विक्रांत की बिजली से पूरा शहर हो सकता है रौशन 55 Km/h की टॉप स्पीड13 हजार किलोमीटर रेंज

विशालकाय विक्रांत में एक समय में 1700 से अधिक सैनिक अपनी सेवाएं दे सकते हैं. विक्रांत में मौजूद थ्रोटल कंट्रोल रूम से गैस टरबाइन इंजनों को संचालित किया जा सकता है. यहां से विक्रांत करीब 88 मेगावाट की बिजली पैदा करता है जो एक बड़े शहर की बिजली जरूरतों को पूरा कर सकता है.

विक्रांत की बिजली से पूरा शहर हो सकता है रौशन 55 Km/h की टॉप स्पीड13 हजार किलोमीटर रेंज
हाइलाइट्सविक्रांत का फ्लाइट डेक लगभग 12,500 वर्गमीटर में फैला हुआ है. तुलना के लिए, यह लगभग ढाई हॉकी मैदान जितना बड़ा हैजहाज में कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच -60 आर मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर और अन्य स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर भी मौजूद रहेंगेविक्रांत पर 16 बिस्तरों वाला एक अस्पताल दो ऑपरेशन थिएटर और एक ICU मौजूद है. नई दिल्ली. पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का नौसेना में शामिल होना भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. विक्रांत का नौसेना में शामिल होना रक्षा के रणनीतिक क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस एयरक्राफ्ट कैरियर को अपना नाम अपने पुराने युद्धपोत के नाम पर ही दिया गया है जिसने 1971 के युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 45,000 टन वजनी विक्रांत में जटिल तकनीक का उपयोग कर बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी को शामिल किया गया है, इस युद्धपोत को बनाने में देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई कंपनियां शामिल हैं. विक्रांत के कमिशन होने के साथ, भारत के पास अब दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे. तो चलिए विक्रांत की कुछ खूबियों पर नजर डालते हैं. 860 फीट लंबा और लगभग 197 फीट चौड़ा यह पहला विमानवाहक पोत है जिसे भारत ने अपने दम पर डिजाइन और निर्मित किया. भारतीय नौसेना के अनुसार विक्रांत को बनाने में 23,000 टन स्टील, 2,500 किमी इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी पाइप, और 2,000 वाल्व, और कठोर पतवार वाली नावों, गैली उपकरण, एयर-कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन प्लांट और स्टीयरिंग गियर सहित तैयार उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. समुद्र को चिर कर चलने वाले शक्तिशाली विक्रांत में 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता है. वहीं यूके रॉयल नेवी की एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ लगभग 40 लड़ाकू विमान अपने साथ ले जा सकती है और अमेरिकी नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर 60 से अधिक विमानों को लेकर युद्ध के लिए जा सकते हैं. 200 बिलियन रुपयों में तैयार हुआ यह विमानवाहक पोत भारतीय जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है. विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होते ही भारत अब उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में जुड़ गया है जिनके पास स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है. शक्तिशाली विक्रांत में एक साथ 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता है. (Image: Ministry of Defense) कैसे आया नाम भारत के पास इससे पूर्व एक और विमानवाहक पोत था जिसे 1961 में ब्रिटेन से खरीदा गया था. इस विमानवाहक पोत का नाम भी विक्रांत था जिसका अर्थ साहसी होता है. प्रथम विक्रांत ने 1997 में सेवामुक्त होने से पहले 1971 के युद्ध सहित कई सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसकी चर्चा आज भी सेनाओं में की जाती है. प्रथम विक्रांत के पराक्रम से प्रभावित होकर सेना ने भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को भी यही नाम दिया है. 