श्रीराम के गुरु वशिष्ठ ऋषि करते थे इस शिवलिंग की पूजा अनोखी हैं मान्यताएं
श्रीराम के गुरु वशिष्ठ ऋषि करते थे इस शिवलिंग की पूजा अनोखी हैं मान्यताएं
Baba Bhadeshwar Nath Mandir Basti: मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह शिवलिंग भादेश्वर नाथ गांव के घने जंगल में एक दिव्य ज्योति के साथ स्वतः प्रकट हुआ था. शिवधनुषाकार नदी के बीच स्थित यह पवित्र शिवलिंग शिव पुराण के 18वें अध्याय के दूसरे दोहे में वर्णित है. यह शिवलिंग द्वापर युग में लगभग 7000 वर्ष पूर्व प्रकट हुआ था, और पहले यहाँ एक बंदरगाह हुआ करता था.
बस्ती: मंडल मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर कुआनो नदी के तट पर स्थित बाबा भदेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर की भव्यता अद्वितीय है, और यहाँ साल भर शिवभक्तों का आना-जाना लगा रहता है. विशेषकर सोमवार और सावन के महीने में यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाने और अपनी मुरादें पूरी करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से माँगी गई हर मनोकामना यहाँ पूरी होती है. इस मंदिर के शिवलिंग से जुड़ी कई रोचक मान्यताएं भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि शिवलिंग को भक्त अपने दोनों बांहों से घेर कर नहीं पकड़ सकता.
इस मंदिर से जुड़ी अनेक लोक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि बाबा भदेश्वरनाथ शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण हर रोज कैलाश जाकर भगवान शिव की पूजा करता था और वहाँ से एक शिवलिंग लेकर वापस लौटा था. माना जाता है कि इसी दौरान रावण यह शिवलिंग भी कैलाश से लाया था. दूसरी मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में द्यूतक्रीड़ा में हारने के बाद अज्ञातवास के दौरान राजा युधिष्ठिर ने यहां शिवलिंग की स्थापना की और पूजा की थी.
ब्रिटिश शासन के समय की दिलचस्प घटना
ब्रिटिश शासन के दौरान भी इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प घटना प्रचलित है. जब देश पर अंग्रेजों का शासन था, तब ब्रिटिश सेना ने मंदिर और इसके आसपास के क्षेत्र पर कब्जा करने का प्रयास किया था. लेकिन दैवीय प्रकोप के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा, और मंदिर का क्षेत्र सुरक्षित रह गया.
7000 वर्ष पहले प्रकट हुआ था ये शिवलिंग
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह शिवलिंग भादेश्वर नाथ गांव के घने जंगल में एक दिव्य ज्योति के साथ स्वतः प्रकट हुआ था. शिवधनुषाकार नदी के बीच स्थित यह पवित्र शिवलिंग शिव पुराण के 18वें अध्याय के दूसरे दोहे में वर्णित है. यह शिवलिंग द्वापर युग में लगभग 7000 वर्ष पूर्व प्रकट हुआ था, और पहले यहाँ एक बंदरगाह हुआ करता था.
श्री राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि करते थे इस शिवलिंग की पूजा
पुजारी ने यह भी बताया कि एक रात यहाँ के लोगों ने दिव्य ज्योति का प्रकाश देखा और उत्सुकता में उस स्थान पर खुदाई शुरू कर दी. खुदाई के दौरान जहरीली मधुमक्खियाँ, साँप, और बिच्छू निकलने लगे, जिससे लोग भाग खड़े हुए. भागने के दौरान कुछ लोग पास के हत्तीयारवा नाले के पास जाकर मारे गए. इसके अलावा, जो बैलगाड़ी खुदाई स्थल पर लाई गई थी, उसका पहिया धंस गया और जो व्यक्ति उसे चला रहा था, उसका सिर कट कर जमीन पर गिर गया और वह पत्थर में परिवर्तित हो गया. पुजारी ने आगे बताया कि इस शिवलिंग की पूजा भगवान श्री राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि द्वारा की जाती थी.
Tags: Basti news, Dharma Culture, Local18FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 12:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed