इस तरीके से करें लौकी की खेती बंपर उत्पादन के साथ होगी तगड़ कमाई

किसान रंजीत सिंह ने बताया कि पिछले 25 वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. सालोभर विशेष तरीके से सिर्फ सब्जियों की ही खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि सब्जियों में जैविक उर्वरक का ही प्रयोग करते हैं. इसके खाद और बीज पर मात्र 500 रूपए का खर्च आता है. लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाले खेत और हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त है.

इस तरीके से करें लौकी की खेती बंपर उत्पादन के साथ होगी तगड़ कमाई
फर्रुखाबाद. एक समय था जब गांव में रोजगार ना होने के चलते यहां के मेहनतकश किसानों को शहर की ओर रुख करना पड़ता था. लेकिन, अब समय बदलने के साथ ही यहां के किसान भी आधुनिक खेती करने में निपुण हो गए हैं. ऐसे समय पर ना केवल खेती-किसानी का तरीका बदला है बल्कि कम भूमि से भी किसान तगड़ी कमाई कर रहे हैं. फर्रुखाबाद के किसान आलू- धान को छोड़कर अब सब्जियों की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. खासकर लोकी की खेती किसान बड़े पैमाने परकर रहे हैं. लौकी की खेती में बेहद कम आता है लगात फर्रुखाबाद के बीबीपुर निवासी किसान रंजीत सिंह लोकल 18 को बताया कि लौकी जैसे सब्जी की फसलों को मिश्रित तरीके से उगाते हैं. नियमित अंतराल पर बीज की बुआई करते हैं. इसमें आमतौर पर 500 रूपए प्रति बीघा खर्च होता है. वहीं एक बार फसल तैयार हो जाने के बाद रोजना नगद आमदनी होने लगता है. मिश्रित सब्जियों की खेती में सबसे पहले लौकी के लत तैयार हो जाता है और हर हफ्ता तुड़ाई की जाती है. एक सीजन में लौकी से 8 से 10 बार तड़ाई होती है. उन्होंने बताया किलौकी के पैदावार से मुनाफा तो होता है, लेकिन कभी-कभी मंडी में उचित भाव नहीं मिल पाता है. जिससे लाभ कम हो पाता है. इस समय लौकी की अच्छी बिक्री हो रही है, जिससे रोजाना कमाई हो रही है. 25 वर्षो से करते आ रहे हैं सब्जी की खेती फर्रुखाबाद के बीबीपुर निवासी किसान रंजीत सिंह ने बताया कि पिछले 25 वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. सालोभर विशेष तरीके से सिर्फ सब्जियों की ही खेती करते हैं. इससे उत्पादन बेहतर होता है. बस इसमें नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करनी होती है. उन्होंने बताया कि सब्जियों में जैविक उर्वरक का ही प्रयोग करते हैं. इसके खाद और बीज पर मात्र 500 रूपए का खर्च आता है. लौकी की खेती किसी भी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है. लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाले खेत बेहतर रहता है. ताकि मृदा में कम सिंचाई के बावजूद नमी बनी रहे और गर्मी और बारिश के मौसम में जल भराव ना हो सके. इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उचित मानी जाती है. Tags: Agriculture, Farrukhabad news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 11:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed