वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर NDA में तकरार नीतीश कुमार के करीबी ने जताई नाराजगी
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर NDA में तकरार नीतीश कुमार के करीबी ने जताई नाराजगी
देश में वक्फ अधिनियम 1954 में लागू किया गया था. साल 1995 में इस अधिनियम में पहला संशोधन और साल 2013 में दूसरा संसोधन किया गया था. मोदी सरकार अब वक्फ बोर्ड तीसरा संशोधन कर पहले से अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन का प्रस्ताव लेकर आने वाली है. लेकिन, एनडीए में शामिल जेडीयू ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया है.
नई दिल्ली. मोदी सरकार वक्फ अधिनियम 1954 में बड़े बदलाव करने जा रही है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को ही वक्फ अधिनियम विधेयक बिल के 40 संशोधनों को मंजूरी मिली है. संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को पास कराने की तैयारी है. मोदी सरकार का दावा है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां पहले के तुलना में और पारदर्शी हो जाएंगी. इसके पास हो जाने के बाद पहली बार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की भागादारी सुनिश्चित होगी. नए बिल में वक्फ बोर्ड की जमीन या किसी भी तरह की संपत्ति की निगरानी में अब मजिस्ट्रेट को भी शामिल करने का प्रस्ताव है.
आपको बता दें कि देश में वक्फ अधिनियम 1954 में लागू किया गया था. साल 1995 में इस अधिनियम में पहला संशोधन और साल 2013 में दूसरा संसोधन किया गया था. मोदी सरकार अब वक्फ बोर्ड तीसरा संशोधन कर पहले से अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन का प्रस्ताव लेकर आने वाली है. वक्फ अधिनियम में बदलाव का मकसद है कि वक्फ को दान की गई संपत्ति को नियंत्रित करना और महिलाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित करना.
वक्फ बोर्ड में तीसरा संशोधन करने की तैयारी
लेकिन, इस अधिनियम का अब विरोध शुरू हो गया है. एनडीए सरकार के एक महत्वपूर्ण घटक दल जेडीयू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी राज्य शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास ने बिल में संशोधन का विरोध किया है. अब्बास न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘देखिए, पहली बात यह है कि इन लोगों को चाहिए था कि पहले समाज के लोगों ले मिलकर बात करे और फिर कोई बिल लाए. दूसरी बात यह कि वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी हमारे पुर्वजों ने समाज के हित के लिए दान किया था. लेकिन, अब इसको कमजोर करने की तैयारी चल रही है.’
अब्बास आगे कहते हैं, ‘बिल में क्या संशोधन किए जा रहे हैं? इसकी जानकारी मुझे नहीं है. लेकिन, अगर जानबूझ कर समाज को कमजोर करने की कोशिश हो रही है तो ये ठीक बात नहीं होगा. जहां तक महिलाओं की भागीदारी की बात है. वक्फ बोर्ड में 7 सदस्य होते हैं. एक एमपी कोटा से होता है, एक एमएलए कोटा से होता है. एक सामाजिक संस्था से जुड़े लोग होते हैं, एक कानून से जुड़े लोग होते हैं और एक इस्लामिक विद्वान होते हैं तो महिलाओं को आप कहां एडजस्ट करेंगे?’
एनडीए में ही विरोध के आवाज उठने लगे
आपको बता दें कि साल 2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों में इजाफा कर दिया था. वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाने पर मुस्लिम समाज में ही खासी नाराजगी देखने को मिली थी. केरल के मौजूदा राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जैसे लोगों ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों में इजाफा करने पर यूपीए सरकार की खूब आलोचना की थी. खासकर गरीब मुस्लिम, मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे के साथ-साथ शिया और बोहरा जैसे मुस्लिम समाज के लोग कानून में बदलाव की मांग करने लगे. इन लोगों का आरोप था कि वक्फ बोर्ड में आम मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है. सिर्फ पावरफूल लोग ही इसका फायदा उठा रहे हैं. वक्फ बोर्ड का पैसा कितना आता है और कहां चला जाता है. इसका कोई हिसाब नहीं है.
देश में वक्फ बोर्ड अधिनियम पहली बार साल 1954 में पारित हुआ था. इसमें साल 1995 में पहला संशोधन और साल 2013 में दूसरा संशोधन हुआ. आपको बता दें कि भारत में वक्फ संपत्ति दुनिया में सबसे ज्यादा है. वक्फ बोर्ड से सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और उसके राजस्व में केंद्र सरकार, राज्य सरकार या देश की अदालतें भी हस्तक्षेप नहीं करती है. हालांकि, सच्चर कमिटी ने भी कहा था वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए.
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ऐसे में अब मोदी सरकार मौजूदा कानून में बदलाव करने जा रही है. इसमें केंद्र, राज्य और अदालतें भी अब हस्तक्षेप कर सकती है. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. नए बिल में यह प्रावधान होगा कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ संपत्ति बना सकते हैं. वक्फ संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी. साथ ही जिन जगहों पर वक्फ बोर्ड नहीं है वहां कोई ट्रिब्यूनल में अब जा सकता है. वक्फ बोर्ड की पुरानी विवादित जमीन का सत्यापन होगा.
Tags: CM Nitish Kumar, Shia waqf board, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 18:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed