भेड़ियों के साथ जंगल में पला बच्चा मोगली-सा किरदार फिर शिकारियों की पड़ी नजर

Dina Sanichar Mowgli Life: बच्चे को आगरा के एक अनाथालय में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी देखभाल करने वालों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि बच्चे को ना तो इंसानी भाषा आती थी और ना ही उसका कोई नाम था. इसके बाद ही अनाथालय में बच्चे को दीना सनीचर का नाम दिया गया. इसके पीछे की वजह यह थी कि उसे शनिवार को ही अनाथालय में लाया गया था.

भेड़ियों के साथ जंगल में पला बच्चा मोगली-सा किरदार फिर शिकारियों की पड़ी नजर
नई दिल्ली. जंगल की गहराइयों में एक ऐसी कहानी मौजूद है जिसने पीढ़ियों से लोगों की कल्पना को खुद में समेट कर रखा हुआ है. यह इंडियन वुल्फ बॉय के नाम से मशहूर दीना सनीचर की कहानी है. गुमनामी में जन्मी और रहस्य में डूबी, दीना सनीचर की किंवदंती इतिहास के सबसे दिलचस्प और रहस्यमयी किस्सों में से एक है. स्थानीय किंवदंती के मुताबिक, उसे जंगल के बीचोबीच भेड़ियों के झुंड के साथ एक गुफा में रहते हुए पाया गया था. दीना सनीचर को बचपन से ही भेड़ियों ने पाला था, उन्होंने उनके तौर-तरीके सीखे और उनके व्यवहार को ही अपना लिया था. इन जंगली जानवरों के बीच उनके पालन-पोषण ने लोगों को हैरान कर दिया है. बात करने में असमर्थ और इंसान की तुलना में किसी जंगली जानवर के समान व्यवहार करने में, दीना शनिचर ने उन भेड़ियों के तरीकों को पूरी तरह से अपना लिया था, जिनके साथ वह रहता था. चाहे वह जंगल में गूंजने वाली उसकी भयावह चीखें हों या अपने माहौल के लिए उसका रिएक्शन… दीना सनीचर के व्यवहार ने उन लोगों के मन में कोई संदेह नहीं छोड़ा जिन्हें वह जंगल में मिला था. अंग्रेजी राइटर रुडयार्ड किपलिंग की किताब ‘द जंगल बुक’ के कैरेक्टर मोगली से भी दीना सनीचर की तुलना की जाती है. बताया जाता है कि 1800 के दशक में जन्मे दीना सनीचर को अंग्रेज शिकारियों ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 1867 में पकड़ा था. शिकारियों की नजर जैसे ही लड़के पर पड़ी, वो उसे पकड़ने की कोशिश में जुट गए. भेड़ियों की तरह ही दोनों हाथ और पैरों के सहारे चल रहे लड़के का पीछा करते हुए वे एक भेड़िए की गुफा में घुस गए. उनलोगों ने उस गुफा में आग लगा दी, जिसके बाद लड़का और उसके अंदर बैठा भेड़िया दोनों ही बाहर गए. जैसे भेड़िया गुफा से बाहर आया, शिकारियों ने उसे गोली मार दी और बच्चे को पकड़कर उसे आम इंसानों के बीच लाने की योजना बनाई गई, जो कभी कामयाब नहीं हो पाया. बच्चे को आगरा के एक अनाथालय में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी देखभाल करने वालों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि बच्चे को ना तो इंसानी भाषा आती थी और ना ही उसका कोई नाम था. इसके बाद ही अनाथालय में बच्चे को दीना सनीचर का नाम दिया गया. इसके पीछे की वजह यह थी कि उसे शनिवार को ही अनाथालय में लाया गया था. बच्चे को लिखना-बोलना सिखाया गया पर वो नहीं सीख पाया. वो सिर्फ जानवरों की तरह ही आवाजें निकालता था. वह पका हुआ खाना भी नहीं खाना चाहता था, क्योंकि उसने हमेशा ही जंगल में जानवरों के बीच कच्चा मांस खाया था. Tags: ForestFIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 19:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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