अंग्रेजों को चकमा देकर बनाया गया था देश का यह अनोखा गणेश मंदिर
अंग्रेजों को चकमा देकर बनाया गया था देश का यह अनोखा गणेश मंदिर
Ganesha Temple With Family: इस मंदिर के मकान के रूप में बनने के पीछे की कहानी की बात की जाए तो इस मंदिर के पास उस जमाने में एक मस्जिद मौजूद थी जिस वजह से अंग्रेजों ने यहां पर मंदिर बनाने से मना कर दिया था..
रिपोर्ट- अखंड प्रताप सिंह
कानपुर: देश भर में गणेश महोत्सव की धूम है. कानपुर में भी बेहद ऐतिहासिक गणेश मंदिर मौजूद है जिसकी कहानी भी बेहद ऐतिहासिक और क्रांतिकारी है. यह मंदिर अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति का भी गवाह है और इस मंदिर का भूमि पूजन बाल गंगाधर तिलक ने 1918 में किया था. तब से ही इस मंदिर की नींव रखी गई थी. जानिए क्या है कानपुर के इस गणेश मंदिर की खासियत और कहानी.
मकान के रूप में बना है मंदिर
यह मंदिर एक मकान के रूप में बना हुआ है और झारखंड में यह मंदिर बना हुआ है. यहां अलग-अलग खंड में अलग-अलग भगवान गणेश की मूर्ति भगवान गणेश के परिवार के साथ की मूर्तियां और भगवान गणेश के नौ रूपों की मूर्तियां स्थापित हैं. इस मंदिर के मकान के रूप में बनने के पीछे की कहानी की बात की जाए तो इस मंदिर के पास उस जमाने में एक मस्जिद मौजूद थी जिस वजह से अंग्रेजों ने यहां पर मंदिर बनाने से मना कर दिया था. बाद में छिपाकर इस मंदिर को एक मकान के रूप में बनाया गया और देखते देखते यह मंदिर बन गया और फिर यहां पर लोगों का पूजा पाठ शुरू हो गया.
बाल गंगाधर तिलक ने किया था भूमि पूजन
कानपुर शहर के घंटाघर में स्थित या गणेश मंदिर दूर से ही यहां पर विशाल गणेश जी की मूर्ति मकान नुमा मंदिर में बाहर लगी हुई है जो अपने आप में बेहद अलग दिखती है. इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1918 में शुरू हुआ था. बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर की नींव रखी थी इस मंदिर का निर्माण लाल रामचरण और लाल ठाकुर प्रसाद ने कराया था. 1908 में बाल गंगाधर तिलक के सामने उन्होंने मंदिर निर्माण की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद जब वर्ष 1918 में बाल गंगाधर तिलक कानपुर आए थे तब उन्होंने इस मंदिर का भूमि पूजन किया था और इस मंदिर के बनने की कहानी भी तब से शुरू हुई थी.
गणेश महोत्सव के दौरान इस मंदिर पर दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. यह देश का ऐसा इकलौता मंदिर है जहां पर गणेश भगवान अपने पुत्र शुभ-लाभ और परिवार रिद्धि-सिद्धि के साथ मौजूद हैं. इसके साथ ही भगवान गणेश की 10 सिर वाली मूर्ति भी इस मंदिर पर मौजूद है.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 11:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed