Explainer: चारधाम यात्रा में 72 घंटे में 4 मौतें कैसे हाई अल्टीट्यूड जानलेवा

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है, इस यात्रा के लिए हजारों लोगों ने नामांकन करा लिया है. इस यात्रा के पहले 72 घंटों में ही 04 लोगों की हाई अल्टीट्यूड की वजह हृदय संबंधी दिक्कतों से मौत हो चुकी है. जानते हैं कि क्यों हाई अल्टीट्यूड जानलेवा बन जाता है.

Explainer: चारधाम यात्रा में 72 घंटे में 4 मौतें कैसे हाई अल्टीट्यूड जानलेवा
हाइलाइट्स हाई अल्टीट्यूड पर हवा विरल होने लगती है, जिसका असर दिल और इसकी क्षमता पर होने लगता है उत्तराखंड के चारों धाम हाई अल्टीट्यूड पर हैं और वहां हृदय से जुड़ी बीमारियों वालों के लिए जाना घातक हो सकता है चार धाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है, ये यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है. आमतौर पर लोग यहां के चार धामों की यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करते हैं. इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है. चूंकि ये यात्रा हाई अल्टीट्यूड पर ही ज्यादा होती है, लिहाजा लोगों को हृदय संबंधी दिक्कतों से भी जूझना होता है. सलाह दी जाती है कि हृदय संबंधी दिक्कतों वाले इन यात्राओं से बचें. आखिर ऊंचाई वाली जगहें क्यों दिल संबंधी बीमारियों वालों के लिए जानलेवा भी बन जाती हैं. उत्तराखंड के चारों धाम ऊंचाई वाली जगहों पर ही हैं. सभी पहाड़ों की ऊंचाई पर हैं, उनमें मौसम भी ठंडा और बर्फीला रहता है, चाहे यमुनोत्री हो या फिर बद्रीनाथ. वहां गर्मी के मौसम में भी इर्द गिर्द के पहाड़ों पर बर्फ ढंकी नजर आती है. लेकिन ऊंचाई वाली जगहें कैसे हृदय स्वास्थ्य पर असर डालती हैं. अधिक ऊंचाई पर रहना अगर उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होता है, जिनका हृदय स्वास्थ्य अच्छा होता है. लेकिन इन स्थानों की यात्रा उन लोगों के लिए चिंता का कारण हो सकती है जो मौजूदा तौर पर हृदय जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हों. सवाल – हाई अल्टीट्यूड यानि उच्च ऊंचाई किसे माना जाता है? – समुद्र तल से 6,560 फीट से नीचे का कोई भी स्थान कम ऊंचाई वाला माना जाता है. इससे ऊपर की यात्रा मध्यम ऊंचाई और उच्च ऊंचाई वाली मानी जाती है. समुद्र तल से 6,560 से 9,840 फीट के बीच वाले स्थानों को मध्यम ऊंचाई वाला माना जाता है. समुद्र तल से 9,840 फीट से ऊपर की जगहें उच्च ऊंचाई वाली होती हैं. ये वो जगहें हैं जहां आपका शरीर ऊंचाई से संबंधित महत्वपूर्ण प्रभावों का अनुभव करने लगता है. हाई अल्टीट्यूड के इलाकों में हृदय की समस्याओं से जुड़े लोगों को दिक्कत हो सकती है, क्योंकि उसके कारण हैं. (courtesy uttarakhand tourism) सवाल – भारत में हाई अल्टीट्यूड एरिया के पैरामीटर्स क्या हैं? – भारतीय सेना उच्च ऊंचाई (एचए) क्षेत्रों को 9,000 फीट (2,750 मीटर) से ऊपर के क्षेत्रों के रूप में परिभाषित करती है। इन्हें ऊंचाई के आधार पर तीन चरणों में वर्गीकृत किया गया है: स्टेज I: 9,000–12,000 फीट (2,750–3,657 मीटर) चरण II: 12,000-15,000 फीट (3,657-4,572 मीटर) चरण III: 15,000 फीट से ऊपर (4,572 मीटर) सवाल – चार धाम की यात्रा किन ऊंचाइयों से गुजरती है? – छोटा चार धाम के दर्शन के लिए 4000 मीटर से भी ज्‍यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी होती है. इसमें कहीं ज्यादा ऊंचाई वाली जगहें होती हैं तो कहीं ज्यादा ऊंचाई वाली जगहें. इसलिए ये यात्रा मुश्किल मानी जाती है. चार धाम यात्रा गढ़वाल हिमालय में ऊंचाई पर होती है, इसलिए इसे उच्च ऊंचाई वाली यात्रा कहा जाता है. चार धाम यात्रा के चार तीर्थस्थल इन ऊंचाइयों पर हैं. भारतीय सेना के हाई अल्टीट्यूड वाले पैरामीटर्स के हिसाब से भी ये सारी जगहें हाई अल्टीट्यूड एरिया हैं. यमुनोत्री: 3,291 मीटर गंगोत्री: 3,415 मीटर केदारनाथ: 3,553 मीटर बद्रीनाथ: 3,300 मीटर केदारनाथ: 11,700 फीट गंगोत्री: 10,200 फीट सवाल – हाई अल्टीट्यूड वाले इलाके आमतौर पर कैसे होते हैं? – उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आमतौर तापमान काफी ठंडा होता है. ज्यादा बारिश होती है, तेज हवाएं चलती हैं. कम वायु दबाव होता है और हवा में ऑक्सीजन का स्तर भी कम होने लगता है. इस ऊंचाई के लिए कई तरह के दिशा निर्देश दिए जाते हैं 1. धीरे-धीरे चढ़ो 2. एक दिन में कम ऊंचाई से सीधे 9,000 फीट (2,750 मीटर) से ऊपर जाने से बचें 3. एक बार 9,000 फीट (2,750 मीटर) से ऊपर सोने की ऊंचाई को प्रतिदिन 1,600 फीट (500 मीटर) से अधिक नहीं बढ़ाएं 4. प्रत्येक 3,300 फीट (1,000 मीटर) पर अनुकूलन के लिए एक अतिरिक्त दिन की योजना बनाएं. सवाल – उच्च ऊंचाई आपके शरीर को कैसे प्रभावित करती है? – जब आप अधिक ऊंचाई पर होते हैं, तो पतली हवा के कारण आपके फेफड़ों को कम ऑक्सीजन प्राप्त होती है. यह आपके फेफड़ों और हृदय पर इसलिए ज्यादा जोर बढ़ा देता है क्योंकि आपके शरीर के बाकी हिस्सों को भी लगातार ऑक्सीजन युक्त रक्त की जरूरत होती है. जिसकी मात्रा पर अशर पड़ने लगता है. इसी वजह से बहुत अधिक ऊंचाई पर बहुत से स्वस्थ लोगों को भी चक्कर आना, सिरदर्द और थकान जैसे दिक्कतें होने लगती हैं. सवाल – अगर कोई हृदय संबंधी दिक्कतों से गुजर रहा है तो इस ऊंचाई पर क्या अनुभव करता है? – यदि आप किसी हृदय संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का अनुभव करते हैं तो अधिक ऊंचाई का आपके शरीर पर और भी अधिक प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को आमतौर पर ऊंचाई वाले स्थान पर पहुंचने के तुरंत बाद हृदय गति और रक्तचाप दोनों में बढोतरी महसूस होगी. ये समस्याएं आमतौर पर रात में और ज्यादा हो जाएंगी. सवाल – अधिक ऊंचाई पर रहने से हृदय स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी होता है क्या? – इस बात के प्रमाण हैं कि अधिक ऊंचाई पर रहने से हृदय स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं. हार्वर्ड स्कूल ऑफ ग्लोबल हेल्थ के एक अध्ययन में पाया गया कि अधिक ऊंचाई पर रहने वाले व्यक्तियों में इस्केमिक हृदय रोग से मरने की संभावना कम होती है. उनकी जीवन प्रत्याशा आमतौर पर लंबी होती है. सवाल – क्या हृदय रोग से पीड़ित रोगी अधिक ऊंचाई पर यात्रा कर सकते हैं? – जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में पाया गया कि उच्च रक्तचाप या हृदय रोग वाले व्यक्तियों के लिए ऊंचाई वाले स्थानों पर जाना खतरनाक हो सकता है. अध्ययन के अनुसार, उच्च ऊंचाई वाले स्थानों (9,840 फीट और अधिक) में कठोर शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने से हृदय रोग वाले लोगों के हृदय और रक्त वाहिकाओं पर बहुत अधिक तनाव पड़ सकता है, जिससे कई तरह के लक्षण हो सकते हैं. – सांस लेने में कठिनाई – चक्कर आना – छाती में दर्द – थकान सवाल – हृदय रोगों के साथ अधिक ऊंचाई पर यात्रा करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? – हृदय रोग के साथ उच्च ऊंचाई पर पानी पीनाकुछ सामान्य सिफ़ारिशें हैं जिनका उच्च ऊंचाई वाले स्थानों की यात्रा करते समय हृदय रोग से पीड़ित सभी लोगों को पालन करना चाहिए: – अपने उच्च ऊंचाई वाले स्थान पर चढ़ने से पहले मध्यवर्ती ऊंचाई पर एक या अधिक रातें बिताकर धीरे-धीरे उच्च ऊंचाई पर अभ्यस्त हो जाएं – समुद्र तल पर आपकी आदत की तुलना में धीमी गति और कम तीव्रता से व्यायाम करें – उचित रूप से हाइड्रेटेड रहें – पूरी नींद लें – उच्च ऊंचाई पर हृदय और रक्तचाप की दवाओं को संभावित रूप से समायोजित करने की आवश्यकता के बारे में अपने हृदय रोग विशेषज्ञ से बात करें. Tags: Char Dham, Char Dham Highway Project, Char Dham Yatra, Heart DiseaseFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 09:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed