इटावा. भव्य गणेश महोत्सव की शुरुआत 7 सितंबर से पूरे हर्षोल्लास के साथ हो गई है. इस महोत्सव की जड़ें करीब 50 साल पहले मुंबई से इटावा आए मराठा व्यापारियों द्वारा डाली गई थीं, जिन्होंने शहर में पहली बार गणेश महोत्सव मनाया. आज यह महोत्सव न केवल शहर में बल्कि गांव-गांव तक बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है.
गणेश महोत्सव को लेकर भक्तों ने अपने घरों में गणेश जी की स्थापना कर दी है. बाजारों में भगवान गणेश की छोटी से लेकर आदमकद प्रतिमाएं उपलब्ध हैं, और लोग अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें खरीदकर घर ला रहे हैं. यह 11 दिवसीय महोत्सव भक्ति और उल्लास का प्रतीक बन चुका है, जिसमें लोग धूमधाम से गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं.
राजस्थान से आए मूर्ति कारीगरों का योगदान
गणेश महोत्सव के दौरान इटावा में राजस्थान से आए कारीगरों की बनीं सुंदर मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. कारीगर भैरू बताते हैं कि वे कई सालों से यहां आकर मूर्तियों की बिक्री कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा रोजगार मिलता है. भैरू अपने परिवार के साथ समय से पहले इटावा आ जाते हैं ताकि वे गणेश महोत्सव के लिए मूर्तियों की बिक्री कर सकें, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है.
भक्तों का उत्साह
मूर्ति खरीदने वाली श्रीमती नीलेश भदौरिया ने बताया कि उनका परिवार कई सालों से अपने घर में गणेश जी की स्थापना करता आ रहा है. इससे उन्हें सुख और शांति की अनुभूति होती है, और पूरे गणेश महोत्सव के दौरान घर का माहौल बहुत ही सकारात्मक और उत्साहपूर्ण रहता है.
मराठा समाज की भूमिका
इटावा में गणेश महोत्सव की शुरुआत मराठा समाज द्वारा की गई थी, जो अब पांच दशकों से इसे उत्साहपूर्वक मना रहा है. कुर्मी मराठा समाज के डॉ. श्रीकांत वर्मा, जो इस आयोजन के संयोजक हैं, ने बताया कि इटावा में गणेश महोत्सव की शुरुआत मराठा कारोबारियों ने की थी. तब से लेकर आज तक यह उत्सव निरंतर जारी है और हर साल इसका विस्तार होता जा रहा है. गणेश महोत्सव के पंडालों में गणेश जन्म के साथ दोपहर 12 बजे से उत्सव की विधिवत शुरुआत हो गई है, जो 11 दिनों तक चलेगा.
Tags: Ganesh Chaturthi, Local18FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 14:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed