Gujarat Polls: बनासकांठा से आणंद तक दुग्ध उद्योग से राजनीति में बखूबी दखल दे रहीं महिलाएं

Gujarat Elections 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव का शोर चरम पर है. बता दें, हर पार्टी की नजर महिला वोटर पर जरूर होती है. क्योंकि, यहां महिलाएं दुग्ध उद्योग से लेकर राजनीति तक में बखूबी दखल देती हैं. उन्हें अपने पैसे की भी कीमत पता है और वोट की भी. खासकर, आणंद और बनासकांठा की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी भी हैं और राजनीतिक परिदृश्य को भी समझती हैं.

Gujarat Polls: बनासकांठा से आणंद तक दुग्ध उद्योग से राजनीति में बखूबी दखल दे रहीं महिलाएं
हाइलाइट्सगुजरात की महिलाएं का दुग्ध उत्पादन और राजनीति में बड़ा योगदानआणंद-बनासकांठा सहित कई जिलों की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैंदुग्ध उत्पादन से हर महीने 30 हजार के करीब कमा रहे कई परिवार आणंद. गुजरात विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भी जबरदस्त भूमिका है. खासकर, आणंद और बनासकांठा की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी भी हैं और राजनीतिक परिदृश्य को भी समझती हैं. दोनों जिलों की महिलाएं सरकारी योजनाओं के जरिये महीने में 30 हजार रुपये कमा लेती हैं. उन्होंने लोन लेकर गुजरात के दुग्ध उद्योग में भी बड़ी भूमिका निभाई है. इसके अलावा महिलाएं राजनीति को भी खूब समझती हैं. इनका कहना है कि सरकारी योजनाओं से उन्हें बहुत फायदा हुआ. यह बात बीजेपी के लिए इस चुनाव में फायदेमंद हो सकती है. ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं सविताबेन. सविताबेन का दिन सुबह 6 बजे शुरू हो जाता है. वह अपनी सास हासाबेन के साथ मिलकर 12 भैसों का दूध निकालती हैं. इस दूध का बनास डेयरी में बेचा जाता है. इससे सविताबेन के परिवार को 30 हजार रुपये महीने की आय होती है. सविताबेन गुजरात के थरड विधानसभा क्षेत्र में आने वाले लुनावा गांव में रहती हैं. वह पटवारी भी हैं और घर के काम-काज भी देखती हैं. इस काम में पशुओं का दूध निकालना, उन्हें नहलाना और उनकी देखभाल करना भी शामिल है. इस गांव में 85 फीसदी परिवार औसतन 10 से ज्यादा पशु पालते हैं. वह 40 से 50 लीटर देसी गाय का दूध बेचते भी हैं. महिलाओं का बदल गया जीवन लुनावा से करीब 300 किमी दूर आणंद जिले का विद्यानगर गांव है. यहां की महिलाओं की कहानी भी सविताबेन की तरह ही है. यहां भी महिलाएं सरकारी योजनाओं ने महिलाओं का जीवन बदल दिया है. इन महिलाओं ने सखी समूह बनाए हैं, ताकि सरकार से आर्थिक मदद लेने के लिए एक-दूसरे की सहायता कर सकें. मेहलबेन विद्यानगर में दस साल से रह रही हैं. उन्होंने बताया कि उनकी दो बेटियां सरकार से स्कॉलरशिप ले चुकी हैं. उन्होंने खुद उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर लिया. उन्होंने कहा कि मुझे कोविड-19 के समय राशन मिला. और, अब हमारे घर के नल में पानी भी आता है. इन योजनाओं का मिला लाभ इसी तरह विजूबेन का कहना है कि इस इलाके में महिलाओं के लिए सबसे जरूरी है ‘नल से जल योजना.’ यह योजना सफल रही. पहले हम सभी को एक ही नल से पानी भरना पड़ता था. इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था. लेकिन, अब पानी हमारे घर में आ रहा है. इससे हमें शांति मिली है. उज्ज्वला योजना में मिलने वाला सिलेंडर भी अच्छा है. लेकिन, कई लोगों को इसका दाम बढ़ा हुआ लगता है. ऊषाबेन सोलंकी यहां सखी मंडल चलाती हैं. उनका कहना है कि हम सभी ने मिलकर 7 लाख का लोन लिया है. उससे मैंने एक ऑटोरिक्शा खरीदा. वह मेरे पति चलाते हैं. मैं बैंक मित्र भी हूं. हमारे मंडल की कई सहेलियों ने पशुओं को पालने के लिए लोन लिया है, तो कई सहेलियों ने बेटियों की शादी के लिए लोन लिया है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Assembly Elections 2022, Gujarat ElectionsFIRST PUBLISHED : November 24, 2022, 16:04 IST