1700 सैनिकों की है जगह विशालकाय विक्रांत में एक समय में 1700 से अधिक सैनिक अपनी सेवाएं दे सकते हैं. विक्रांत में मौजूद थ्रोटल कंट्रोल रूम से गैस टरबाइन इंजनों को संचालित किया जा सकता है. यहां से विक्रांत करीब 88 मेगावाट की बिजली पैदा करता है जो एक बड़े शहर की बिजली जरूरतों को पूरा कर सकता है. विक्रांत के इंजीनियर के मुताबिक विक्रांत के चार इंजन एक साथ 88MW बिजली का निर्माण करते हैं जो एक शहर की आपूर्ति के लिए पर्याप्त है. सरल भाषा में विक्रांत को पानी के ऊपर तैरता हुआ एक पूरा शहर कहा जा सकता है. थ्रॉटल कंट्रोल रूम, जहां से गैस टरबाइन इंजन संचालित किए जाएंगे. (Image: Indian Navy) 16 बिस्तरों वाला अस्पताल, दो ऑपरेशन थिएटर और एक ICU है मौजूद INS विक्रांत पर सैनिकों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा गया है. इस जहाज पर 16 बिस्तरों वाला एक अस्पताल दो ऑपरेशन थिएटर और एक ICU मौजूद है. किसी भी स्थिति में घायल सैनिकों का इलाज जहाज पर ही किया जा सकेगा जिससे बार बार सैनिकों को एयरलिफ्ट या जहाज को तट पर लाने की जरुरत नहीं पड़ेंगी. समय पर इलाज मिलने पर भी सैनिकों की जिंदगियों को बचाया जा सकेगा. एक साथ 600 लोग कर सकते हैं भोजन काम के साथ सैनिकों की सुविधाओं का भी नेवी ने पूरा ध्यान रखा है. सैनिकों के भोजन करने के लिए जहाज में तीन पेंट्री मौजूद हैं, जिनमें कॉफी-वेंडिंग मशीन, मेज और बैठने के शानदार कुर्सियां फिक्स की गई हैं. इन तीनों पैंट्री की सिटींग कैपेसिटी को जोड़ लिया जाये तो विक्रांत में एक बार में 600 लोग भोजन कर सकते हैं. विशालकाय हेंगर भी है मौजूद जहाज पर ही लड़ाकू विमानों की मरम्मत के लिए एक विशालकाय हेंगर भी मौजूद है. इस हेंगर पर अभी मौजूदा समय में एक मिग -29 और एक कामोव -31 लड़ाकू विमान खड़े हैं. BBC को दिए इंटरव्यू में हेंगर के बारे में बताते हुए लेफ्टिनेंट-कमांडर विजय श्योराण ने कहा, “इसे पार्किंग की जगह की तरह ही समझें, एक टीम यहां रखरखाव और मरम्मत का काम देखती है. यहां से विशेष लिफ्ट विमान को उड़ान संचालन के लिए उड़ान डेक तक ले जाती है.” लिफ्ट का उपयोग कर लड़ाकू विमानों को डेक पर मौजूद लंबे रनवे तक ले जाया जाता है. हेंगर पर अभी मौजूदा समय में एक मिग -29 और एक कामोव -31 लड़ाकू विमान खड़े हैं. (Image: Indian Navy) विक्रांत का फ्लाइट डेक लगभग 12,500 वर्गमीटर में फैला हुआ है. तुलना के लिए, यह लगभग ढाई हॉकी मैदान जितना बड़ा है। इस जहाज में कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच -60 आर मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर और अन्य स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर भी मौजूद रहेंगे. इनमें छह एंटी सबमरीन हेलीकाप्टर होंगे जो दुश्मन की पनडुब्बियों पर पैनी नजर रखेंगे. विक्रांत पर स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर भी मौजूद रहेंगे. (Image: Indian Navy) 13 हजार किलोमीटर तक नॉन स्टॉप सफर विक्रांत एक बार किसी मिशन पर निकलने पर आसानी से 13 हजार किलोमीटर का सफर तय कर सकेगा. जहाज में ही अस्पताल, ऑपरेशन थिएटर और ICU की सुविधा होने के कारण यह बिना तट पर आये ही अपने मिशन को पूर्ण करने में लगा रहेगा. साथ ही 45 हजार टन वजनी विक्रांत 30 नोट्स या 55 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड पर समुद्र में रफ्तार भर सकेगा. यह रफ्तार विक्रांत जैसे विशालकाय एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए बेहद प्रभावशाली है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 16:44 IST