भिंडी में लगने वाले ये 4 रोग फसल कर देंगे बर्बादपत्तियां जाएंगी सूख!
भिंडी में लगने वाले ये 4 रोग फसल कर देंगे बर्बादपत्तियां जाएंगी सूख!
कृषि विज्ञान नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल किसानों को कम दिनों में अच्छी आमदनी देती है. लेकिन भिंडी में कई तरह के रोग लगते हैं. जिनका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: गेहूं की कटाई के बाद किसान अतिरिक्त आमदनी लेने के लिए सब्जियों की खेती करते हैं. इन दिनों किसान खीरा, ककड़ी, तोरई, लौकी, बैंगन और भिंडी की सब्जी उगाते हैं. लेकिन गर्मियों में अचानक बढ़ते तापमान से सब्जियों में कई तरह के रोग लगते हैं. खासकर अगर भिंडी की बात करें तो इसमें पीला मोजैक, चूर्णिल फफूंद रोग, फल छेदक और कटुआ कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं. जिसका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. अगर इन कीड़ों के नियंत्रण में जरा भी देरी हो जाए तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है.
कृषि विज्ञान नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल किसानों को कम दिनों में अच्छी आमदनी देती है. लेकिन भिंडी में कई तरह के रोग लगते हैं. जिनका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. अगर किसान भिंडी में रोग नियंत्रण बेहतर तरीके से कर लेते हैं तो उनको अच्छी आमदनी मिलती है.
पीला मोजैक रोग का करें नियंत्रण
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी में लगने वाला पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी से फैलता है. जिसकी वजह से पत्तियों की शिराएं पीली हो जाती हैं. धीरे-धीरे फल सहित पूरा पौधा पीला हो जाता है. इस रोग के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 2ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर कर छिड़काव कर दें. 15 दिन के अंतराल पर दोबारा से थाइमेट 2 ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. रोग नियंत्रण हो जाएगा.
पत्तियों पर असर दिखाता है ये कीट
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि चूर्णिल फफूंद रोग जो कि सूखे की मौसम में पत्तियों पर असर करता है. इस रोग के आने के बाद पत्तियों पर सफेद रंग की आटे की तरह एक परत आ जाती है. उसके बाद भिंडी के फल टेढ़े-मेढ़े बनने लगते हैं. पत्तियां धीरे-धीरे गिरने लगती हैं. इस रोग का नियंत्रण करने के लिए सल्फर पाउडर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें या 6ml कैराथीन प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. ऐसा करने से रोग नियंत्रित हो जाएगा.
भिंडी की फसल में कब करें दवा का छिड़काव
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि फल छेदक कीट भिंडी की फसल को बहुत तेजी के साथ नुकसान करता है. यह कीट फल के अंदर घुसकर उसमें अंडे देता है. तेजी से संख्या बढ़ता है. डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी की फसल में जब 5 से 10% फूल निकल जाते हैं. उसी समय 1 ग्राम थियामेथोक्सम प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. रोग नियंत्रित हो जाएगा. 15 दिनों के बाद इमिडाक्लोप्रिड या क्युनालफॉस का छिड़काव करने से भी रोग पर नियंत्रण बना रहेगा.
पेड़ के तने को काटता है ये कीट
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि भिंडी में लगने वाला कटुआ कीट बेहद तेजी के साथ नुकसान करता है. यह पौधे के तने को काटता है. जिसके बाद पौधा नीचे गिर जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इसका नियंत्रण करने के लिए मिट्टी में मिलाने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. डॉक्टर नूतन वर्मा ने बताया कि थाइमेट-1 जी और कार्बोफ्यूरान 3जी 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में मिला दें. जिससे कटुवा कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है.
कीटनाशक छिड़काव के 5 दिन बाद करें कटाई
पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ नूतन वर्मा ने कहा कि इन सभी कीटनाशकों का छिड़काव के बाद हार्वेस्टिंग के दौरान एहतियात बरतने की जरूरत है. कीटनाशक छिड़काव करने से 5 दिन के बाद की भिंडी की कटाई करें ताकि तब तक दवा का असर कम हो जाए अन्यथा यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 4, 2024, 21:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed