धान की रोपाई के बाद इन कीटों के लगने का बढ़ जाता है खतरा ऐसे करें बचाव

कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी  बताते हैं कि धान की फसल खरीफ के सीजन की मुख्य फसल होती है. लेकिन इसमें प्रमुख रूप से 6 प्रकार के कीट एवं 6 प्रकार के रोग लगते हैं.

धान की रोपाई के बाद इन कीटों के लगने का बढ़ जाता है खतरा ऐसे करें बचाव
सौरभ वर्मा/ रायबरेली: मानसून की बारिश शुरू होने के साथ ही किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है.क्योंकि खरीफ के सीजन में होने वाली यह फसल किसानों के लिए मुनाफे की खेती होती है. परंतु धान की फसल में रोग एवं कीट लगने का खतरा ज्यादा बना रहता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि हम उन्हें धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं कीट से बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं. जिससे किसान अपनी फसल का बचाव कर सकें. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग, कीट एवं उससे बचाव के क्या उपाय हैं. कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी  बताते हैं कि धान की फसल खरीफ के सीजन की मुख्य फसल होती है. लेकिन इसमें प्रमुख रूप से 6 प्रकार के कीट एवं 6 प्रकार के रोग लगते हैं. ये हैं प्रमुख कीट एवं रोग  पत्ती लपेटक : यह कीट की झिल्ली हरे रंग की होती है, जो अपने थूक से पट्टी के किनारों को आपस में जोड़ देता है. जिससे पत्तियां सूख जाती हैं. तना छेदक : यह कीट पौधों पर अपना प्रभाव जमाता है. एवं केंद्रीय भाग में पहुंचकर पौधे को नुकसान पहुंचता है. भूरा भुदका : ब्राउन प्लांट हाइपर कीट पौधों के कणों के बीच में जमीन की ऊपरी सतह पर पाए जाते हैं, जो पौधे को चूस कर सुखा देता है. गंधी बग कीट: यह धान के पौधे के बाली निकलने की अवस्था में लगता है, जो फसल के दाने का रस चूस लेता है. जिससे दाने सूख जाते हैं. हरा फुदका कीट : यह पौधे की पत्तियों पर पाया जाता है, जो पत्तियों के रस को चूस लेता है. जिससे पौधे की पत्तियां सूख जाती हैं, यह हरे रंग का कीट होता है. धान का टिड्डा कीट : यह पौधे की पत्तियां एवं तने को कुतर देता है. जिससे पौधा सूखने लगता है. ये हैं बचाव के तरीका  LOCAL 18 से बात करते हुए एडीओ एजी दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि धान की फसल में लगने वाले कीट से बचाव के तरीके कुछ इस प्रकार हैं. * खेत के मेड से खरपतवारों को निकाल देना चाहिए. *अनावश्यक नाइट्रोजन के प्रयोग से बचना चाहिए. * पत्ती लपेटा कीट के नियंत्रण के लिए ट्राइजोफास 40 ई सी 1 ली.प्रति हेक्टेयर की दर से या फिर लुबेंडीयामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी 125-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. * तना छेदक कीट नियंत्रण के लिए कॉर्बोयूरान 3जी या कार टॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव करना चाहिए . * धान का टिड्डा कीट नियंत्रण के लिए क्लोरपायरिफास 20 ई सी 1250 मिली प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव करें. * हर फुदका, भूरा फुदका, गंधी बग एवं गंगई कीट नियंत्रण के लिए मिथाइल डेमेटोन 25 ई सी 1000 मिली प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव करके अपनी फसल का बचाव कर सकते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 16:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed