जिस पूजा स्थल एक्ट पर बयान देकर घिरे थे पूर्व CJI चंद्रचूड़ अब दिया जवाब
जिस पूजा स्थल एक्ट पर बयान देकर घिरे थे पूर्व CJI चंद्रचूड़ अब दिया जवाब
DY Chandrachud News: सीजेआई रहते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि वॉरशिप एक्ट में किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाया जा सकता है.
नई दिल्ली. पूजा एक्ट पर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है. इसकी वजह है देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई चंद्रचूड़ का वह बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि वॉरशिप एक्ट के अंतर्गत किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने पर प्रतिबंध नहीं है. लगभग दो साल पहले वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद से से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी की थी. उनके इस फैसले के बाद से ही देश में संभल सहित कई स्थानों पर मस्जिदों के सर्वे की मांग उठने लगी और देखते ही देखते अदालतों में ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ गई. विपक्ष सहित कई लोग चंद्रचूड़ के उस बयान की आलोचना कर रहे हैं और अब पूर्व सीजेआई ने इसी पर अपनी चुप्पी तोड़ी है.
उन्होंने एक कार्यक्रम में हालिया मस्जिद विवाद के बीच पूजा स्थल अधिनियम (वॉरशिप एक्ट) और इससे जुड़े बहस को लेकर अपनी बात रखी. जब डीवाई चंद्रचूड़ से ‘टाइम्स नाऊ’ के एक ईवेंट में पूजा स्थल अधिनियम (प्लेस ऑफ वॉरशिप एक्ट) पर उनके विचार पूछे गए, तो उन्होंने कहा, “मैं अपने सहयोगियों के बारे में पहले से कोई राय नहीं देना चाहूंगा, जिनका मैं सम्मान करता हूं. मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि वे क्या कर रहे हैं या कैसे कर रहे हैं. आइए इंतजार करें कि वे अंतिम निर्णय लें. उन्होंने एक अंतरिम आदेश पारित किया है और मामला चार सप्ताह बाद आएगा, सुप्रीम कोर्ट को संविधान के हित में निर्णय लेने के लिए अपना मौका मिलना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट ने ‘वॉरशिप एक्ट’ को लेकर क्या कहा?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए अगले आदेश तक देश की सभी अदालतों को 1991 के कानून के तहत उपासना स्थलों के सर्वेक्षण समेत राहत दिए जाने के अनुरोध संबंधी किसी भी मुकदमे पर विचार करने और कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह निर्देश उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से संबंधित याचिकाओं और प्रतिवाद याचिकाओं पर दिया.
इस संबंधित कानून के अनुसार 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान उपासना स्थलों का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा, जैसा वह उस दिन था. यह किसी धार्मिक स्थल पर फिर से दावा करने या उसके स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दायर करने पर रोक लगाता है. पीठ ने कहा कि उसके अगले आदेश तक कोई नया वाद दायर या पंजीकृत नहीं किया जाएगा और लंबित मामलों में, अदालतें उसके अगले आदेश तक कोई ‘प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश’ पारित नहीं करेंगी. इसने कहा, “हम 1991 के अधिनियम की शक्तियों, स्वरूप और दायरे की पड़ताल कर रहे हैं.” पीठ ने अन्य सभी अदालतों से इस मामले में दूर रहने को कहा.
Tags: Ayodhya Mandir, Ayodhya ram mandir, Babri demolition, DY ChandrachudFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 20:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed