मथुरा: श्रीकृष्ण की लीलाओं से समृद्ध बृजभूमि आज भी कान्हा की कहानियों को जीवंत करती है. यहां कदम-कदम पर श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी अनमोल धरोहरें और पौराणिक स्थलों के दर्शन होते हैं. ऐसी ही एक धरोहर मथुरा में स्थित एक प्राचीन कुआं है, जिसे “बुलाकी बाबा का कुआं” कहा जाता है. इस कुएं के जल को चमत्कारी माना जाता है, जो विभिन्न बीमारियों को दूर करने में सक्षम है. यह कुआं हजारों सालों से यहां मौजूद है और आस्था का केंद्र बना हुआ है.
मथुरा शहर में स्थित इस प्राचीन कुएं को बाबा बुलाकी के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार, यह कुआं लगभग 4000 से 5000 साल पुराना है. कंकाली मंदिर के सेवायत पुजारी चंद्रशेखर पंडित बताते हैं कि इस कुएं के जल में अद्भुत और दिव्य शक्तियां थीं, जो जल को ग्रहण करने से सभी बीमारियों को दूर कर देती थीं. मथुरा और आसपास के क्षेत्रों से लोग यहां आकर जल ग्रहण करते थे और अपने साथ ले जाते थे.
“कुएं वाले” का मेला
कुएं की प्राचीनता को बनाए रखने के लिए हाल ही में इसे पुनः जीवित किया गया है. हर साल आषाढ़ के महीने में यहां “कुएं वाले” का मेला लगता है, जिसमें ब्रज क्षेत्र के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. यह मेला इतना विशाल होता है कि हजारों की संख्या में लोग इस प्राचीन कुएं के दर्शन और जल ग्रहण करने के लिए जुटते हैं.
कई बीमारियों का इलाज
कंकाली टीले के पास स्थित इस कुएं के जल से कई प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं. कहा जाता है कि इस जल से चर्म रोग, बुखार, दाद, खाज, खुजली, और पथरी जैसी गंभीर बीमारियां खत्म हो जाती हैं. बाबा बुलाकी के नाम से प्रसिद्ध इस कुएं का जल विशेष रूप से पथरी के इलाज में उपयोगी माना जाता है.
बीमारी ठीक होने का दावा
सदियों से लोग इस कुएं के जल को ग्रहण कर अपने साथ ले जाते रहे हैं, और यह मान्यता है कि इसका सेवन करने से पथरी जैसी घातक बीमारियां ठीक हो जाती हैं. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस मेले में भाग लेने के लिए आते हैं और इस चमत्कारी जल का लाभ उठाते हैं.
बुलाकी बाबा का इतिहास
किंवदंतियों के अनुसार, बाबा जाहरवीर के नाजायज बेटे बुलाकी महाराज को इस कुएं से जुड़ा माना जाता है. कहा जाता है कि बुलाकी महाराज को इस कुएं में फेंक दिया गया था, लेकिन उनकी दिव्य शक्तियों के कारण यह कुआं आज भी आस्था का प्रतीक बना हुआ है. मथुरा के इस पौराणिक कुएं के प्रति लोगों की आस्था अटूट है और यह कुआं सदियों से ब्रजभूमि की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बना हुआ है.
Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 09:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed