फिरोजाबाद: घर में बेटी का जन्म होने के बाद माता पिता उसका पालन पोषण बड़े ही लाड प्यार से करते हैं. फिर बड़ी होने के बाद अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूमधाम के साथ करते हैं. लेकिन अगर बेटी बड़ी होने के बाद सांसारिक बंधनों से अलग हो जाए और वैराग्य धारण कर ले तो परिवार में कैसा माहौल रहेगा. फिरोजाबाद में एक युवती ने जैन धर्म के अनुसार सांसारिक बंधनों से दूर होकर सन्यास ले लिया है और अब वह दीक्षा को अंतिम रूप देने के लिए अयोध्या जा रही है. जहां वह अपने गुरुमाता से संपूर्ण दीक्षा लेगी और जीवनभर के लिए अपने परिवार से नाता तोड़ लेगी.
बचपन से लगाव
फिरोजाबाद के गांधी नगर में रहने वाली नेहा जैन जिनका नाम बदलकर श्रेया दीदी हो गया है उन्होंने लोकल 18 से बातचीत की और अपने जीवन के बारे में बताया. उन्होंने कहा की वह बचपन से ही पास ही में स्थित प्रसिद्ध जैन मंदिर में जाती थी जहां वह जैन मुनियों के प्रवचन सुनती थी, तभी से उनकी रुचि धार्मिक कार्यों में लग गई. लेकिन वह इसके साथ-साथ पढ़ाई भी करती रही. लगभग 20 साल की उम्र होने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट स्कूल से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगी.
घर से भागकर गई हस्तिनापुर
इस दौरान वह जैन मंदिर भी जाती थी लेकिन एक दिन अचानक बिना बताए वह मेरठ के पास स्थित हस्तिनापुर में एक जैन मंदिर में दीक्षा लेने के लिए गुरुमाता के पास पहुंच गई. इधर जब वह घर नहीं लौटी तो टेंशन बढ़ गई और उनको खोजने के लिए परिजन हस्तिनापुर पहुंच गए लेकिन वह वापस नहीं आई. लेकिन अब उनकी दीक्षा को पूर्ण करने के लिए फिरोजाबाद के श्री दिगंबर जैन मंदिर में गोद भराई और बिन्दौली यात्रा निकाली जा रही है. श्रेया का कहना है की उन्होंने संसार के मोह माया को त्याग दिया है और अब उनके परिजन भी सांसारिक लोगों की तरह हैं जिनसे उनका कोई निजी संबंध नहीं है और ना ही वह कभी घर लौटकर वापस आएगी.
परिजनों ने नम आंखों से की गोदभराई
नेहा जैन की चाची अनुपमा जैन ने बताया कि इनके परिवार में इनकी दो बहन और एक भाई है. यह सबसे छोटी है. बहनों की शादी हो चुकी है. वहीं इनके पिता का तीन साल पहले ही स्वर्गवास हो चुका है. नेहा जैन की बचपन से ही धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने की रुचि रहती थी. लेकिन कभी ये नही सोचा था कि यह लड़की एक दिन इतनी बड़ी प्रतिज्ञा कर लेगी और वैराग्य धारण कर लेगी. जैन धर्म में वैराग्य धारण करने वाले किसी भी व्यक्ति को रोका नहीं जाता. अगर परिजन ऐसा करते हैं तो उनको पाप लगता है इसलिए घरवालों ने रोका नहीं. लेकिन घर की बेटी है तो सपने जुड़े हुए होते हैं. एक शादी करने की जिम्मेदारी होती है.सब लोग लड़की को विदा करते हैं लेकिन नेहा ने तो अपनी जीवन को कहानी को ही बदल दिया है.चाची ने कहा की दीक्षा लेने के लिए घरवाले मंदिर में गोदभराई की रस्म को पूरा करते हैं और विदाई देते हैं. नेहा अब श्रेया दीदी बन चुकी है तो इनकी गोदभराई और यात्रा निकाली जाएगी उसके बाद ये अपनी गुरुमाता के पास अयोध्या चली जायेगी तो इनके जाने की एक तरफ खुशी भी है और एक तरफ दुख भी है.
Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 10:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed