Explainer : बार-बार झटके किसी बड़े भूकंप का इशारा है या खतरा टल जाने का
Explainer : बार-बार झटके किसी बड़े भूकंप का इशारा है या खतरा टल जाने का
पिछले एक हफ्ते में देश में भूकंप के 04 झटके महसूस किए जा चुके हैं. आमतौर पर दुनियाभर में रोज 55 बार धरती हिलती है. हालांकि इन भूकंप की तीव्रता आमतौर पर ज्यादा नहीं होती लेकिन अगर भूकंप के झटके बार बार आ रहे हों तो इसे क्या मानना चाहिए. हालांकि इसको लेकर दोनों बातें कही जाती हैं.
हाइलाइट्सअमेरिका में भूकंप का अध्ययन करने वाला सेंटर कहता है हर साल 20 हजार झटके लगते हैंधरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा हैदुनियाभर में हर साल करीब 16 भूकंप ही ऐसे आते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं
चंद्रग्रहण के बाद से मुश्किल से हफ्ते भर में उत्तर भारत में भूकंप के कई झटके महसूस किए जा चुके हैं. ताजा भूकंप अमृतसर के आसपास महसूस किया गया. हालांकि इसकी तीव्रता बहुत कम थी लेकिन जिस तरह बार बार भूकंप के झटके उत्तर भारत में आ रहे हैं वो क्या किसी बड़े भूकंप का संकेत दे रहे हैं. वेसे भूकंप से केवल उत्तर भारत की ही जमीन नहीं हिली है बल्कि नार्थ ईस्ट में अरुणाचल में भी हाल में ऐसा ही हुआ है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है बड़े इलाके पर असर डाल सकता है. वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है. आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है. उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है.
हिमालय क्षेत्र में बन रही है भूगर्भीय ऊर्जा
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है. विशेषज्ञों ने कहना है कि हिमालय क्षेत्र में भूगर्भीय ऊर्जा और नए भूस्खलन जोन बन रहे हैं, जो भूकंप की आहट देते हैं.
आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है.
दुनियाभर में रोज औसतन 55 भूकंप आते हैं
भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी साइट यूएसजीएस के मुताबिक 13 नवंबर से लेकर 14 नवंबर के शुरुआती घंटों तक करीब 44 भूकंप दुनियाभर में आए. जिसमें सबसे ज्यादा तीव्रता का भूकंप 6.1 जापान के आसपास था. वैसे जापान और फिजी के आसपास के इलाकों में भूकंप खूब आते हैं.
ये अमेरिकन साइट बताती है कि दुनियाभर में रोज तकरीबन 55 भूकंप आते हैं लेकिन इनमें से ज्यादा हल्के ही होते हैं. जिनकी तीव्रता 5.0 के आसपास होती है. रोज 03 से 04 भूकंप 6 से ज्यादा तीव्रता के भी होते हैं.
कामकैट अर्थक्वेक कैटेलॉग कहता है कि हाल के बरसों में भूकंप की संख्या बढ़ी है, इसकी वजह ये भी है कि दुनियाभर में भूकंप को आंकने के संवेदनशील उपकरण बढ़ रहे हैं और वो कहीं ज्यादा समय से भूकंप को आंक रहे हैं, लिहाजा इनकी संख्या बढ़ रही है.
हर साल 20,000 झटकों की गणना होती है
अमेरिका का द नेशनल अर्थक्वेक इंफार्मेशन सेंटर पूरी दुनिया में हर साल 20,000 भूकंप की गणना कर रहा है. भूकंप के रिकॉर्ड वर्ष 1900 से अपडेट किये जा रहे हैं, वो ये बताते हैं कि हर साल दुनियाभर में औसतन 16 बड़े भूकंप आते हैं. इसमें 15 ऐसे होते हैं जो रिक्टर स्केल पर 07 तीव्रता के होते हैं तो एक 08 या उससे तीव्रता का.
पिछले 40 साल के रिकॉर्ड ये भी बताते हैं कि ज्यादा देर तक टिकने वाले भूकंप बढ़े हैं. वर्ष 2010 में 23 बड़े भूकंप आए.
जरूरी नहीं कि छोटे झटकों के बाद बड़ा भूकंप आए
अमेरिका में वर्ष 2020 में जनवरी में एक के बाद एक आए दो भूकंप के झटकों के बाद के बर्कले की भूकंप विज्ञान प्रयोगशाला (Seismology Lab) की ओर से कहा गया था, ‘इस तरह के छोटे-छोटे झटकों के आधार पर पुख्ता तौर पर ये नहीं कहा जा सकता है कि कोई बड़ा झटका आने वाला है. अब तक ऐसे छोटे-छोटे झटकों की श्रृंखलाओं के बाद किसी बड़े झटके का कोई प्रमाणिक उदाहरण नहीं मिलता है.’
छोटे झटके फॉल्ट लाइन प्रेशर से भी आते हैं
वैसे प्रयोगशाला ने ये भी कहा था कि अगर भूकंप के ये छोटे-छोटे झटके किसी फॉल्ट-लाइन प्रेशर के कारण आ रहे हैं तो ये बड़े झटके की दस्तक माने जा सकते हैं. बता दें कि पूरी धरती पर कई फॉल्ट जोन हैं. इसका मतलब है कि धरती पर कई जगह प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं. इन प्लेटों के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे खिसकने पर भूकंप आता है. भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से चार जोन में बांटा गया है. भू-वैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में रखा है यानी यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है.
भू-वैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में रखा है यानी यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है.
क्या होती है फॉल्ट लाइन
बता दें कि टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) के जुड़ने वाली जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है. प्लेट्स जहां-जहां जुड़ी होती हैं, वहां-वहां टकराव ज्यादा होता है और उन्हीं इलाकों में भूकंप ज्यादा आता है.
बर्केले की भूकंप विज्ञान प्रयोगशाला के अध्ययनों की मानें तो छोटे झटकों के बाद बड़े झटके के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. अगर ये फॉल्ट लाइन प्रेशर की वजह से हैं तो कभी भी बड़ा झटका आ सकता है और सामान्य एडजस्टमेंट की स्थिति में लंबे समय तक ऐसी कोई घटना नहीं होगी. वहीं, वैज्ञानिक एक और थ्योरी पर भी बात करते हैं. उनका मानना है कि ये छोटे झटके फॉल्ट लाइन प्रेशर को कम करने के लिए आ सकते हैं.
क्या हल्के झटके बड़े भूकंप की आशंका को खत्म करते हैं
इससे भूकंप के बड़े झटके आने की आशंका घट जाती है. हालांकि, कुछ वैज्ञानिक इसे सिर्फ भ्रम मानते हैं. अमेरिका के भू-विज्ञानी बर्गमैन के मुताबिक, हो सकता है कि ये बड़े भूकंप से पहले आने वाले छोटे झटके हों. ऐसे ही झटके बड़े झटकों के बाद भी महसूस किए जाते हैं. हालांकि, वह कहते हैं कि इस बारे कोई भी अनुमान लगाना नामुमकिन है.
हल्के झटकों के बाद हफ्तेभर के अंदर उनसे थोड़ी ज्यादा तीव्रता के भूकंप की 10 फीसदी आशंका बनी रहती है.
हल्के झटकों के बाद हफ्ते भर में भूकंप की होती है आशंका
बर्गमैन कहते हैं कि भूकंप के हल्के झटके बड़े झटके के बाद के हालात से निपटने की तैयारी कर लेने का संकेत देते हैं. हल्के झटकों के बाद हफ्तेभर के अंदर उनसे थोड़ी ज्यादा तीव्रता के भूकंप की 10 फीसदी आशंका बनी रहती है. इन छोटे झटकों से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके बाद आपको अलर्ट हो जाना चाहिए.
भूकंप आने का कारण जानने के लिए धरती की बनावट को समझना जरूरी है. धरती की बनावट को चार हिस्सों इनर कोर, आउटर कोर, मेटल और क्रस्ट में बांटा जा गया है. इसमें क्रस्ट धरती की सबसे ऊपरी परत होती है, जो आंखों से दिखाई देती है. नदियां, समंदर, पर्वत, पहाड़, पठार सब इसी क्रस्ट का हिस्सा हैं. समंदर के नीचे की जमीन भी इसी क्रस्ट का हिस्सा है.
आखिर क्यों आते हैं भारतीय उपमहाद्वीप में विनाशकारी भूकंप
प्लेट टेक्टॉनिक थ्योरी के मुताबिक, इस क्रस्ट में मौजूद प्लेट्स आपस में जुड़ी होती हैं. इन्हीं को टेक्टॉनिक प्लेट्स कहा जाता है. संख्या में ये एक दर्जन से ज्यादा हैं. टेक्टोनिक प्लेट्स हिलती-डुलती रहती हैं. अगर ये थोड़ा बहुत हिलती हैं तो किसी को पता भी नहीं चलता है, लेकिन अगर ये ज्यादा हिलती हैं तो भूकंप आता है. प्लेट्स के जुड़ने की जगह पर टकराव ज्यादा होता है और उन्हीं इलाकों में भूकंप भी ज्यादा आता है.
ये प्लेट्स आमने-सामने तो कभी ऊपर-नीचे टकराती हैं. कभी-कभी ये प्लेट्स आड़ी-तिरछी भी टकरा जाती हैं. भारतीय उपमहाद्वीप में विनाशकारी भूकंप आते रहे हैं. गुजरात के कच्छ में 2001 में आए भूकंप में हजारों लोगों की जान गई थी. भारत साल करीब 47 मिमी खिसक रहा है. टेक्टॉनिक प्लेट्स में टक्कर के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में अकसर भूकंप आते हैं. हालांकि, भूजल में कमी से टेक्टॉनिक प्लेट्स की गति धीमी हुई है.
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Tags: Earthquake, Earthquake News, Earthquakes, TremorsFIRST PUBLISHED : November 14, 2022, 16:20 IST