. ये त्वचा के संपर्क में आने पर खतरा पैदा कर सकती हैं.
माइक्रोबियल प्रदूषण – यदि राख ताजा नहीं है या मिट्टी के संपर्क में रही है तो ये कई तरह के रोग पैदा कर सकती है. तब संक्रमण रुकने की बजाए बढ़ सकता है.
सवाल – जहां साबुन की उपलब्धता नहीं है वहां क्या राख से हाथ धोने संबंधी कोई शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाते हैं?
– हां, ऐसा है. जिन इलाकों में साबुन की उपलब्धता नहीं है, वहां स्वास्थ्य शिक्षा पहलों में राख को हाथ धोने के एजेंट के रूप में शामिल किया जा रहा है. ये कार्यक्रम ताज़ी उत्पादित लकड़ी की राख के उचित उपयोग के बारे में शिक्षित करते हैं. वैसे अध्ययनों से पता चला है कि पानी और लकड़ी की राख से हाथ धोने से केवल सादे पानी से हाथ धोने की तुलना में फेकल कोलीफॉर्म जैसे हानिकारक बैक्टीरिया की सांद्रता में काफी कमी आ सकती है.
सवाल – राख से और किस किस तरह की सफाई होती है?
– राख खासतौर पर ओक, चेस्टनट, फलों के पेड़ और बबूल जैसी दृढ़ लकड़ी की राख में पोटेशियम कार्बोनेट (पोटाश) में काफी होता है. ये लांड्री क्लीनर के रूप में उपयोग में लाया जाता है. इसमें राख को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर पोटाश निकालते हैं और फिर कपड़े धोने में इस पोटाश का इस्तेमाल करते हैं.
– राख को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जा सकता है जो चांदी के बर्तनों को प्रभावी ढंग से चमकाता है और दाग-धब्बे हटाता है. राख के घर्षण गुण गंदगी को साफ करने और धातु की सतहों पर चमक बहाल करने में मदद करते हैं.
– राख और पानी का उपयोग ग्लास को साफ करने के लिए किया जाता है. इसमें पेस्ट बनाकर सतह पर कुछ देर के लिए लगाया जाता है और फिर सफाई की जाती है.
– ताज़े तेल या पेंट के छींटे पर राख छिड़कने से यह दाग को सोख लेता है. पूरी तरह से सोख लेने के बाद, राख और दाग को साफ किया जा सकता है.
राख लंबे समय कई तरह के सफाई एजेंट का काम करती रही है, जिसमें कपड़े धोने से लेकर पॉलिश करने आदि चीजें शामिल रही हैं.
Tags: Clean water, Cleanliness Drive, Detergent powderFIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 20:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed