Explainer: कैसे एक और बुखार हुआ केरल में दाखिल जिसका नाम है वेस्ट नाइल फीवर
Explainer: कैसे एक और बुखार हुआ केरल में दाखिल जिसका नाम है वेस्ट नाइल फीवर
इसी हफ्ते केरल में एक नये किस्म का बुखार आया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसके अन्य मामले भी सामने आ रहे हैं. इसे वेस्ट नाइल बुखार बता रहे हैं. जानते हैं कि क्या है ये बीमारी.
हाइलाइट्स ये वेस्ट नाइल वायरस से फैलने वाली ऐसी बीमारी है, जो मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलती है इस बीमारी की पहचान पहली बार 1951 में इज़राइल में मनुष्यों में की गई, तब से यह विश्व स्तर पर फैल गई ये शुरुआती कोई लक्षण नहीं दिखाती लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं को जन्म जरूर देती है
केरल में हमेशा नए वायरस दस्तक देते हैं और फिर नई बीमारियां फैलने लगती हैं. अबकी बार ये नई बीमारी है वेस्ट नाइल वायरस ( WNV), जो अब तक विदेशों में फैलता रहा है लेकिन अब ये केरल में कई लोगों को बीमार कर चुकी है. राज्य के तीन जिलों में इससे लोगों के पीड़ित होने की खबरें हैं तो एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है.
केरल देश का ऐसा राज्य है, जहां लगातार नए वायरस का संक्रमण होता रहता है. उसकी कई वजहें बताई जाती हैं, इसमे एक उसका समुद्र किनारे होने से समुद्री जहाजों से लोगों का आना जाना है तो केरल के लोग बड़े पैमाने पर बाहर रहते हैं और उनकी भी आवाजाही राज्य में लगातार बनी रहती है. वैसे बड़े पैमाने पर समुद्र के किनारे रहने वाले भौगोलिक इलाकों में वायरस लाने का काम पक्षी भी करते हैं. इस मामले में पक्षियों का योगदान काफी हद तक सही कहा जा सकता है.
सवाल – वेस्ट नाइल वायरस क्या है?
– वेस्ट नाइल वायरस मच्छर से पैदा होने वाला एक वायरस है. इसे एक फ्लेविवायरस कहा जाता है, ये जापानी एन्सेफलाइटिस और पीले बुखार का कारण बनने वाले वायरस से संबंधित बताया जाता है. वेस्ट नाइल बुखार मनुष्यों के बीच संक्रामक नहीं है लेकिन मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलता है.
सवाल – वेस्ट नाइल वायरस कैसे फैलता है?
– क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर इसके फैलाव में प्रमुख वाहक का काम करते हैं. संक्रमण पैदा करने वाले मच्छर पक्षियों सहित मनुष्यों और जानवरों के बीच भी ये वायरस फैलाकर बीमार करते हैं.
सवाल – इस बीमारी का फैलाव कैसे होता है?
– मच्छर जब संक्रमित पक्षियों को खाते हैं, तो खुद संक्रमित हो जाते हैं और ये वायरस पहले मच्छरों के अंदर आता है और फिर वहां से मच्छर की लार ग्रंथियों में प्रवेश कर जाता है. अभी ये मालूम नहीं है कि ये संक्रमित मनुष्यों या जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है.
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, यह “पक्षियों सहित संक्रमित जानवरों को खाने से” नहीं फैलता.
सवाल – इस बीमारी के क्या लक्षण हैं?
– 80 फीसदी संक्रमित लोगों में ये बीमारी लक्षणहीन होती है. 20 फीसदी लोगों में ये बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, दाने और सूजन जैसे लक्षण देती है. वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित करीब 150 व्यक्तियों में 1 इस बीमारी से गंभीर बीमार हो सकता है. इससे उबरने में कई सप्ताह या महीने लग सकते हैं. ये बीमारी होने के बाद केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर स्थायी तौर पर प्रभाव छोड़ सकती है. हालांकि जापानी एन्सेफलाइटिस की तुलना में इस वायरस से ग्रस्त लोगों की मृत्यु दर कम है.
दुर्लभ मामलों में ये वायरस एन्सेफलाइटिस और मेनिनजाइटिस जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जो घातक हो सकता है. है (विकी कामंस)
सवाल – वेस्ट नाइल वायरस रोग का इलाज क्या है?
– वैसे तो इसका अब तक कोई टीका नहीं बन सकता है लेकिन इसमें सहायक उपचार दिए जाते हैं. इसमें उन उपायों को करने की सलाह दी जाती है, जिससे मच्छर ना तो पास आएं और ना ही पनपें.
सवाल – इसे वेस्ट नाइल वायरस क्यों कहा जाता है?
– इस वायरस को पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल जिले में एक महिला में देखा गया था. इसकी पहचान 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों (कौवे और कोलंबिफ़ॉर्म जैसे कबूतर और कबूतर) में भी की गई. 1997 में इससे इजरायल में विभिन्न पक्षियों को मरते देखा गया.
1999 में, WMV स्ट्रेन इज़राइल और ट्यूनीशिया से न्यूयॉर्क पहुंचा. इससे बड़ा प्रकोप पैदा हुआ और ये पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा से वेनेजुएला तक फैल गया.
सवाल – इसका मतलब ये है कि इस वायरस आमतौर पर पक्षी ही लाते हैं?
– हां, ये काफी हद तक ठीक है. WNV के प्रकोप स्थल प्रमुख पक्षी प्रवासी मार्गों पर पाए जाते हैं. फिलहाल ये वायरस अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है.
सवाल – क्या ये वायरस भारत में पहली बार आया है या इससे पहले भी आ चुका है?
– भारत में, डब्ल्यूएनवी के खिलाफ एंटीबॉडी पहली बार 1952 में मुंबई में मनुष्यों में पाई गई थी. तब दक्षिणी, मध्य और पश्चिमी भारत में इस वायरस गतिविधि की सूचना मिली थी. पिछले कुछ सालों में इसके संक्रमण की खबरें आईं थीं.
सवाल – वैसे इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
– मच्छरों की आबादी को कम करना, कीट प्रतिरोधी चीजों का इस्तेमाल, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और जहां मच्छर पनपते हैं वहां पानी को इकट्ठा रखने से बचाना है.
Tags: Fever, Health, Kerala, Viral FeverFIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 14:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed