पंजाब में गरमाई धर्मांतरण की सियासत अकाल तख्त के जत्थेदार ने की कठोर कानून बनाने की मांग
पंजाब में गरमाई धर्मांतरण की सियासत अकाल तख्त के जत्थेदार ने की कठोर कानून बनाने की मांग
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई धर्म के मिशनरियों पर आरोप लगाया है कि वे विदेशी पैसे के बल पर पंजाब में गरीब सिखों और हिंदुओं का धर्मांतरण कर रहे हैं. उन्होंने धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की है.
हाइलाइट्सअकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई धर्म के मिशनरियों पर लगाया धर्मांतरण कराने का आरोप. उन्होंने धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की है. जत्थेदार का आरोप- कुछ तथाकथित ईसाई मिशनरी चमत्कारिक इलाज और कपट से सिखों का धर्म परिवर्तन कर रहे हैं.
अमृतसर.अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ईसाई धर्म में ‘जबरन धर्मांतरण’ कराने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि इस हरकत को ‘अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’ उन्होंने 5 सितंबर को आनंदपुर साहिब में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सिख समुदाय की एक सभा बुलाई है. उन्होंने कहा कि सिख समुदाय को पंजाब में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की मांग के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है. जत्थेदार ने कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है. अगर विदेशी ताकतों के समर्थन से सीमावर्ती राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन का काम हो रहा है, तो यह चिंताजनक है. जबरन धर्म परिवर्तन को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय कानून जबरन धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि कैसे ये लोग खासकर पंजाब के सीमावर्ती इलाके में बड़े पैमाने पर अभियान चला रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि ‘हमने पंजाब में कभी भी धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग नहीं की. हम इसे नहीं चाहते थे. लेकिन अब ऐसे हालात बन गए हैं कि हमें इस मांग को करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पिछले कुछ समय से कुछ तथाकथित ईसाई मिशनरी चमत्कारिक इलाज और कपट से सिखों का जबरन धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. इस तरह की प्रथाएं हालांकि ईसाई धर्म के खिलाफ हैं. पंजाब के सिखों और हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए गुमराह किया जा रहा है, और यह सरकार की नाक के नीचे हो रहा है. जबकि भारत के कानून में धर्म के नाम पर अंधविश्वासी प्रथाओं के लिए लोगों को सजा का प्रावधान है. लेकिन वोट बैंक की राजनीति के कारण कोई भी सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है.’
जत्थेदार ने कहा कि पिछले छह महीनों से कई सिखों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि मिशनरी जनता को गुमराह करके जबरन धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. सिख किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि धर्म के नाम पर धोखाधड़ी के खिलाफ हैं. हम अपने धर्म में भी चमत्कारिक इलाज जैसे पाखंड के खिलाफ हैं. बाइबल भी ऐसे लोगों की निंदा करती है. लेकिन यहां इस तरह के अंधविश्वासों का इस्तेमाल सिखों को लुभाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि गरीब सिखों और पिछड़े वर्गों के हिंदुओं को ‘विदेशी ताकतों’ से फंड लेने वाले मिशनरी निशाना बना रहे हैं.
जत्थेदार का ये बयान उस समय आया है जब चार नकाबपोश लोगों ने तरनतारन जिले में पट्टी के पास एक चर्च के परिसर में एक मूर्ति को तोड़ा था. इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस ने रविवार को अमृतसर में एक ईसाई सम्मेलन में बाधा डालने के लिए कथित रूप से 150 सिखों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. जत्थेदार ने पुलिस से एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तार किए गए निहंग को रिहा करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि देश का कानून हिंदुओं और सिखों को आरक्षण का लाभ देता है, लेकिन ईसाइयों को नहीं. लेकिन आश्चर्य की बात है कि पंजाब में ईसाई धर्म अपनाने के बाद भी आरक्षण का लाभ कैसे लिया जा रहा है. यह गंभीर चिंता का विषय है.
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इससे पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने धर्म परिवर्तन पर अकाल तख्त जत्थेदार के आरोपों का स्वत: संज्ञान लिया था. उसने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 16 जून को सिख और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई थी. जबकि पिछले साल अगस्त में एनसीएम के संयुक्त सचिव ए धनलक्ष्मी ने पंजाब के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी से संबंधित मुद्दों पर एक रिपोर्ट मांगी थी. जिसमें पिछले एक दशक में किए गए धर्मांतरण की संख्या और बनाए गए चर्चों की संख्या का हिसाब मांगा था.
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Tags: PunjabFIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 08:37 IST