145 साल पुरानी धरोहर पर खतरा! दार्जिलिंग टॉय ट्रेन खो देगी UNESCO का दर्जा

Darjeeling Toy Train: दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन सेवा लंबे समय से बंद है, जिससे इसका यूनेस्को धरोहर दर्जा खतरे में है. प्राकृतिक आपदाओं के कारण ट्रैक क्षतिग्रस्त है, लेकिन नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे इसे जल्द से जल्द बहाल करने का प्रयास कर रहा है.

145 साल पुरानी धरोहर पर खतरा! दार्जिलिंग टॉय ट्रेन खो देगी UNESCO का दर्जा
दार्जिलिंग: सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग तक की टॉय ट्रेन सेवा कब पूरी तरह से फिर से चालू होगी, यह सवाल पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच गहराता जा रहा है. अभी केवल “जॉय राइड” के तौर पर टॉय ट्रेन का कुछ हिस्सा संचालित हो रहा है, लेकिन पूरी सेवा अब तक बहाल नहीं हुई है. अगर टॉय ट्रेन लंबे समय तक नहीं चलती, तो दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के लिए अपना यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा खोने का खतरा बन सकता है. नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द इस मार्ग पर टॉय ट्रेन सेवा फिर से शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं और विरासत तकमा की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. पूजा सीजन में रिकॉर्ड यात्रियों की संख्या 25 अक्टूबर से 4 नवंबर तक चले पूजा सीजन के दौरान जॉय राइड सेवा का लाभ 5,744 यात्रियों ने उठाया. इन यात्रियों से टिकट बिक्री से 69 लाख 24 हजार 500 रुपये की आय हुई. यह कमाई दार्जिलिंग से घुम तक की जॉय राइड सेवा के जरिए हुई है. यह आंकड़ा बताता है कि टॉय ट्रेन सेवा को लेकर पर्यटकों में अभी भी उत्साह बरकरार है. प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त हुई लाइनों का सुधार सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच की टॉय ट्रेन लाइनें प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई हैं. इस लाइन को दुरुस्त करने के लिए नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से बार-बार संपर्क कर रहा है. कुछ क्षेत्रों में टॉय ट्रेन के ट्रायल रन भी शुरू किए गए हैं, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि एनजेपी से दार्जिलिंग तक की पूरी सेवा कब तक बहाल होगी. कई बार खो चुका है विरासत का दर्जा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे पहले भी कई बार अपना यूनेस्को विरासत का दर्जा खोने की कगार पर आ चुका है. पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस धरोहर की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए थे. हाल ही में उन्होंने अपने पहाड़ दौरे के दौरान इस मुद्दे को फिर से उठाया, जिससे टॉय ट्रेन के भविष्य को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. उचित रखरखाव का अभाव दार्जिलिंग की 145 साल पुरानी टॉय ट्रेन परंपरा का उचित रखरखाव न होने के कारण इसके यूनेस्को धरोहर दर्जे को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. 2019 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को इस मुद्दे पर एक चेतावनी भी जारी की गई थी. यूनेस्को के अनुसार, भारतीय रेलवे ने 2017 से 2019 तक वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी को टॉय ट्रेन रखरखाव के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी. प्राकृतिक आपदाओं और अन्य कारणों से बंद होती सेवा पहाड़ों में भूस्खलन और विभिन्न राज्यों की आवाजाही में बाधा आने के कारण कई बार टॉय ट्रेन सेवा को बंद करना पड़ा. भारतीय रेलवे को इस सेवा को फिर से शुरू करने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है. इस मुद्दे पर यूनेस्को ने स्थिति की समीक्षा के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजा है, जिससे रेलवे प्रशासन के लिए इसे चुनौतीपूर्ण बना दिया है. यूनेस्को द्वारा दार्जिलिंग टॉय ट्रेन को दिया गया था विरासत का दर्जा दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन को दिसंबर 1999 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था. लेकिन इसके बाद से ही यह सेवा कई विवादों और चुनौतियों का सामना कर रही है. टूट-फूट, विरोध प्रदर्शन, और रखरखाव की कमी जैसे कारणों से यह सेवा बार-बार विवादों में आती रही है. Tags: Local18, Special Project, West bengalFIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 11:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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