इस जांबाज के इशारे से धर्राया दुश्‍मन साफ हुआ तोलोलिंग से नॉब तक का रास्‍ता

41वीं फील्‍ड आर्टिलरी ब्रिगेड के मेजर अमरिंदर सिंह कसाना के जिक्र के बिना कारगिल युद्ध की कहानी अधूरी है. बैटरी कमांडर की भूमिका में तैनात मेजर अमरिंदर सिंह कसाना ने भारतीय फौज के लिए दुश्‍मन तक पहुंचने का रास्‍ता साफ किया था. मेजर अमरिंदर सिंह कसाना की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें आगे...

इस जांबाज के इशारे से धर्राया दुश्‍मन साफ हुआ तोलोलिंग से नॉब तक का रास्‍ता
Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल युद्ध की कहानी मेजर अमरिंदर सिंह कसाना के जिक्र के बिना अधूरी है. 41वीं फील्‍ड आर्टिलरी ब्रिगेड के मेजर अमरिंदर सिंह कसाना वही जांबाज हैं, जिन्‍होंने भारतीय फौज के लिए तोलोलिंग, हंप, रॉकी नॉब और प्‍वाइंट 5140 पर रास्‍ता साफ किया. दरअसल, दुश्मन की सीधी निगाह के बीच भारतीय फौज के लिए 70 से 90 डिग्री की सीधी चढ़ाई कर पाना संभव नहीं था. ऐसे में मेजर अमरिंदर सिंह कसाना ने आर्टलरी की सटीक फायरिंग के जरिए 2 राजपूताना राइफल्‍स, 18 ग्रिनेडियर्स और 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स के लिए तोलोलिंग, हंप, रॉकी नॉब और प्‍वाइंट 5140 तक पहुंचने का रास्‍ता साफ किया. मेजर अमरिंदर सिंह कसाना के नेतृत्‍व में इतनी सटीक आर्टिलरी फायरिंग की गई कि दुश्‍मन को सिर उठाने का मौका नहीं मिला और इसी मौके का फायदा उठाकर भारतीय जांबाज दुश्‍मन के करीब तक पहुंचने में कामयाब हो गए. साथ ही, एक के एक पीक पर भारतीय पताका फहराते चले गए. यह भी पढ़ें: भारतीय सेना की तोलोलिंग में मना रही थी जीत का जश्‍न, अचानक… एक झटके में जाने वाली थी सबकी जान, लेकिन तभी… भारतीय जांबाजों ने तोलोलिंग की पीक पर तो सफलतापूर्वक कब्‍जा कर लिया था, लेकिन उनके लिए वहां एक नई मुसीबत इंतजार कर रही थी. इस मुसीबत के बीच एक जवान ने जैसे ही अपनी प्‍यास बुझाने के लिए बर्फ का गोला उठाया, तभी … क्‍या थी जवानों के सामने मुसीबत और बर्फ का गोला उठाने के बाद क्‍या हुआ… जानने के लिए क्लिक करें. कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के सामने सबसे पहले बड़ी चुनौती तोलोलिंग की चोटियों पर जीत हासिल करना था. 70 डिग्री की सीधी चढ़ाई के बीच रास्‍ते में कोई ऐसा अवरोध नहीं था, जिसकी ओट लेकर 2 राजपूताना राइफल्‍स आगे बढ़ सके. वहीं दुश्‍मन की सीधी‍ निगाह के बीच तोलोलिंग की चोटिंयों की तरफ बढ़ना खुदकुशी जैसा ही था. ऐसी परिस्थितियों में 41वीं फील्‍ड आर्टिलरी ब्रिगेड में बैटरी कमांडर तैनात मेजर अमरिंदर सिंह कसाना ने अपनी आर्टलरी गनों से दुश्‍मन पर सीधा निशाना लगाना शुरू किया. मेजर अमरिंदर की सीधी और सटीक फायरिंग के चलते दुश्‍मन सिर छुकाने के लिए मजबूर हो गया. इसी बीच,2 राजपूताना राइफल्‍स के शूरवीर दुश्‍मन के करीब तक पहुंच गए और उनके ठिकानों पर तबाही मचा दी. एक तरफ, मेजर अमरिंदर की आर्टिलरी फायरिंग और दूसरी तरह 2 राजपूताना राइफल्‍स के राइफल्‍स से निकलती गोलियों ने तोलोलिंग की चोटी को दुश्‍मन की लाशों से पाट दिया. मेजर अमरिंदर की आर्टिलरी गनों की मदद से जीत का सिलसिला सिर्फ तोलोलिंग तक नहीं था. यह भी पढ़ें: 300 किमी की पीक्‍स पर किया कब्‍जा, इंटेलिजेंस एजेंसियों को नहीं लगने दी भनक, जानें पाक आर्मी कैसे कर पाई यह संभव… जब भी कारगिल युद्ध की बात होती है तो इंटेलिजेंस एजेंसीज की विफलता के आरोप एक बार फिर आ खड़े होते हैं. ऐसे में, सवाल यह है कि आखिर पाकिस्‍तानी सेना ने अपने प्‍लान को ऐसे कैसे एग्‍जिक्‍यूट किया कि दुनिया में किसी को खबर नहीं लगी. पाकिस्‍तानी का क्‍या था सीक्रेट प्‍लान, जानने के लिए क्लिक करें. मेजर अमरिंदर आर्टलरी गनों ने पहले 12/l3 जून की रात तोलोलिंग में कहर बरपाया, फिर 13/l4 जून की रात हंप में, l6/17 जून की रात रॉकी नॉब में और 19/20 जून की रात प्वाइंट 5140 पर बम बारी कर दुश्‍मन के ठिकानों को तबाह कर दिया. कारगिल युद्ध में मेजर अमरिंदर सिंह कसाना ने असाधारण वीरता और अद्भुत युद्ध कौशल को देखते हुए ‘वीर चक्र’ से सम्‍मानित किया गया था. Tags: Indian army, Indian Army Heroes, Indian Army Pride, Kargil day, Kargil war, Know your ArmyFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 16:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed