चुनावों और सदनों पर करोड़ रुपए क्या विपक्षी हंगामे के लिए खर्च किए जाते हैं
चुनावों और सदनों पर करोड़ रुपए क्या विपक्षी हंगामे के लिए खर्च किए जाते हैं
Parliament News: एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आम चुनाव यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में जितना खर्च हुआ, उतना अमेरिका में 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भी नहीं हुआ था. यह भी जान लें कि आम चुनाव का खर्च केंद्र सरकार और विधानसभाओं के चुनाव का खर्च राज्य उठाते हैं…
फिर वही हुआ, जो हर संसद सत्र में होता आ रहा है. किसी न किसी मुद्दे पर संसद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष जोरदार हंगामा करता है और कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है. सोमवार, 25 नवंबर को संसद का शीत सत्र जैसे ही शुरू हुआ, कई मुद्दों को ले कर विपक्षी पार्टियों ने हंगामा किया और दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार, 27 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई. (ज्यादातर राज्यों की विधानसभाओं में भी हंगामे की तस्वीरें ही नजर आती रहती हैं.) मंगलवार, 26 नवंबर को संविधान दिवस है, इसलिए संसद सत्र नहीं चलेगा. मोदी सरकार ने 2015 में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का फैसला किया था.
बड़ा सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव में हजारों हजार करोड़ रुपये का खर्च क्या महज इसलिए किया जाता है कि सदन में विधाई कामकाज या कहें कि सकारात्मक नीति निर्धारण पर बहस बहुत कम और अराजकता बहुत ज्यादा होती है. राज्यसभा के लिए चुनाव सीधा नहीं होता, लेकिन उसमें भी आम आदमी का पैसा खर्च तो होता ही है. हालांकि लोकसभा चुनाव के मुकाबले बहुत कम. इसके अलावा सांसदों के वेतन, भत्ते, बाद में पेंशन और सांसदों के आवासों के रख-रखाव और दूसरी सुख-सुविधाओं, चुनाव आयोग (राज्यों में भी) के संचालन में होने वाला सामान्य खर्च, इत्यादि पर आने वाली लागत भी जोड़ दी जाएं, तो आंकड़ा क्या होगा, आप सोच भी नहीं सकते.
इसके अलावा लोकसभा और राज्यसभा के संचालन पर आने वाले खर्च, संसदीय कर्मचारियों, अधिकारियों के वेतन, संसदीय कार्यवाही के प्रकाशन, प्रसारण, संग्रहण, संसदीय समितियों की कार्यवाही, संसद भवन और संसद से जुड़ी दूसरी बहुत सी इमारतों के रख-रखाव, संसद की सुरक्षा इत्यादि के खर्च के बारे में क्या आप अनुमान भी लगा सकते हैं? क्या देश के सरकारी खजाने पर लाखों करोड़ रुपये का इतना बड़ा बोझ सिर्फ इसलिए डाला रहा है कि संसद को हर समय युद्ध के मैदान में ही तब्दील रखा जाए?
साथ ही आम चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की जेब से होने वाला निजी खर्च और पार्टियों के संस्थागत खर्च पर,चुनाव से इतर कार्यक्रमों और दूसरी गतिविधियों पर भी अच्छी-खासी रकम खर्च की जाती है. इसके अलावा राज्य विधानसभा चुनावों और उनकी विधाई कार्यवाही में उपरोक्त सभी मदों में होने वाला खर्च भी जोड़ दिया जाए, तो जो आंकड़ा सामने आएगा, वह आंखें खोल देने वाला होगा. बड़ा सवाल यह है कि देश के आम लोगों के खून-पसीने की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा और नेताओं और पार्टियों की जेब से होने वाला अमीमित निजी खर्च क्या सिर्फ इसलिए किया जाता है कि संसदीय सदनों में ज्यादातर समय तक हंगामा ही होता रहे?
आइए अब कुछ आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं. हम जानते हैं कि देश में पहला चुनाव 1951-52 में हुआ था. उस वक्त खर्च आया था 10.5 करोड़ रुपये. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज यानी सीएमएस की लोकसभा चुनाव से पहले जारी एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव पर करीब 3500 से 3870 (अधिकतम) करोड़ रुपये का खर्च आया था. साल 2019 में आम चुनाव में खर्च बढ़ कर करीब 55 से 60 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि वर्ष 2024 के आम चुनाव पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. लेकिन एक और रिपोर्ट में यह आंकड़ा एक लाख, 35 हजार करोड़ रुपये आंका गया था.
आम चुनाव में एक नागरिक पर आए खर्च का औसत निकाला जाए, तो पहले चुनाव में यह मात्र छह पैसे था. साल 2014 में यह बढ़ कर 46 रुपये हो गया. सीएमएस के मुताबिक 2019 में आम चुनाव में प्रति व्यक्ति लागत 700 रुपये और 2024 के आम चुनाव में यह 1400 रुपये तक बढ़ गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-2019 में चुनाव आयोग का बजट 236.6 करोड़ रुपये से बढ़ कर वर्ष 2023-2024 में 340 करोड़ रुपये हो गया. पहले आम चुनाव में 53 पार्टियों के 1,874 उम्मीदवारों ने 401 सीटों (दोहरे सदस्य वाली सीटों समेत) पर चुनाव लड़ा था. इसके लिए 196 हजार पोलिंग बूथ बनाए गए. साल 2019 में इस आंकड़े में बड़ा इजाफा हुआ. उस साल 673 पार्टियों के 8,054 उम्मीदवारों ने 543 सीटों पर चुनाव लड़ा. इसके लिए 10 लाख 37 हजार पोलिंग बूथों की जरूरत पड़ी.
Tags: Lok sabha, Parliament session, Rajya sabhaFIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 16:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed